कोरोनिल को लेकर पतंजलि के दावे सरासर झूठ, स्वास्थ्य मंत्री स्पष्टीकरण दें: आईएमए

कोरोना वायरस के उपचार के दावे के साथ लॉन्च हुई पतंजलि की 'कोरोनिल' को आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाण पत्र मिलने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हैरानी जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन से सवाल किया है कि पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है.

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फरवरी 2021 में कोरोनिल को लॉन्च करने के कार्यक्रम में रामदेव के साथ केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और नितिन गडकरी. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोरोना वायरस के उपचार के दावे के साथ लॉन्च हुई पतंजलि की ‘कोरोनिल’ को आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाण पत्र मिलने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हैरानी जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन से सवाल किया है कि पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है.

19 फरवरी के कार्यक्रम में रामदेव के साथ केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन और नितिन गडकरी. (फोटो साभार: फेसबुक/@/AcharyBalkrishna)
19 फरवरी के कार्यक्रम में रामदेव के साथ केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन और नितिन गडकरी. (फोटो साभार: फेसबुक/@/AcharyBalkrishna)

नई दिल्ली: पतजंलि की कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाण पत्र मिलने की बात को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सोमवार को सरासर झूठ करार देते हुए आश्चर्य प्रकट किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से इस बाबत स्पष्टीकरण मांगा.

पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है.

सोमवार को आईएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है. क्या आप इस कोरोना रोधी उत्पाद के तथाकथित क्लीनिकल ट्रायल की समयसीमा बता सकते हैं?’

आईएमए द्वारा डॉ. हर्षवर्धन से पूछे गए सवाल.
आईएमए द्वारा डॉ. हर्षवर्धन से पूछे गए सवाल.

गौरतलब है कि योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने 19 फरवरी को कहा था कि डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत कोरोनिल टेबलेट को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड-19 के उपचार में सहायक औषधि के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है.

हालांकि, पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था, ‘हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कोरोनिल के लिए हमारा डब्ल्यूएचओ जीएममी अनुपालन वाला सीओपीपी प्रमाण पत्र डीजीसीआई, भारत सरकार की ओर से जारी किया गया. यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी दवा को मंजूरी नहीं देता. डब्ल्यूएचओ विश्व में सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के वास्ते काम करता है.’

सोमवार को जारी अपने पत्र में आईएमए ने कहा, ‘देश मंत्री से स्पष्टीकरण चाहता है, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को स्वतः संज्ञान लेने के लिए भी पत्र लिखेगा. यह भारतीय चिकित्सा परिषद के नियमों का उल्लंघन है.’

एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से इस दवा के ट्रायल, उसके वैज्ञानिक परिणाम, परीक्षण में शामिल मरीजों की संख्या, ट्रायल के प्रकार, इसके लिए गई ली गई सहमति और डीसीजीआई द्वारा इसे प्रमाणित करने के आधार को लेकर कई सवाल किए हैं.

एसोसिएशन ने रामदेव द्वारा एक इंटरव्यू के दौरान की गई टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई है. आईएमए ने कहा, ‘रामदेव ने एक इंटरव्यू में आधुनिक दवाइयों की आलोचना करते हुए उन्हें ‘मेडिकल टेररिज्म’ कहा. क्या स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक पद्धति के डॉक्टर होने के नाते डॉ. हर्षवर्धन रामदेव के इस घोर आपत्तिजनक बयान पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं?’

आईएमए ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ से प्रमाणन की सरासर झूठी बात पर गौर करके इंडियन मेडिकल एसोसिशन स्तब्ध है.’

गौरतलब है कि पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 के उपचार के लिए कोरोनिल के प्रभावकारी होने के संबंध में शोध पत्र जारी करने का दावा भी किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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