भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपी हिंदुत्ववादी नेता एकबोटे पर आपत्तिजनक बयान के लिए केस दर्ज

हिंदूत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से कथित तौर पर दो समुदायों के बीच वैमनस्यता को प्रोत्साहन देने के आरोप में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. पुणे शहर के कोंढवा इलाके में हज हाउस के निर्माण के विरोध में उन पर आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा है.

मिलिंद एकबोटे. (फोटो: फेसबुक)

हिंदूत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से कथित तौर पर दो समुदायों के बीच वैमनस्यता को प्रोत्साहन देने के आरोप में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. पुणे शहर के कोंढवा इलाके में हज हाउस के निर्माण के विरोध में उन पर आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा है.

मिलिंद एकबोटे. (फोटो: फेसबुक)
मिलिंद एकबोटे. (फोटो: फेसबुक)

पुणे: साल 2018 में भीमा-कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ पर हुई हिंसा से जुड़े मामले के आरोपियों में से एक हिंदूत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से कथित तौर पर दो समुदायों के बीच वैमनस्यता को प्रोत्साहन देने के आरोप में उन पर एक मामला दर्ज किया गया है.

पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

मराठा सेवा संघ, संभाजी ब्रिगेड के नेता सतीश काले ने पुणे के कोंढवा पुलिस थाने में एकबोटे के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई.

शिकायत में कहा गया कि ‘समस्त हिंदू आघाड़ी’ संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष एकबोटे ने कोंढवा में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए एक धार्मिक स्थल के निर्माण का विरोध किया और दो समुदायों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने वाले आपत्तिजनक बयान दिए.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि शिकायत के आधार पर एकबोटे के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुए एक वीडियो में एकबोटे कथित तौर पर कोंढवा को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहते नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि खुफिया रिपोर्ट में पता चला है कि आतंकवादियों के स्लीपर सेल इस क्षेत्र से अपना काम संचालित कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, कोंढवा में हज हाउस के निर्माण के विरोध में उन्होंने कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान दिया.

कोंढवा के रहने वाले सतीश काले ने वकील तौसीफ शेख, क्रांति शहाणे और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ बीते पांच मार्च को कोंढवा थाने में एकबोटे के खिलाफ केस दर्ज कराया है.

शिकायत में दावा किया गया है कि कथित तौर पर समाज में घृणा और तनाव पैदा करने के लिए आधारहीन बयान देकर उन्होंने एक विशेष समुदाय की छवि को नुकसान पहुंचाया है.

बीते पांच मार्च को एकबोटे अपने सहयोगियों के साथ मेयर मुरलीधर मोहोल से मिले थे और पुणे महानगर पालिका द्वारा हज हाउस के निर्माण के विरोध में समर्थन मांगा था.

एकबोर्ट एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ पर हुए हिंसा से संबंधित मामलों के आरोपियों में से एक हैं. उन्हें पुणे ग्रामीण पुलिस ने इस संबंध में गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

एकबोटे के खिलाफ दर्ज मामले की जांच वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर सरदार पाटिल के नेतृत्व में एक टीम कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, तमाम कोशिशों के बावजूद इस मामले में टिप्पणी के लिए एकबोटे उपलब्ध नहीं हो सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)