रोहित वेमुला दलित नहीं थे और निजी कारणों से आत्महत्या की: रिपोर्ट

जस्टिस रूपनवाल के नेतृत्व में बनी समिति ने अपनी​ रिपोर्ट में कहा कि पूर्व एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी और श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई को प्रभावित नहीं किया.

रोहित वेमुला (फाइल फोटो: रोहित वेमुला फेसबुक प्रोफाइल)

जस्टिस रूपनवाल के नेतृत्व में बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पूर्व एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी और श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई को प्रभावित नहीं किया.

रोहित वेमुला (फाइल फोटो: रोहित वेमुला फेसबुक प्रोफाइल)
रोहित वेमुला (फाइल फोटो: रोहित वेमुला फेसबुक प्रोफाइल)

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला के आत्महत्या मामले में सरकार द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित ने कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई की वजह से नहीं बल्कि निजी कारणों से आत्महत्या की.

टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके रूपनवाल की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट 15 अगस्त को सार्वजनिक कर दी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित व्यक्तिगत कारणों के चलते दबाव में थे. विश्वविद्यालय और हॉस्टल से निलंबित होने की वजहों ने उन्हें आत्महत्या के लिए नहीं उकसाया था. इसके अलावा रोहित वेमुला की जाति को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि वे दलित समुदाय से नहीं थे.

रिपोर्ट के अनुसार, रोहित किन कारणों से निराश थे, इस बारे में उन्हें ही बेहतर पता होगा. वे बचपन से अकेले रहे हैं और जीवन में उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिला. यह सब आत्महत्या के कारण हो सकते हैं. उसने अपने सुसाइड नोट में भी साफ तौर पर किसी कारण का उल्लेख नहीं किया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि भाजपा के विधानपरिषद सदस्य रामचंद्र राव, केंद्र श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृमि ईरानी जन प्रतिनिधि होने के नाते अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए किसी तरह से प्रभावित नहीं किया.

रिपोर्ट में घटना के लिए इन तीनों नेताओं को ज़िम्मेदार नहीं माना गया है. रोहित वेमुला की मौत के बाद बताया जा रहा था भाजपा नेताओं द्वारा शिकायत के बाद उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी.

रोहित की आत्महत्या में विश्वविद्यालय की भूमिका को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है, अगर रोहित ने विश्वविद्यालय के फैसले से नाराज़ होकर आत्महत्या की होती तो अपने सुसाइड नोट में साफ शब्दों में इस बात का उल्लेख करते. सुसाइड नोट में इसका उल्लेख न होना यह साबित करता है कि आत्महत्या के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ज़िम्मेदार नहीं है.

रोहित और उसके साथियों पर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट कहती है, कार्यकारी परिषद द्वारा लिया गया फैसला उस समय के हिसाब से उचित था. परिषद का काम है कि वो छात्रों का ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित हो, इस पर ध्यान दें.

रिपोर्ट के मुताबिक, परिषद द्वारा दिखाई गई उदारता बताती है कि वो किसी के दबाव या प्रभाव में आकर काम नहीं कर रही थी, वरना प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा दी गई सज़ा कम करने का कोई कारण नहीं बनता है.

दलित नहीं हैं रोहित वेमुला: रिपोर्ट

रोहित वेमुला की जाति को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि वे दलित समुदाय नहीं थे. हालांकि रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि विश्वविद्यालय में सामान्य वर्ग के छात्रों और आरक्षित वर्ग से आने वाले छात्रों की शिकायतों को सुलझाने के लिए कोई तंत्र नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार रोहित वेमुला की मां वडेरा समुदाय से आती हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है. इसलिए वेमुला को जारी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को सही नहीं कहा जा सकता. वह अनुसूचित जाति से नहीं आते थे लेकिन किसी तरह से उनकी मां को मिले अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र की वजह से वह इस बात का दावा करते थे कि वे दलित हैं.

हैदराबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने नवंबर 2015 में पांच छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था, जिनके बारे में कहा गया था कि ये सभी दलित समुदाय से थे. 17 जनवरी 2016 को निलंबित छात्र रोहित वेमुला ने हॉस्टल के एक कमरे में आत्महत्या कर ली थी.

कहा गया था कि कॉलेज प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई की वजह से रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी.

अगस्त 2016 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी गई थी. 2 फरवरी 2016 को मंत्रालय ने न्यायमूर्ति रूपनवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति का गठन रोहित वेमुला आत्महत्या के मामले की जांच के लिए गठित की थी.