सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पत्रकार ख़शोगी की हत्या की मंज़ूरी दी थी: अमेरिकी रिपोर्ट

पत्रकार जमाल ख़शोगी की दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अखबार में लेख लिखते थे और क्राउन प्रिंस की नीतिओं के कटु आलोचक थे.

सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान और पत्रकार जमाल ख़शोगी. (फोटो रॉयटर्स/विकिपीडिया)

पत्रकार जमाल ख़शोगी की दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अखबार में लेख लिखते थे और क्राउन प्रिंस की नीतिओं के कटु आलोचक थे.

सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान और पत्रकार जमाल ख़शोगी. (फोटो रॉयटर्स/विकिपीडिया)
सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान और पत्रकार जमाल ख़शोगी. (फोटो रॉयटर्स/विकिपीडिया)

वॉशिंगटन: अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की के इस्तांबुल शहर में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़ने या मारने के एक अभियान को मंजूरी दी थी.

खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ अखबार में लेख लिखते थे और क्राउन प्रिंस की नीतिओं के कटु आलोचक थे.

राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय (ओडीएनआई) ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं है कि उनके सहयोगी वली अहद (क्राउन प्रिंस) के आदेश पर सवाल कर सकते थे या फिर संवेदनशील अभियान बिना उनकी मंजूरी के चला सकते थे.

यह रिपोर्ट 11 फरवरी की है और रिपोर्ट के एक हिस्से को गोपनीयता के दायरे से बाहर किया गया है, जिसे शुक्रवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को सौंपा गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या मारने के अभियान को मंजूरी दी थी.’

ओडीएनआई ने कहा कि उसका आकलन इस बात पर आधारित है कि सऊदी अरब में मोहम्मद बिन सलमान के बिना फैसले नहीं होते हैं और अभियान में उनके प्रमुख सलाहकार और उनके सुरक्षा दस्ते के एक सदस्य की सीधी संलिप्तता है.

रिपोर्ट कहती है, ‘2017 से क्राउन प्रिंस का देश की सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है. इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी इस प्रकृति का अभियान बिना क्राउन प्रिंस की इजाजत के चलाएं.’

कांग्रेस को रिपोर्ट मिलने के कुछ देर बाद अमेरिका विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने ‘खशोगी प्रतिबंध’ की घोषणा की, जिसमें सऊदी अरब के 76 ऐसे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशों में असहमति के स्वरों को डराने-धमकाने में शामिल हैं. यह सिर्फ खशोगी हत्याकांड तक सीमित नहीं है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मामले की जानकारी रखने वाले चार अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट को तैयार करने में सीआईए की मुख्य भूमिका थी.

रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी के किंग सलमान से शिष्टाचार वार्ता की थी.

हालांकि, व्हाइट हाउस की ओर से वार्ता के संबंध में जारी बयान में इस दौरान पत्रकार की हत्या का कोई जिक्र नहीं किया गया था. इसमें कहा गया था कि दोनों ने दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी पर चर्चा की.

रॉयटर्स के अनुसार, बुधवार को बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी है और जल्द ही फोन से किंग सलमान से बात करेंगे.

ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ठंडे पड़ चुके संबंधों के चार साल बाद बाइडन पारंपरिक तरीके से रियाद के साथ संबंध बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं.

जहां बाइडन ने सिर्फ किंग के साथ बातचीत करने की बात कही है तो वहीं उनके प्रशासनिक अधिकारी विभिन्न स्तरों पर सऊदी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं.

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, हम इस प्रशासन के शुरुआती हफ्तों में कई स्तरों पर सऊदी अधिकारियों के संपर्क में रहे हैं.

मालूम हो कि सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दाखिल होने के बाद से खशोगी लापता हो गए थे.

द वॉशिंगटन पोस्ट सहित कई मीडिया संगठनों के लिए आलेख लिखने वाले पत्रकार खशोगी सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना में भी खूब लिखते रहे थे.

सऊदी अरब के दूतावास में जमाल खगोशी के लापता होने के बाद से उनकी हत्या की आशंका लगातार जताई जा रही थी लेकिन सऊदी अरब प्रशासन लगातार इस बात से इनकार कर रहा था. बताया जाता है कि हत्या के बाद खशोगी के शव को गायब कर दिया गया था.

तकरीबन दो हफ्तों की खामोशी और पत्रकार जमाल खशोगी की मौत होने की बात से इनकार करने के बाद 20 अक्टूबर, 2018 को सऊदी अरब ने माना था लिया कि लापता पत्रकार की हत्या हो चुकी है. हालांकि, उसने इसमें क्राउन प्रिंस की संलिप्तता से इनकार किया था.

वहीं, इस मामले में जिन पांच लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, खशोगी के परिवार द्वारा माफी दिए जाने के बाद उनकी सजा को 20 साल जेल में तब्दील कर दिया गया.

साल 2019 में एक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार जांचकर्ता एग्नेस कालमार्ड ने सऊदी अरब पर खशोगी की जान-बूझकर, पूर्व नियोजित हत्या का आरोप लगाया था और आगे की जांच की मांग की थी.

छह महीने की जांच के बाद कालमार्ड ने कहा था, आगे की जांच की मांग करने को लेकर क्राउन प्रिंस की जिम्मेदारी तय करने के बारे में पर्याप्त विश्वसनीय सबूत हैं.

रिपोर्ट का एक गोपनीय संस्करण 2018 के अंत में कांग्रेस के सदस्यों के साथ साझा किया गया था. रियाद के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी, ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच सहयोग को बचाने और सऊदी अरब के साथ अमेरिकी हथियारों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने संसद सदस्यों और मानवाधिकार समूहों द्वारा गोपनीय रिपोर्ट को जारी करने की मांगों को खारिज कर दिया था.

अपनी नियुक्ति की सुनवाई के दौरान नेशनल इंटेलिजेंस की नई निदेशक एवरिल हैन्स ने 2019 के रक्षा विधेयक में मौजूद एक प्रावधान का अनुपालन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई थी, जिसके तहत राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक को 30 दिनों के भीतर खशोगी की हत्या पर एक अघोषित रिपोर्ट जारी करने की आवश्यकता थी.

बाइडन ने 2020 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान खशोगी की हत्या के संबंध में यूएस-सऊदी संबंधों की समीक्षा करने का संकल्प लिया था.

पदभार ग्रहण करने के बाद से उन्होंने आक्रामक हथियारों की बिक्री को समाप्त कर दिया है, जिसका सऊदी अरब यमन में उपयोग कर सकता है और उस देश के भीषण गृह युद्ध को समाप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों को बढ़ाने के लिए एक विशेष दूत नियुक्त किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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