संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने किसान आंदोलन के उचित समाधान की उम्मीद जताई

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयासों की आलोचना की. इस पर भारत ने कहा कि उनमें निष्पक्षता और निष्पक्षता की कमी थी.

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मिशेल बैचलेट. (फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयासों की आलोचना की. इस पर भारत ने कहा कि उनमें निष्पक्षता और निष्पक्षता की कमी थी.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत. (फोटो: रॉयटर्स)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट. (फोटो: रॉयटर्स)

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि भारत सरकार और नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच चल रहे संवाद के प्रयासों से इस संकट का एक उचित समाधान निकलेगा, जिसमें सभी के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा.

चीन, पाकिस्तान और रूस सहित 50 से अधिक देशों में हाल के मानवाधिकार मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को अद्यतन करते हुए बैचलेट ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयासों की भी आलोचना की.

बैचलेट ने अपने बयान में कहा, ‘मुझे विश्वास है कि दोनों पक्षों के बीच चल रहे संवाद प्रयासों से इस संकट का एक उचित समाधान निकलेगा जो सभी के अधिकारों का सम्मान करता हो.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बैचलेट ने कहा कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए इस तरह की कार्रवाई मानव अधिकारों के सिद्धांतों के खिलाफ और परेशान करने वाला है.

बैचलेट, जो पहले भी भारत में मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं, ने कश्मीर को लेकर कहा कि अक्टूबर और नवंबर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ मारे गए छापे नागरिक समाज पर जारी प्रतिबंधों का हिस्सा है, जिससे कि कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर खासा प्रभाव पड़ा.

जम्मू कश्मीर पर उन्होंने कहा, ‘हम भारत शासित कश्मीर में स्थिति पर नजर रखे हैं, जहां संचार माध्यमों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध चिंता का विषय है. हाल ही में वहां मोबाइल फोन के लिए 4जी सेवाओं की बहाली के बावजूद संचार प्रतिबंधों ने नागरिक भागीदारी के साथ-साथ व्यवसाय, आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल को गंभीर रूप से बाधित किया है.’

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख के बयान के बाद भारत ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनमें निष्पक्षता और निष्पक्षता की कमी थी.

जिनेवा में यूएनएचसीआर के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडेय ने कहा कि भारत सरकार ने 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है.

उन्होंने कहा, ‘तीन कृषि कानूनों को लागू करने का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत प्रदान करना और उनकी आय में वृद्धि करना है. यह विशेष रूप से छोटे किसानों को लाभान्वित करेगा और किसानों को अधिक विकल्प प्रदान करेगा.’

पांडेय ने अपने राष्ट्रीय वक्तव्य में कहा, ‘सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के प्रति अत्यधिक सम्मान दिखाया है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए बातचीत में लगी हुई है.’

पांडेय ने कश्मीर पर जवाब देते हुए कहा कि जिला विकास परिषद के चुनावों ने जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बहाल किया है.

पांडेय ने कहा, ‘इन घटनाक्रमों को देखते हुए हम कुछ टिप्पणियों पर ध्यान दिलाना चाहते हैं. वे हमारी सरकार द्वारा चुनौतियों को दूर करने के लिए किए गए भारी प्रयासों से अनजान हैं. उन्होंने किसानों के अधिकारों के नाम पर गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को छोड़ दिया. आतंकवाद के प्रति उनकी उदासीनता नई बात नहीं है. वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता किसी भी मानवाधिकार मूल्यांकन की पहचान है. हमें यह देखकर खेद हुआ कि उच्चायुक्त के मौखिक अद्यतन में दोनों की कमी थी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)