एसकेएम ने यूएन मानवाधिकार परिषद से कहा, किसानों के अधिकारों का उल्लंघन हैं नए कृषि क़ानून

संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों नए कृषि क़ानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं.

सिंघू बॉर्डर पर जाते आंदोलनकारी किसानों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)

संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों नए कृषि क़ानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता दर्शनपाल ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से कहा कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं.

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के 110वें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सोमवार को अधिकारियों को सौंपा गया, जिसे ‘निजीकरण-विरोधी व्यावसायीकरण-विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया गया.

पाल ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में वीडियो संदेश भेजा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेलवे स्टेशन पर ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित धरने के अलावा अधिकारियों को मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा गया.

ज्ञापन में मांग की गई है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और भारतीय कृषि को कॉरपोरेटाइज करने की नीतियों को वापस लिया जाए और और डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस की कीमतें तुरंत कम की जाएं.

बता दें कि किसान और ट्रेड यूनियन मिलकर 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया था.

डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों के खिलाफ जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपने और निजीकरण के खिलाफ समूचे देश में रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन करने की बात कही गई थी.

इसके अलावा किसान संघों ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 मार्च को अपने आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौके पर भारत बंद का आह्वान किया है.

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले तीन महीने से अधिक समय से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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