केंद्र सरकार ने ट्विटर इंडिया से किसान आंदोलन से जुड़े ग्यारह सौ से अधिक एकाउंट हटाने को कहा

केंद्र सरकार का कहना है कि जिन एकाउंट्स को हटाने को कहा गया है,वे खालिस्तान समर्थकों या पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार को लगता है कि ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी किसान आंदोलनों के समर्थन में कुछ ट्वीट को लाइक कर रहे हैं, जो प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र सरकार का कहना है कि जिन एकाउंट्स को हटाने को कहा गया है,वे खालिस्तान समर्थकों या पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार को लगता है कि ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी किसान आंदोलनों के समर्थन में कुछ ट्वीट को लाइक कर रहे हैं, जो प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.

(फोटो: रॉयटर्स)
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नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से किसान आंदोलन से जुड़े लगभग 1,200 ट्विटर एकाउंट हटाने को कहा है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार का कहना है कि ये एकाउंट खालिस्तान समर्थकों से जुड़े हुए हैं या फिर पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं.

इसके अतिरिक्त सरकार को लगता है कि ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी किसान आंदोलनों के समर्थन में कुछ ट्वीट को लाइक कर रहे हैं, जो प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.

केंद्र सरकार का यह फैसला सरकार और ट्विटर के बीच चल रहे तनाव के बीच आया है.

दरअसल ट्विटर ने इससे पहले उन लगभग 250 एकाउंट को बहाल कर दिया था. सरकार किसान जनसंहार से संबंधित सामग्री के इस्तेमाल को लेकर इन एकाउंट को प्लेटफॉर्म से हटवाना चाहती थी.

एक सरकारी सूत्र के मुताबिक, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 1,178 ट्विटर एकाउंट की सूची साझा की थी, जिन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तानी और पाकिस्तान समर्थित एकाउंट या फिर ऐसे एकाउंट के रूप में चिह्नित किया था, जो सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने के लिए विदेशी सीमा से संचालित हैं.’

सूत्र का कहना है कि इनमें से कई एकाउंट स्वचालित बॉट हैं, जिनका इस्तेमाल किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकारी शेयर करने के लिए किया जा रहा है.

सूत्र का कहना है कि हालांकि, ट्विटर ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया है. इस सूची को ट्विटर के साथ चार फरवरी को साझा किया गया था.

उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ट्विटर के सीईओ डॉर्सी ने किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी हस्तियों द्वारा किए गए कई ट्वीट को भी लाइक किया था. इसे ध्यान में रखते हुए ट्विटर द्वारा सरकार के आदेश की अवहेलना कई सवाल खड़े करती है. इससे ट्विटर की निष्पक्षता पर सवाल उठता है.

इस मामले पर ट्विटर के प्रवक्ता का कहना है कि ट्विटर पारदर्शिता के सिद्धांत पर चलता है और सार्वजनिक बातचीत को महत्व देता है.

उन्होंने कहा, ‘अगर हमें ट्विटर पर संभावित अवैध कंटेंट को लेकर कानूनी अनुरोध प्राप्त होता है तो हम कंपनी के नियमों और स्थानीय कानून के तहत इसकी समीक्षा करते हैं. अगर कंटेंट ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाता है. अगर यह किसी विशेष अधिकार क्षेत्र में अवैध है लेकिन ट्विटर नियमों का उल्लंघन नहीं है तो हम केवल उस निश्चित स्थान में उस कंटेंट पर रोक लगा सकते हैं.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘सभी मामलों में हम एकाउंट धारक को सीधे सूचित करते हैं ताकि वे सचेत हो सकें कि हमें उस एकाउंट के संबंध में कानूनी आदेश प्राप्त हुआ है. हमारा उद्देश्य अभिव्यक्ति की आजादी के हमारे मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा करते हुए स्थानीय कानून का सम्मान करना है.’