केंद्र सरकार को कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि व्यापारी चला रहे हैं: राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रीवा में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भूख से फायदा उठाने का एक तरह का नया व्यापार आजकल दुनिया में चल रहा है. भूख का कारोबार तब होगा, जब अनाज क़ब्ज़े में होगा.

राकेश टिकैत. (फोटो: पीटीआई)

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रीवा में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भूख से फायदा उठाने का एक तरह का नया व्यापार आजकल दुनिया में चल रहा है. भूख का कारोबार तब होगा, जब अनाज क़ब्ज़े में होगा.

राकेश टिकैट. (फोटो: पीटीआई)
राकेश टिकैट. (फोटो: पीटीआई)

रीवा/इलाहाबाद: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश सिंह टिकैत ने रविवार को भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि व्यापारी चला रहे हैं.

टिकैत ने मध्य प्रदेश के रीवा में किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार को राजनीतिक पार्टी नहीं चला रही है. इसे व्यापारी चला रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि भूख से फायदा उठाने का एक तरह का नया व्यापार आजकल दुनिया में चल रहा है.

टिकैत ने कहा, ‘इंसान को दिन में दो बार और साल भर में 700 बार भूख लगती है. जब अनाज उनके नियंत्रण में रहेगा तो भूख का कारोबार शुरू कर देंगे.’

उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘इसलिए उन्होंने (केंद्र सरकार ने) कहा कि भूख का कारोबार करो. भूख का कारोबार तब होगा, जब अनाज कब्जे में होगा और अनाज पर व्यापार होगा.’

बता दें कि इससे पहले भी किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि देश में भूख पर व्यापार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

टिकैत ने कहा, ‘राजस्थान और हरियाणा में की कुछ जगहों पर बहुत कम कीमत पर व्यापारियों द्वारा जमीन खरीदे गए और 14 लाख मिट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम बनाए गए, इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानून पेश किए गए.’

उन्होंने कहा, ‘ये गोदाम पहले बनाए गए और केंद्र सरकार के नए कृषि कानून बाद में आए. इसका मतलब यह है कि यह केंद्र सरकार किसी (राजनीतिक) पार्टी की नहीं है, बल्कि व्यापारियों की सरकार है. यह कारोबारियों के हाथों की कठपुतली है.’

किसान नेता ने आगे कहा, ‘हमें इससे छुटकारे के लिए आंदोलन चलाना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘पुराने समय के भाजपा के बड़े नेताओं को भी चुप करा दिया गया है. वे कुछ नहीं बोल रहे हैं. हमें उन्हें भी मुक्त करने के लिए काम करना होगा.’

टिकैत ने कहा, ‘तीन नए कृषि कानूनों से अकेले किसान ही मुसीबत में नहीं हैं. रेलवे को भी बेच दिया गया है. युवाओं को विद्रोह करना चाहिए था, लेकिन वे सोते रहे और देश बिक गया.’

उन्होंने कहा, ‘विपक्ष कमजोर था. विरोध करने का काम तो विपक्ष का था, लेकिन उसका भी मनोबल गिर गया और उसे भी बोलने नहीं दिया गया. (ज्योतिरादित्य की ओर इशारा करते हुए) विपक्ष के कुछ नेता भाग गए और दूसरी पार्टी में जाकर शामिल हो गए. विपक्ष का एक नेता जवान एवं मजबूत था, उसे भी अपने में शामिल कर दिया.’

टिकैत ने केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की तारीफ की और कहा कि इसके कारण पिछले 14 वर्षों में देश में गेहूं की कमी नहीं हुई है.

उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ये लुटेरे देश में (सत्ता) आ गए हैं. हमें इन लुटेरों से लड़ना होगा. वह लुटेरों का आखिरी बादशाह साबित होगा. हम इस बादशाह को बदलने जा रहे हैं.’

हालांकि, अपनी टिप्पणी में उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया.

टिकैत ने कहा कि आने वाले दिनों में समाचारों को छापने एवं दिखाने के लिए भी एक सेंसर बोर्ड बना दिया जाएगा.

कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए उन्होंने लोगों से बाहर आकर जिला स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए कहा है. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को जिलाधिकारी कार्यालयों में बैठना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका गेहूं 1975 रुपये प्रति कुंतल की दर से बेची जाए.

टिकैत ने कहा, ‘किसानों का सम्मान और मजदूरों एवं युवाओं का भविष्य दांव पर है. हमें अपने देश को बचाना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘आंदोलन से हटना है तो माफीनामा भर देना. देश बंधन में है, गुजरात बंधन में है. इसे आजाद कराना है.’

टिकैत ने कहा, ‘आंदोलन करने पड़ेंगे. किसानों की आजादी की लड़ाई है.’

दिसंबर तक चल सकता है किसान आंदोलन: राकेश टिकैत

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में चल रहे किसान आंदोलन के इस साल दिसंबर तक चलने की संभावना है. यह बात भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को यहां कही.

पश्चिम बंगाल का दौरा करने के बाद रविवार को इलाहाबाद पहुंचे टिकैत ने झलवा में संवाददाताओं से कहा, ‘नवंबर-दिसंबर तक इस आंदोलन के चलने की उम्मीद है.’

पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व अपने बंगाल दौरे के बारे में टिकैत ने बताया, ‘दिल्ली से सरकार के लोग पश्चिम बंगाल में किसानों से एक मुट्ठी अनाज मांग रहे हैं. हमने किसानों से कहा कि जब वे चावल दें तो अनाज मांगने वालों से कहें कि वे इस पर एमएसपी भी तय करवा दें और 1850 रुपये का भाव दिला दें.’

उन्होंने कहा, ‘कल हम बंगाल में थे. पूरे देश में जा रहे हैं. हम किसानों से एमएसपी का कानून बनवाने की मांग करने के लिए कह रहे हैं. अभी बिहार में धान 700-900 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया. हमारी मांग है कि एमएसपी का कानून बने और इससे नीचे पर खरीद न हो.’

उन्होंने कहा कि नए कानून से छोटे दुकानदार खत्म हो जाएंगे. केवल दो मॉल रहेंगे. व्यापारी वर्ग खत्म होगा. लघु उद्योग खत्म हो जाएंगे. वालमार्ट जैसी कंपनियों के आने से साप्ताहिक बाजार खत्म हो जाएंगे.

टिकैत ने कहा, ‘यदि सरकार किसी पार्टी की होती तो वह बातचीत कर लेती. लेकिन इस सरकार को तो बड़ी कंपनियां चला रही हैं. इन्होंने पूरा देश बेच दिया. बैंकिंग क्षेत्र, एलआईसी, हवाई अड्डे… देश का सब कुछ बिक गया. अगर जनता पंखे और एसी में सोती रही तो देश बिक जाएगा.’

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले तीन महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.

केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन बेनतीजा रही है, हालांकि केंद्र ने 18 महीनों के लिए कानूनों के निलंबन सहित रियायतें देने की पेश की है, जिन्हें किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)