किसान आंदोलन: टिकरी बॉर्डर के पास हरियाणा के किसान का शव पेड़ से लटका मिला

दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान बीते 20 जनवरी तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं. इसी तरह किसान आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से कई किसानों की जान जा चुकी है.

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(फोटो: पीटीआई)

दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान बीते 20 जनवरी तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं. इसी तरह किसान आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से कई किसानों की जान जा चुकी है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करने वाले हरियाणा के जींद के एक किसान का शव रविवार को टिकरी बॉर्डर प्रदर्शन स्थल से करीब दो किलोमीटर दूर एक पेड़ से लटका मिला.

पुलिस ने बताया कि 52 वर्षीय किसान ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसका सत्यापन किया जा रहा है.

बहादुरगढ़ नगर थाना प्रभारी विजय कुमार ने कहा, ‘किसान करमवीर सिंह जींद के एक गांव के रहने वाले थे. उनका शव पार्क में एक पेड़ से लटका मिला. पार्क टिकरी बॉर्डर से लगभग दो किलोमीटर दूर है.’ उन्होंने बताया कि शव सुबह मिला.

पुलिस के अनुसार, मृतक द्वारा कथित तौर पर लिखे गए सुसाइड नोट में लिखा है, ‘प्रिय किसान भाइयों, मोदी सरकार बस तारीख के बाद तारीख ही दे रही है. कोई नहीं जानता कि इन काले कृषि कानूनों को कब वापस लिया जाएगा.’

मालूम हो कि दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान बीते 20 जनवरी तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं. इसी तरह किसान आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से कई किसानों की जान जा चुकी हैं.

बीते 20 जनवरी को टिकरी बॉर्डर पर ही जहरीला पदार्थ खाने से एक किसान 42 वर्षीय जय भगवान राणा की मौत हो गई थी. वह हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले थे.

बीते नौ जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर एक किसान ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. उनकी पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई थी.

इससे पहले गाजीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 75 साल के एक किसान ने बीते दो जनवरी को कथित रूप से फांसी लगा ली थी. उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में बिलासपुर निवासी सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई थी.

इसी तरह 28 दिसंबर 2020 को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से कुछ दूरी पर पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. उनकी पहचान पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद निवासी अमरजीत सिंह के रूप में हुई थी. अमरजीत सिंह टिकरी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगराहां से जुड़े किसानों के साथ आंदोलन में शामिल थे.

सबसे पहले 16 दिसंबर 2020 को हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले 65 वर्षीय एक सिख संत बाबा राम सिंह ने कुंडली बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.

बजट सत्र के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में जानकारी दी कि दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत और एक आत्महत्या के मामले की जानकारी है.

इस दौरान उन्होंने मृतक किसानों के परिवारों को किसान कल्याण कोष से वित्तीय सहायता प्रदान करने से इनकार कर दिया.

बता दें कि हजारों किसान, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से आए किसान, दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, जो तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

 

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)