पुदुचेरी: भाजपा पर वोटरों की निजी जानकारी पाने का आरोप, हाईकोर्ट ने कहा- जांच की ज़रूरत

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास अवैध तरीके से मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध है और वे इसका चुनाव में इस्तेमाल कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने इसके चलते चुनाव स्थगित किए जाने के संबंध में निर्वाचन आयोग से जानकारी मांगी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास अवैध तरीके से मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध है और वे इसका चुनाव में इस्तेमाल कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने इसके चलते चुनाव स्थगित किए जाने के संबंध में निर्वाचन आयोग से जानकारी मांगी है.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)
मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उन आरोपों की गंभीरता से जांच किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध होने की बात कही गई है. इसी के साथ अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या जांच पूरी होने तक केंद्र शासित प्रदेश के चुनाव को स्थगित किया जा सकता है?

पुदुचेरी में छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है.

आयोग ने अदालत को बताया कि केवल आरोप लगाने से चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते, हालांकि इसने अदालत को यह भी जानकारी दी कि भाजपा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश संजिब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की पुदुचेरी इकाई के अध्यक्ष ए. आनंद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग से यह सवाल किया.

पीठ ने आयोग से भाजपा पर अवैध तरीके से आधार डेटा का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए करने के आरोपों की जांच होने तक छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव को स्थगित करने की संभावना को लेकर सवाल किया.

लाइव लॉ के मुताबिक पीठ ने कहा कि हो सकता है कि भाजपा की पुदुचेरी ईकाई ने मतदाताओं की निजी जानकारी प्राप्त कर उसका चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया हो.

न्यायालय ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि छठी प्रतिवादी राजनीतिक पार्टी (भाजपा, पुदुचेरी) ने ऐसे चुनावी प्रचार को अपनाया, जिसकी मंजूरी आदर्श आचार संहिता के तहत नहीं मिली हुई है.’

इससे पहले 24 मार्च को हुई सुनवाई के दिन पीठ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था कि ऐसे गंभीर मामले में उनका ये बयान स्वीकार नहीं किया जा सकता कि इस मामले में साइबर क्राइम विभाग जांच कर रहा है.

इस पर आयोग से रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए न्यायालय ने कहा, ‘जब चुनाव आयोग सारे मामले अपने अधीन ले लेता है, ऐसे में इस तरह के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इसकी तत्काल जांच की जानी चाहिए.’

हाईकोर्ट ने 26 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि ये बेहद ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने मतदाताओं की निजी जानकारी लीक होने के आरोपों का पता लगाने के बजाय याचिकाकर्ता पर ही उलटे आरोप लगाया कि उन्होंने इस मामले को संबंधित अथॉरिटी के सामने नहीं रखा.

बाद में चुनाव आयोग ने इस मामले को यूआईडीएआई के संज्ञान में लाया, इस पर न्यायालय ने संस्था को निर्देश दिया कि वे तत्काल ये पता करके बताएं कि कैसे इस तरह की जानकारी किसी राजनीतिक पार्टी के पास पहुंच गई.

कोर्ट ने इस बात को भी नोट किया कि न्यायालय द्वारा इस याचिका को स्वीकार किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने 25 मार्च 2021 को एक नोटिस जारी कर सभी राजनीतिक दलों को चुनाव आचार संहिता का पालन करने का आदेश दिया और कहा कि  पुदुचेरी के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर की मंजूरी के बिना केंद्रशासित प्रदेश में कोई भी भारी संख्या में मैसेज नहीं भेजे जाने चाहिए.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास अवैध तरीके से मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध है और ऐसे में भाजपा ने संबंधित सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए सैकड़ों वॉट्सऐप ग्रुप बनाए हुए हैं.

पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि वह इस मामले में जांच जारी रखे और 31 मार्च को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)