आंध्र प्रदेश: इस्पात निगम के निजीकरण पर फ़िर से विचार के लिए मुख्यमंत्री ने पीएम को पत्र लिखा

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड की रक्षा की ख़ातिर राज्य सरकार, इस्पात मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. यह उपक्रम 20,000 लोगों को सीधे तौर पर तथा अन्य लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार देता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसके निजीकरण को मंज़ूरी दे दी है.

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड की रक्षा की ख़ातिर राज्य सरकार, इस्पात मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. यह उपक्रम 20,000 लोगों को सीधे तौर पर तथा अन्य लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार देता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसके निजीकरण को मंज़ूरी दे दी है.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

अमरावती: राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के निजीकरण के केंद्र सरकार के कदम की आलोचना के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख उनसे इस फैसले पर पुन: विचार करने का अनुरोध किया है. गौरतलब है कि आरआईएनएल का विशाखापट्टनम में इस्पात संयंत्र है.

रेड्डी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की रक्षा की खातिर राज्य सरकार, इस्पात मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. उन्होंने बताया कि यह उपक्रम 20,000 लोगों को सीधे तौर पर तथा कई लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देता है.

प्रधानमंत्री को शनिवार को लिखे पत्र में रेड्डी ने कहा, ‘प्रदेश की रत्न इस कंपनी की रक्षा के लिए आंध्र प्रदेश सरकार इस्पात मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि आप आरआईएनएल विशाखापट्टनम के विनिवेश की योजना पर पुन: विचार करें और संयंत्र को वापस पटरी पर लाने के लिए अवसरों को तलाशें.’

इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाली नवरत्न कंपनी विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की कॉर्पोरेट इकाई राष्ट्रीय इस्पाल निगम लिमिटेड की वर्तमान में 73 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता है. इसने प्लांट आधुनिकीकरण और क्षमता विस्तार के लिए बैंकों से ऋण लिया हुआ है.

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने आरआईएनएल के निजीकरण का रास्ता हाल में साफ कर दिया है. निजीकरण के माध्यम से इसके प्रबंधन नियंत्रण की भी अनुमति दे दी गई है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा निजीकरण को मंजूरी देना राज्य के लोगों के बीच चर्चा और चिंता का विषय बन गया है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल स्थितियों के कारण 2014-15 से कंपनी घाटे में चल रही थी और कर्ज चुकाना मुश्किल हो रहा था. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘प्रमुख संरचनात्मक मुद्दों में से एक, खदान की अनुपलब्धता है, जो उत्पादन की लागत को बढ़ा देता है, जिससे लाभ प्रभावित होता है.’

बहरहाल इस बीच विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन के साथ स्टील प्लांट के कर्मचारी और नागरिक समाज के सदस्यों ने इस कंपनी के निजीकरण के निर्णय को वापस लेने की मांग को लेकर रैलियां निकालीं हैं.

मालूम हो कि बीते शनिवार को तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता जी. श्रीनिवास राव ने इस्पात संयंत्र के निजीकरण के केंद्र के फैसले के विरोध में आंध्र प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

निवेश एवं लोक संपदा प्रबंधन सचिव तूहिन कांत पांडे ने तीन फरवरी को ट्वीट कर कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस्पात उत्पादक आरआईएनएल के निजीकरण को मंजूरी दे दी है.

इसके अलावा भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (बीपीसीएल), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड आदि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के भी रणनीतिक विनिवेश को 2021-22 में पूरा करने की योजना सरकार की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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