अमेरिकी सरकार के थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद ही तेज़ हो गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता भी दबाव में आ गई थी.

(फाइल फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) फ्रीडम हाउस ने भारत के दर्जे को स्वतंत्र से घटाकर आंशिक स्वतंत्र कर दिया है. ऐसा मीडिया, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और प्रदर्शनकारियों की असहमति अभिव्यक्त करने पर हमले के कारण किया गया है.
संगठन की सालाना वैश्विक स्वतंत्रता रिपोर्ट में इस साल भारत की रैंक 67 है जो कि साल 2020 में 100 में से 71 थी और यही कारण है कि भारत स्वतंत्र श्रेणी से बाहर हो गया है. यह रिपोर्ट साल 2020 के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है.
लोकतंत्र की वकालत करने वाले समूह ने कहा कि स्वतंत्र राष्ट्रों के ऊपरी पायदान से भारत के बाहर होने पर उसके वैश्विक लोकतंत्र मानकों पर विशेष रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट 2019 में मोदी के दोबारे चुने जाने के बाद ही तेज हो गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता भी दबाव में आ गई थी.
फरवरी 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट से जस्टिस एस. मुरलीधर के स्थानांतरण का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक मामले में नई दिल्ली में दंगों- जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे, के दौरान कोई कार्रवाई न करने के लिए पुलिस को फटकार लगाने के तुरंत बाद एक न्यायाधीश का तबादला कर दिया गया.’
इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के लव जिहाद कानून पर भी ध्यान देने की बात कही गई है, जिसमें अंतरधार्मिक विवाह के जरिये होने वाले जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की बात कही गई थी और कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के लिए कई मुस्लिम पुरुषों को गिरफ्तार किया गया था.
इसके बाद उसने अचानक लगाए गए राष्ट्रव्यापी कोविड-19 लॉकडाउन का हवाला दिया, जिसने लाखों प्रवासी कामगारों को काम या बुनियादी संसाधनों के बिना शहरों में छोड़ दिया गया और परिणामस्वरूप लाखों घरेलू प्रवासी श्रमिकों को खतरनाक और अनियोजित विस्थापन का शिकार होना पड़ा.
24 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने जिस लॉकडाउन की घोषणा की थी, उससे हजारों प्रवासी कामगारों को पैदल ही घर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा और कई श्रमिक भुखमरी, थकावट और रेल दुर्घटनाओं के कारण मौत का शिकार हो गए.
तब्लीगी जमात के सदस्यों के साथ की गई बर्बरता का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मुसलमानों को कोरोना वायरस के प्रसार के लिए बलि का बकरा बनाया गया और दोषी ठहराया गया था और कइयों को भीड़ द्वारा हमलों का सामना करना पड़ा था.
BREAKING: India is not rated "Free" in Freedom in the World 2021. Political rights and civil liberties have eroded in India since Narendra Modi became prime minister in 2014, causing the country to drop from Free to Partly Free in 2020. #FreedomInTheWorld https://t.co/HuNzEAc6Nw pic.twitter.com/mae0CmGpi5
— Freedom House (@freedomhouse) March 3, 2021
इसमें कहा गया, ‘लोकतांत्रिक परंपराओं के वाहक बनने और चीन जैसे देशों के तानाशाही रवैये का प्रतिकार करने के बजाय मोदी और उनकी पार्टी भारत को अधिनायकवाद की ओर ले जा रही है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘मोदी के (शासन के) तहत भारत एक वैश्विक लोकतांत्रिक अगुआ के रूप में सेवा देने की अपनी क्षमता को छोड़ चुका है और समावेशी व सभी के लिए समान अधिकारों की कीमत पर संकीर्ण हिंदू राष्ट्रवादी हितों को बढ़ा रहा है.
फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोदी सरकार में प्रेस की आजादी पर हमले नाटकीय रूप से बढ़े और अधिकारियों ने मीडिया की आलोचनात्मक आवाज़ों को खामोश करने के लिए सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह और हेट स्पीच के कानूनों और साथ ही अवमानना के आरोपों का इस्तेमाल किया.
रिपोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी की बार्क के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थो दासगुप्ता के साथ कथित चैट के खुलासे के संदर्भ में कहा, ‘वहीं जहां एक तरफ राजनेताओं, बिजनेस अधिकारियों और लॉबिस्टों तो दूसरी तरफ प्रमुख मीडिया हस्तियों और मीडिया आउटलेट्स के मालिकों के बीच घनिष्ठ संबंधों के खुलासे ने प्रेस में जनता के विश्वास को चोट पहुंचाई है.’
बीते एक साल में तीन पायदान फिसलकर 83वें नंबर पर पहुंचने वाले अमेरिका के संबंध में फ्रीडम हाउस ने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिकी लोकतंत्र पर अभूतपूर्व हमले हुए.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘केवल एक गंभीर और निरंतर सुधार का प्रयास ट्रंप युग के दौरान अमेरिका में स्वतंत्रता और बुनियादी अधिकारों को लेकर बनी धारणा व वास्तविकता को हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है.’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन में चीनी शासन का घातक प्रभाव विशेष रूप से 2020 में गहरा था. इसमें कहा गया, ‘विदेशी लोकतंत्रों के घरेलू राजनीतिक विमर्श में इसके प्रयासों में भी वृद्धि हुई है, खासकर चीन में अधिकारों का दुरुपयोग आम बात है और हांगकांग की स्वतंत्रता और कानूनी स्वायत्तता का विध्वंस जारी है.’
यूएसए की नई प्राथमिकताओं के बारे में अपने पहले प्रमुख नीतिगत भाषण में विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए उन्होंने बुधवार को कहा, ‘हम लोकतंत्र का नवीनीकरण करेंगे, क्योंकि यह खतरे में है. स्वतंत्र वॉचडॉग समूह फ्रीडम हाउस की एक नई रिपोर्ट बहुत ही रोमांचक है. दुनियाभर में अधिनायकवाद और राष्ट्रवाद बढ़ रहा है और सरकारें कम पारदर्शी हो रही हैं और लोगों का विश्वास खो दिया है.’
.@SecBlinken: We will renew democracy, because it’s under threat. pic.twitter.com/l47YkDTdUA
— Department of State (@StateDept) March 3, 2021
बता दें कि अमेरिकी लोकतंत्र के इस वॉचडॉग समूह को साल 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई के लिए समर्थन जुटाने के लिए स्थापित किया गया था.
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘अल्जीरिया, गिनी और भारत जैसे देशों की सरकारें, जो 2019 के विरोध प्रदर्शनों से सकते में आ गई थीं, दोबारा पकड़ बनाती दिखीं, प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया, नए कड़े कानून पारित हुए और कुछ मामलों में क्रूर कार्रवाई का सहारा लिया, जिसके लिए उन्हें कुछ अंतरराष्ट्रीय नतीजों का सामना करना पड़ा.’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत के आंशिक रूप से स्वतंत्र श्रेणी में आने के साथ ही दुनिया की महज 20 फीसदी से कम आबादी अब स्वतंत्र देशों में रहती है, जो 1995 के बाद से सबसे छोटा अनुपात है.’
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