दिल्ली छोड़ देश के अन्य हिस्सों में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 6 फरवरी को होगा चक्काजाम: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली के टिकरी, सिंघू और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस द्वारा की गई क़िलेबंदी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम चक्काजाम नहीं कर रहे हैं, वहां तो राजा ने ख़ुद क़िलेबंदी कर ली है.

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली के टिकरी, सिंघू और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस द्वारा की गई क़िलेबंदी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम चक्काजाम नहीं कर रहे हैं, वहां तो राजा ने ख़ुद क़िलेबंदी कर ली है.

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(फाइल फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ छह फरवरी के लिए आयोजित चक्काजाम दिल्ली में नहीं होगा, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य इलाकों में चक्काजाम किया जाएगा.

गाजीपुर, टिकरी और सिंघू पर किलेबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए टिकैत ने कहा, ‘दिल्ली में हम नहीं कर रहे हैं, वहां तो राजा ने खुद किलेबंदी कर ली है, हमारे जाम करने की जरूरत नहीं है.’

उन्होंने कहा कि चक्का जाम दिल्ली में नहीं की जाएगी, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य हिस्सों में होगी, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्से और दक्षिणी राज्यों सहित देश के बाकी हिस्से शामिल होंगे.

प्रस्तावित ‘चक्का जाम’ पर उन्होंने कहा, ‘सड़कों पर तीन घंटे की नाकाबंदी होगी. यह दिल्ली में नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में होगी. इस दौरान जो भी वाहन रोके जाएंगे उन्हें पानी और भोजन दिया जाएगा. चना और मूंगफली जैसी वस्तुओं को भी वितरित किया जाएगा और हम उन्हें इस बात से अवगत कराएंगे कि सरकार हमारे साथ क्या कर रही है.’

मालूम हो कि 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन खत्म होता दिखाई पड़ रहा था. लेकिन इसे पुनर्जीवित करने में टिकैत ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

किसान नेता ने कहा, ‘आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा गांवों में तैयार की गई है. दो ट्रैक्टर गांवों से आएंगे और वे पांच दिनों तक यहां रहेंगे. इसके बाद वे यहां से जाएंगे और अन्य दो ट्रैक्टर उनकी जगह लेंगे.’

प्रदर्शन स्थलों पर सरकार द्वारा किलेबंदी करने के सवाल पर टिकैत ने कहा, ‘किसान सरकार द्वारा लगाई गईं सभी कीलों को निकाल लेगा और एक-एक करके प्रदर्शन स्थलों पर लगाई गईं कीलों को भी निकाल दिया जाएगा.’

किसान और सरकार के बीच आगे बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की समिति इस पर जल्द फैसला लेगी.

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत को कोई आपत्ति नहीं है.

दिल्ली से लगी सीमाओं पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे 51 वर्षीय टिकैत ने पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा आंदोलन के समर्थन का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि वह उन्हें नहीं जानते हैं.

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के किसान प्रदर्शन का समर्थन करने के सवाल पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर में बीते गुरुवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘ये अंतरराष्ट्रीय कलाकार कौन हैं?’

उन्हें जब पॉप स्टार रिहाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, पूर्व पोर्न स्टार मिया खलीफा के बारे में बताया गया तो टिकैत ने कहा, ‘उन्होंने हमारा समर्थन किया होगा लेकिन मैं उन्हें नहीं जानता.’

टिकैत ने कहा, ‘अगर कुछ विदेशी हमारे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं तो इसमें क्या पेरशानी है. वे हमसे न कुछ ले रहे हैं और न कुछ दे रहे हैं.’

गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों से मिलने की असफल कोशिश करने वाले 15 सांसदों के बारे में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सांसदों को पुलिस ने जहां रोका उन्हें वहीं जमीन पर बैठ जाना चाहिए था.

उन्होंने कहा, ‘यहां अवरोधक लगाए गए हैं. वे आना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहीं बैठ जाना चाहिए था. वे उस ओर बैठ जाते और हम अवरोधक के इस ओर बैठ जाते.’ टिकैत ने कहा कि गाजीपुर आए 15 सांसदों में से किसी से उनकी कोई बात नहीं हुई.’

अकाली दल, डीएमके, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस समेत दस विपक्षी दलों के 15 सांसद गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई.

गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी.

भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक ‘सुधारवादी कानून’ पारित किया है, जिस पर ‘किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग’ को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है.

कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर दो महीने से अधिक समय से डटे हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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