पर्यावरण मंत्रालय का अनुमानित बजट तीन साल में सबसे कम, 900 करोड़ अतिरिक्त फंड की ज़रूरत: समिति

राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के बजट में 35 फीसदी की कटौती की गई. इसके साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजटीय आवंटन में 770 करोड़ रुपये या 37 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के बजट में 35 फीसदी की कटौती की गई. इसके साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजटीय आवंटन में 770 करोड़ रुपये या 37 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को उसकी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के भौतिक लक्ष्यों को समय से प्राप्त करने एवं अनुमानित बजट के आवंटन का अधिकतम उपयोग करने के लिए सक्रिय प्रयास करने की सिफारिश की है.

राज्यसभा में पेश विभाग संबंधी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश इसके अध्यक्ष हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति नोट करती है कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई अप्रत्याशित स्थिति के कारण 2020-21 के संशोधित प्राक्कलन में मंत्रालय की धनराशि में 35 फीसदी की कटौती की गई, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न योजनाओं के वार्षिक योजना संचालन में उल्लिखित सभी प्रस्तावित गतिविधियों में धनराशि जारी नहीं की गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया कि मंत्रालय इस साल जनवरी तक अपने संशोधित अनुमानित आवंटन का 83 प्रतिशत खर्च करने में सक्षम है.

समिति ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के लिए बजट अनुमान पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है. मंत्रालय ने इंगित किया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान उसकी महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है.

समिति ने सिफारिश की है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सक्रिय प्रयास करना चाहिए कि उसकी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के भौतिक लक्ष्यों को समय से प्राप्त किया जा सके और अनुमानित बजट के आवंटन का अधिकतम उपयोग किया जा सके.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति पिछले तीन वर्षों के दौरान आवंटित रकम का मंत्रालय द्वारा किए गए उपयोग के तरीकों को संतोषप्रद मानती है.

आने वाले वर्ष में पर्यावरण मंत्रालय का खास ध्यान प्रदूषण नियंत्रण पर रहेगा और इसके लिए समिति ने सिफारिश की है कि सभी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सभी केंद्रीय और राज्य एजेंसियों की निगरानी, जवाबदेही सुनिश्चित करने और कार्यों की निगरानी के लिए एक केंद्रीय तंत्र स्थापित किया जाएगा.

समिति ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रदूषण परियोजनाओं का नियंत्रण किया जाता है और इस गतिविधि को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है.

पृथ्वी विज्ञान मंंत्रालय के बजट में 37 फीसदी की कमी पर समिति ने जताई चिंता

राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को समग्र बजटीय आवंटन में भारी कमी आई है और उसमें 770 करोड़ रुपये या 37 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सोमवार को दोनों सदनों में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिए डिमांड फॉर ग्रांट्स (2021-22) पर अपनी रिपोर्ट रखी.

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय अपने संशोधित अनुमान (आरई) 2020-21 के 86 प्रतिशत से अधिक खर्च करने में सक्षम रहा है, लेकिन उसके बजट अनुमानों (बीई) का केवल 54 प्रतिशत है.

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक 686 करोड़ या 50 फीसदी की कटौती केंद्रीय कार्यक्रमों में की गई है.

यह बताते हुए कि मंत्रालय को कोविड की वजह से अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझना पड़ा है समिति ने मंत्रालय के संसाधनों के प्रबंधन को सराहनीय बताया है.

समिति ने सिफारिश की है कि 350 करोड़ रुपये की न्यूनतम स्वीकारयोग्य (अतिरिक्त) धनराशि को उसकी परियोजनाओं को चलाने के लिए मंत्रालय को उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जैसे कि गहरे समुद्र मिशन, जिसे समिति ने महत्वपूर्ण कहा है.

इसने मंत्रालय को अगले पांच वर्षों में निधि निर्माण के लिए एक खाका विकसित करने की सिफारिश की और धन बचाने व अनुसंधान एवं विकास के लिए धन बचाने के लिए ऑनलाइन सेमिनार और प्रशिक्षण का सुझाव दिया.

आर्कटिक, अंटार्कटिका और दक्षिणी हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति के रणनीतिक महत्व को स्वीकार करते हुए समिति ने यह भी कहा कि चीन ने इन क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान और श्रम शक्ति दोनों में निवेश किया है और भारत को भी ऐसा करने की आवश्यकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq