मणिपुर: आलोचना के बाद राज्य सरकार ने वापस लिया म्यांमार शरणार्थियों को रोकने संबंधी आदेश

मणिपुर सरकार द्वारा म्यांमार की सीमा से सटे ज़िलों के उपायुक्तों को 26 मार्च को जारी एक आदेश में सैन्य तख़्तापलट के बाद म्यांमार से भागकर आ रहे शरणार्थियों को आश्रय और खाना देने से इनकार और उन्हें 'शांतिपूर्वक' लौटाने की बात कही गई थी. कड़ी आलोचना के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया.

/
यंगून में तख्तापलट के खिलाफ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी का झंडा लेकर प्रदर्शन करते हुए एक प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)

मणिपुर सरकार द्वारा म्यांमार की सीमा से सटे ज़िलों के उपायुक्तों को 26 मार्च को जारी एक आदेश में सैन्य तख़्तापलट के बाद म्यांमार से भागकर आ रहे शरणार्थियों को आश्रय और खाना देने से इनकार और उन्हें ‘शांतिपूर्वक’ लौटाने की बात कही गई थी. कड़ी आलोचना के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया.

यंगून में तख्तापलट के खिलाफ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी का झंडा लेकर प्रदर्शन करते हुए एक प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)
यंगून में तख्तापलट के खिलाफ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी का झंडा लेकर प्रदर्शन करते हुए एक प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)

इंफाल/आइजोल/नई दिल्ली: मणिपुर सरकार ने म्यांमार की सीमा से सटे जिलों के उपायुक्तों को तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश म्यांमार से भाग कर आ रहे शरणार्थियों को भोजन एवं आश्रय मुहैया कराने के लिए शिविर न लगाने का आदेश दिया, लेकिन तीखी आलोचना और जन आक्रोश की आशंका के चलते तीन दिन बाद इसे वापस ले लिया गया.

चंदेल, तेंगुपाल, कम्जोंग, उखरुल और चूड़ाचांदपुर के उपायुक्तों को 26 मार्च को जारी परामर्श में विशेष सचिव (गृह) एच. ज्ञान प्रकाश ने उन्हें आधार पंजीकरण रोकने के लिए भी कहा है.

इसमें कहा गया है कि पड़ोसी देश म्यांमार में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर ऐसी खबर है कि वहां के नागरिक मणिपुर समेत सीमावर्ती राज्यों के जरिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं.

मणिपुर सरकार द्वारा 26 मार्च को जारी आदेश.
मणिपुर सरकार द्वारा 26 मार्च को जारी आदेश.

परिपत्र में कहा गया है, ‘जिला प्रशासन भोजन एवं आश्रय मुहैया कराने के लिए कोई भी शिविर न खोलें. नागरिक संस्थाओं को भी आश्रय/भोजन मुहैया कराने के लिए कोई शिविर खोलने की अनुमति नहीं है.’

उपायुक्तों को भारत में घुसने की कोशिश करने वाले लोगों को ‘शांति से लौटाने’ की सलाह देते हुए विशेष सचिव ने लिखा कि गंभीर चोटें लगने की स्थिति में मानवीय आधार पर इलाज दिया जाए.

आदेश में यह भी कहा गया था कि आधार का पंजीकरण फौरन रोक दिया जाए और आधार एनरोलमेंट किट को सुरक्षित कस्टडी में रखा जाए.

संयोगवश यह आदेश उसी दिन जारी हुआ था, जिस दिन म्यांमार में सेना द्वारा की हिंसा में सर्वाधिक 114 लोगों की जान गई थी. इसी दिन तख्तापलट करने वाले नेताओं की ओर से आयोजित मिलिट्री परेड में भारत ने अपने प्रतिनिधि भेजे थे.

इसे लेकर लोकतंत्र-समर्थक आंदोलन की तरफ से सवाल उठाया गया था कि ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपने प्रतिनिधियों को उन सैन्य अधिकारियों से हाथ मिलाने भेजा है, जिनके हाथ हमारे खून से रंगे हैं.’

एनडीटीवी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के राजदूत ने केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों से म्यामांर से आने वाले शरणार्थियों को आश्रय देने की अपील की थी, उन्होंने यह भी जोड़ा था कि ‘यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि दोनों देशों (के संबंधों) का लंबा इतिहास रहा है.’

26 मार्च को जारी हुए मणिपुर सरकार के आदेश की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई थी, जहां पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने इसे ‘बेहद शर्मनाक’ बताया था.

कहा जा रहा है कि इसी आलोचना के चलते राज्य सरकार ने पिछले आदेश को रद्द कर 29 मार्च को एक नया आदेश जारी किया है.

शरणार्थियों के प्रवेश को रोकने की कोशिशों के खिलाफ पड़ोसी मिजोरम में बढ़ रहे जन आक्रोश के बाद अधिकारी ने सोमवार को एक अन्य परामर्श जारी करते हुए कहा कि पिछले पत्र में उल्लेखित सामग्री ‘गलत’ थी.

इसमें कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि पत्र की बातों को गलत तरीके से समझा गया. राज्य सरकार सभी मानवीय कदम उठा रही है जिसमें शरणार्थियों को इम्फाल ले जाना, घायलों का इलाज कराना शामिल है. राज्य सरकार हरसंभव मदद मुहैया कराती रहेगी.’

प्रकाश ने कहा, ‘मुझे सरकार का यह फैसला बताने के निर्देश दिए गए हैं कि उसने 26 मार्च को लिखे पत्र को वापस लेने का फैसला किया है.’

मणिपुर सरकार द्वारा 29 मार्च को जारी आदेश.
मणिपुर सरकार द्वारा 29 मार्च को जारी आदेश.

उल्लेखनीय है कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे शरणार्थियों को पनाह देते का अनुरोध किया था और कहा था कि म्यांमार में ‘बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही ’ हो रही है और सेना निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रही है.

गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने बीते एक फरवरी को तख्तापलट कर आंग सान सू ची और अन्य नेताओं को नज़रबंद करते हुए देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी.

म्यांमार की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा था कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है.

सेना का कहना है कि सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रहीं.

पिछले साल नवंबर में हुए चुनावों में सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी, जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई थीं.

म्यांमार के साथ मिजोरम की 510 किलोमीटर की लंबी सीमा लगती है. इस सीमा की रखवाली की जिम्‍मेदारी असम राइफल्‍स के पास है.

इससे पहले द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि मिजोरम सरकार ने शरणार्थियों को आश्रय देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद इन्हें वापस ले लिए गया था.

इस बीच मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने म्यांमार की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के प्रति समर्थन जताया था और म्यांमार की पलट दी गई सरकार के ‘विदेश मंत्री’ ज़िन मार ऑन्ग से मुलाकात भी की थी.

मिजोरम में करीब 1,000 शरणार्थी, 100 को स्वदेश भेजा गया था, लेकिन वे लौट आए: अधिकारी

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से मिजोरम में 1,000 से अधिक नागरिक शरण ले चुके हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पड़ोसी देश से अवैध प्रवास को रोकने के 10 मार्च के दिशा निर्देशों के बाद केंद्र से कोई आदेश नहीं मिला है.

मिजोरम के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से वहां से राज्य में आए शरणार्थियों की संख्या 1,000 पार कर गयी है और कम से कम 100 लोगों को उनके देश वापस भेजा गया था, लेकिन वे छुपकर वापस भारत में प्रवेश कर गए हैं.

मिजोरम के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि म्यांमार से अवैध आव्रजन रोकने के संबंध में 10 मार्च को आए आदेश के बाद से वहां से आने वाले शरणार्थियों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कोई संदेश नहीं मिला है.

अधिकारी ने बताया, ‘गृह विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार सोमवार तक राज्य में म्यांमार के 1,042 नागरिकों ने प्रवेश किया है. इनमें से ज्यादातर सीमावर्ती गांवों में रह रहे हैं और स्थानीय एनजीओ उनकी मदद कर रहे हैं, कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25