मनसुख हिरेन हत्या: महाराष्ट्र एटीएस का केस सुलझाने का दावा, सचिन वझे को मुख्य आरोपी बताया

व्यवसायी मनसुख हिरेन की कथित हत्या के मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने एक पुलिसकर्मी और एक सट्टेबाज़ को गिरफ़्तार किया है. एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं.

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सचिन वझे. (फोटो साभार: ट्विटर)

व्यवसायी मनसुख हिरेन की कथित हत्या के मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने एक पुलिसकर्मी और एक सट्टेबाज़ को गिरफ़्तार किया है. एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं.

सचिन वझे. (फोटो साभार: ट्विटर)
सचिन वझे. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबई: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मनसुख हिरेन हत्या मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को हस्तांतरित करने की घोषणा के बाद एक दिन महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने घोषणा की कि उसने इस मामले को हल कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड के डीआईजी शिवदीप लांडे ने अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर एक संदेश के साथ साझा की जिसमें लिखा था, ‘अति संवेदनशील मनसुख हिरेन मर्डर केस की गुत्थी सुलझी. मैं अपने पूरे एटीएस पुलिस फ़ोर्स के सभी साथियों को दिल से सैलूट करता हूं जिन्होंने पिछले कई दिनों से रात-दिन एक कर के इस केस में न्याय पूर्ण तरीके से परिणाम निकाला. ये केस मेरे पुलिस कैरियर का अब तक का सबसे जटिल केस में से एक रहा.’

दरअसल, व्यवसायी मनसुख हिरेन की कथित हत्या के मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने एक पुलिसकर्मी और एक सट्टेबाज को गिरफ्तार किया है.

एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं.

उन्होंने कहा कि शनिवार देर रात गिरफ्तार दोनों आरोपियों की पहचान पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर के रूप में हुई है.

अधिकारी ने दिन में सट्टेबाज का नाम नरेश धरे बताया था लेकिन बाद में उसका नाम नरेश गौर बताया गया.

उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा हुआ था. उसके बाद से ही शिंदे वझे के संपर्क में था.

अधिकारी ने बताया कि प्रथमदृष्टया शिंदे ने हिरेन को उपनगर कांदीवली से चार मार्च को फोन किया था और स्वयं को ‘तावड़े साहब’ बताया था. इसके एक दिन बाद ही हिरेन का शव बरामद हुआ था.

हिरेन चार मार्च को ठाणे स्थित अपने आवास से निकला था और उसने अपनी पत्नी विमला को बताया था कि उसे कांदीवली में ‘तावड़े साहब’ ने पूछताछ के लिए बुलाया है.

जांच के अनुसार, उस दिन रात करीब 11 बजे जब विमला और उनके बेटों ने हिरेन को फोन करने की कोशिश की तो उसका फोन बंद जा रहा था.

हिरेन ने दावा किया था कि उसकी एसयूवी चोरी हो गई थी. यह एसयूवी 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के निकट मिली थी. इस वाहन से विस्फोटक सामग्री मिली थी.

वझे फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में हैं.

अधिकारी ने बताया, ‘हिरेन हत्याकांड में सचिन वझे मुख्य आरोपी है. उसने मुख्य भूमिका निभाई है. जांच के दौरान एटीएस को पता चला कि गौर ने एपीआई वझे और शिंदे को अपराध के लिए पांच सिमकार्ड मुहैया कराए थे. शिंदे अवैध गतिविधियों में वझे की मदद किया करता था.’

उन्होंने कहा कि एटीएस जांच कर रही है कि क्या मामले में और लोग भी संलिप्त हैं और उनकी क्या भूमिका रही है.

उन्होंने कहा, ‘एटीएस जांच कर रही है कि मुख्य षड्यंत्रकारी (हिरेन हत्याकांड में) कौन है. दोनों आरोपियों को मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया.’

अधिकारी ने बताया, ‘राज्य एटीएस ने अभी तक कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें पुलिस अधिकारी और मृतक के परिजन शामिल हैं. इन दो लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति है.’

एटीएस ने हिरेन हत्याकांड के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया है.

यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मामले को एनआईए को सौंपे जाने के बाद भी वे कैसे जांच कर रहे हैं, एटीएस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अभी तक मामले के ट्रांसफर का औपचारिक आदेश नहीं मिला है.

एक एटीएस अधिकारी ने कहा, ‘मामले का पूरा विवरण मंगलवार तक एनआईए को स्थानांतरित कर दिया जाएगा.’

एटीएस के एक सूत्र ने कहा कि मामले में मिले तकनीकी सबूतों पर गौर और शिंदे दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. कच्छ निवासी गौर ने गुजरात से अवैध रूप से आठ सिम कार्ड खरीदे और शिंदे को दिए. शिंदे ने मध्यस्थ के रूप में काम किया और वझे को सिम कार्ड सौंप दिए.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सिम कार्ड फरवरी के पहले सप्ताह में वझे को सौंप दिए गए थे. सूत्रों से पता चला है कि हिरेन के हत्यारों ने जब्त किए गए सिम कार्डों में से एक का उपयोग करते हुए खुद को तावड़े बताया था.

गौरतलब है कि 25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से लदी एक एसयूवी मिली थी. कार के मालिक मनसुख हिरेन का पांच मार्च को ठाणे में एक स्थान पर शव मिला था.

पुलिस ने कहा कि वाहन 18 फरवरी को हिरेन के पास से चोरी हो गई थी. ठाणे में विगत शुक्रवार को हिरेन का शव खाड़ी से पाए जाने के बाद मामले में रहस्य और गहरा गया था.

वहीं, मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे को इस मामले में कथित भूमिका के चलते 13 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था. वह हाल तक मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की अपराध खुफिया इकाई से संबद्ध थे.

इस बीच, भाजपा ने कहा कि इस पूरे खेल में वझे सिर्फ एक मोहरा हो सकता है. भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को दावा किया था कि जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब वर्ष 2018 में शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे को बहाल करने के लिए कहा था. उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना ने इस मुद्दे पर उन पर दबाव बनाया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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