कोई पति अलग रह रही पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने से मुंह नहीं मोड़ सकता: सुप्रीम कोर्ट

मामला चेन्नई का है, जहां एक महिला ने 2009 में अपने पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था. पत्नी को गुज़ारा भत्ता न देने के संबंधी सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस शख़्स को अलग रह रही पत्नी को 2.60 करोड़ रुपये की बकाया राशि और मासिक गुज़ारे भत्ते के तौर पर 1.75 लाख रुपये देने का आदेश दिया है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

मामला चेन्नई का है, जहां एक महिला ने 2009 में अपने पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था. पत्नी को गुज़ारा भत्ता न देने के संबंधी सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस शख़्स को अलग रह रही पत्नी को 2.60 करोड़ रुपये की बकाया राशि और मासिक गुज़ारे भत्ते के तौर पर 1.75 लाख रुपये देने का आदेश दिया है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोई भी शख्स अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता है.

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन की पीठ ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी को 2.60 करोड़ रुपये की पूरी बकाया राशि अदा करने का अंतिम मौका देते हुए शुक्रवार को यह टिप्पणी की.

पीठ ने इसके साथ ही शख्स को मासिक गुजारे भत्ते के तौर पर 1.75 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया.

पीठ ने तमिलनाडु के एक शख्स की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. यह शख्स एक दूरसंचार कंपनी में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक परियोजना पर काम करते हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं है और उन्होंने रकम का भुगतान करने के लिए दो साल की मोहलत मांगी.

इस पर पीठ ने कहा कि उसने अदालत के आदेश का अनुपालन करने में बार-बार नाकाम रहकर अपनी विश्वसनीयता खो दी है.

अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि इस तरह का व्यक्ति कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजना से जुड़ा हुआ हो सकता है.

पीठ ने कहा, ‘पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता मुहैया कराने की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता है और यह उसका कर्तव्य है कि वह गुजारा भत्ता दे.’

पीछ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम पूरी लंबित राशि के साथ-साथ मासिक गुजारा भत्ता नियमित रूप से अदा करने के लिए अंतिम मौका दे रहे हैं. आज से चार हफ्तों के अंदर यह दिया जाए, इसमें नाकाम रहने पर प्रतिवादी को दंडित किया जा सकता और जेल भेज दिया जाएगा.’

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी.

अदालत ने कहा, ‘रकम का भुगतान नही किए जाने पर अगली तारीख पर गिरफ्तारी आदेश जारी किया जा सकता है और प्रतिवादी को जेल भेजा सकता है.’

अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को 2009 से गुजारा भत्ते की लंबित बकाया राशि लगभग 2.60 करोड़ रुपये और 1.75 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने को कहा था लेकिन शख्स ने अब तक लंबित रकम में से 50,000 रुपये ही दिए हैं.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए पति ने अदालत से कहा कि उसने अपना सारा पैसा दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक परियोजना के अनुसंधान एवं विकास में लगा दिया है.

पीठ ने व्यक्ति को पैसा उधार लेने या बैंक से ऋण लेने और अपनी पत्नी को एक हफ्ते के अंदर गुजारा भत्ता की लंबित राशि एवं मासिक राशि अदा करने को कहा, अन्यथा उसे सीधे जेल भेज दिया जाएगा.

मिड डे की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में महिला की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने अदालत को बताया कि बार-बार भुगतान करने के निर्देश के बावजूद उसका पालन नहीं किया गया जब कि वह शानदार जिंदगी जीते रहे.

वहीं, शख्स के वकील ने कहा कि अगर उनके मुवक्किल को जेल हो जाती है तो उनकी पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा. पीठ का कहना है कि पति, पत्नी को गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता.

पति ने अपनी दलील में दावा किया कि उसकी पत्नी एक बहुत ही प्रभावशाली महिला है और उसके मीडिया में अच्छे संबंध हैं, जिसका इस्तेमाल वह उसकी छवि धूमिल करने के लिए कर रही है.

इस पर पीठ ने कहा, ‘हम मीडिया से प्रभावित नहीं हैं, हम हर मामले के तथ्य पर गौर करते हैं.’

बता दें कि पत्नी ने 2009 में चेन्नई की एक मजिस्ट्रेट अदालत में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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