राजस्थान: कक्षा 12 की किताब में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ने को लेकर एफ़आईआर दर्ज

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लिए प्रकाशित कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब को लेकर हुआ विवाद. जयपुर में किताब से संबंधित एक उत्तर पुस्तिका प्रकाशित करने वाले प्रकाशन समूह के दफ़्तर में तोड़फोड़ करने के सिलसिले में तीन लोग गिरफ़्तार.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: अभी शर्मा/CC BY 2.0)

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लिए प्रकाशित कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब को लेकर हुआ विवाद. जयपुर में किताब से संबंधित एक उत्तर पुस्तिका प्रकाशित करने वाले प्रकाशन समूह के दफ़्तर में तोड़फोड़ करने के सिलसिले में तीन लोग गिरफ़्तार.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: अभी शर्मा/CC BY 2.0)
(प्रतीकात्मक फोटो साभार: अभी शर्मा/CC BY 2.0)

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में इस्लाम का संबंध कथित तौर पर आतंकवाद से जोड़ने को लेकर किताब प्रकाशित करने वाले समूह के दफ्तर पर हमला कर तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया है.

इतना ही नहीं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड और एक प्रकाशन हाउस के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के संबंध में जयपुर में केस भी दर्ज कराया गया है.

जयपुर के पुराने शहर इलाके में स्थिति निजी प्रकाशन हाउस के दफ्तर पर तोड़फोड़ करने के संबंध में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान मुस्लिम फोरम और सत्तारूढ़ कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राज्य संयोजक मोहसिन राशिद की शिकायत पर आईपीसी की धारा 295ए (जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया कार्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं या उसके धर्म अथवा धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दर्ज किया गया है.

किताब के ‘आतंकवाद, राजनीति का अपराधीकरण और भ्रष्टाचार’ नामक पाठ में सवाल पूछा गया है, ‘इनमें से कौन इस्लामिक आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य नहीं है?’

इसके विकल्प के तौर पर ‘विश्व में मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना’, ‘हिंसक गतिविधियों के माध्यम से पश्चिमी गैर-मुस्लिम शक्तियों का प्रतिरोध’, ‘विश्व में शांति’, ‘दुनिया में इस्लामी कानूनों और सिद्धांतों को लागू करना’ दिए गए हैं.

अगले पेज पर लघु उत्तरीय सवालों में पांचवें नंबर पर पूछा गया है, ‘आप इस्लामिक आतंकवाद के बारे में क्या सोचते हैं?’

रिपोर्ट के अनुसार, यह किताब जयपुर स्थित राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के लिए प्रकाशित की गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (2013-18) के कार्यकाल में यह पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था.

जोधपुर के सरकारी कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. भंवर सिंह राठौड़ इस विवादित किताब के संयोजक, लेखक और अनुवादक के रूप में सूचीबद्ध हैं.

राठौड़ और लगभग एक दर्जन सरकारी प्रोफेसरों और शिक्षकों नाम भी एफआईआर में शामिल हैं, जिन्हें बोर्ड के सदस्य और लेखक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.

इस्लामिक आतंकवाद पर इस सरकारी पाठ्यपुस्तक में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए जयपुर स्थित संजीव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एक उत्तर पुस्तिका में कहा गया है, ‘इस्लामी आतंकवाद इस्लाम का एक रूप है’ और इस विषय पर विस्तार से बताया गया है.

मोहसीन राशिद ने कहा कि उन्होंने अपने घर की लाइब्रेरी के लिए यह किताब खरीदी थी, जब उन्हें इस विवादित संदर्भ की जानकारी मिली.

एफआईआर में राशिद ने कहा है, ‘इस्लाम को सीधे तौर पर आतंकवाद से जोड़ने और उसके बाद लगातार इस्लामिक आतंकवाद का जिक्र कर किताब इस्लाम के खिलाफ घृणा को बढ़ावा दे रही है और धर्म को बदनाम कर रही है. साथ ही वे मुस्लिम छात्रों और समुदाय को उकसाने के अलावा उनकी भावनाएं आहत कर रह रही है.’

एफआईआर के अनुसार, ‘यह मुस्लिम शिक्षकों और छात्रों का भी अपमान है.’ राशिद ने एफआईआर में किताब लिखने और इसे अनुमति देने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

इस बीच जयपुर पुलिस ने मुस्लिम परिषद संस्थान के अध्यक्ष यूनुस चोपदार समेत तीन लोगों को संजीव प्रकाशन के दफ्तर में तोड़फोड़ करने के लिए बीते 17 मार्च को गिरफ्तार किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर के आदर्श नगर इलाके के कांग्रेस विधायक रफीक खान ने 17 मार्च को इस मामले का विधानसभा में उठाते हुए प्रकाशन समूह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. उन्होंने कहा, ‘किसी भी धर्म को इस्लाम के साथ नहीं जोड़ा जा सकता. किताब में धर्म को बिना वजह बदनाम किया गया है.’

राजस्थान के जमात-ए-इस्लामी संगठन ने तोड़फोड़ की निंदा की है और पाठ्यपुस्तक से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की मांग की है.

राजस्थान मुस्लिम फोरम के सदस्य नईम रब्बानी को प्रकाशकों की ओर लिखे गए एक पत्र में माफी मांगी गई है. प्रकाशकों की ओर से कहा गया है कि उन्होंने थोक दुकानदारों को किताब न बेचने को कहा है. संजीव प्रकाशन ने कहा है, ‘उन किताबों को जल्द से जल्द वापस लिया जाएगा और नष्ट कर दिया जाएगा.’