56 फ़ीसदी आरटीआई ख़ारिज होने का आधार निजी सूचना और सुरक्षा एजेंसियों को प्राप्त छूट: सीआईसी

एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस क़ानून की धाराओं आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही ख़ारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को ख़ारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.

सीआईसी. (फोटो साभार: पीआईबी)

एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस क़ानून की धाराओं आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही ख़ारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को ख़ारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.

सीआईसी. (फोटो साभार: पीआईबी)
सीआईसी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत 2019-20 में खारिज किए गए आरटीआई आवेदनों में 56 फीसदी को खारिज करने का आधार निजी सूचना के खुलासे तथा सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों को प्राप्त छूट रहा. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

सीआईसी के अनुसार, 2019-20 में विभिन्न जन प्राधिकारों में 13.74 लाख से अधिक आरटीआई आवेदन आए, जो अब तक के सर्वाधिक हैं. यह 2018-19 से 0.3 फीसदी की आंशिक वृद्धि है तथा खारिज करने की दर सबसे कम 4.27 फीसदी रही.

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के वेंकटेश नायक ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बुधवार को बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस कानून की धाराओं- आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही खारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को खारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.

नायक ने बताया कि 2019-20 में सरकारी प्राधिकारियों द्वारा 62,123 आवेदन खारिज किए गए, जिनमें 38,064 आरटीआई कानून के छूट उपबंध के तहत, जबकि 24,059 ‘अन्य’ कारण के तहत अस्वीकार कर दिेए गए.

नायक ने कहा कि जन प्राधिकारों ने आवेदनों को खारिज करने के लिए ‘अन्य’ की संदिग्ध श्रेणी का इस्तेमाल किया, जबकि आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में उसकी वैधता पर सवाल उठाए बगैर ही उसे शामिल कर लिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘आरटीआई अधिनियम की धारा 7 (1) के अनुसार, एक सार्वजनिक सूचना अधिकारी केवल धारा 8 और 9 के तहत निर्दिष्ट कारणों के लिए एक आरटीआई आवेदन को अस्वीकार कर सकता है. इसके लिए धारा 11 और 24 की सूची भी जोड़ी जा सकती है, जो विशिष्ट परिस्थितियों में सूचना तक पहुंच से इनकार करने का वैध आधार भी बनाती है. आरटीआई अधिनियम के तहत अस्वीकृति के लिए कोई अन्य कारण या बहाना स्वीकार्य नहीं है.’

उन्होंने कहा कि आयोग ने खुद 2011-12 की रिपोर्ट में ‘अन्य’ श्रेणी के लिए ‘सघन जांच और निरीक्षण’ को अस्वीकृति का आधार माना था, लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई.

आरटीआई आवेदनों के 12,962 मामलों में आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) और 8,504 मामलों में धारा 24 का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया, जिससे सूचना मांगने वाली दलीलों को खारिज करने के दो प्रमुख आधार बन गए.

नायक ने कहा कि धारा 8 (1) (जे) व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा धारा 24 के तहत आंशिक प्रतिरक्षा का फायदा उठाया गया.

कुल 38,064 आरटीआई आवेदनों में से 56 प्रतिशत से अधिक को जायज कारणों के आधार पर खारिज कर दिया गया.

धारा 24, जो आरटीआई अधिनियम से केवल 26 खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को दी गई आंशिक प्रतिरक्षा से संबंधित है, को अस्वीकार किए गए प्रत्येक पांच आरटीआई आवेदनों में से एक में उद्धृत किया गया है.

उन्होंने कहा कि यह खंड सूचीबद्ध एजेंसियों को विशेष प्रतिरक्षा प्रदान करता है, लेकिन अन्य सरकारी विभागों ने इसे आवेदनों को अस्वीकार करने के लिए उद्धृत किया है.

 

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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