गुजरात विधानसभा ने जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में सज़ा के प्रावधान वाला विधेयक पारित किया

गुजरात विधानसभा ने ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंज़ूरी दे दी. इसमें अधिकतम 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है. विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सजा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

विजय रूपाणी. (फोटो: पीटीआई)

गुजरात विधानसभा ने ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंज़ूरी दे दी. इसमें अधिकतम 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है. विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सजा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल. (फोटो: पीटीआई)
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल. (फोटो: पीटीआई)

गांधीनगर: गुजरात विधानसभा ने गुरुवार को उस विधेयक को पारित कर दिया, जिसमें विवाह करके कपटपूर्ण तरीके से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दस साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है.

विधेयक के माध्यम से 2003 के एक कानून को संशोधित किया गया है, जिसमें बलपूर्वक या प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान है.

सरकार के अनुसार, गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 में उस उभरते चलन को रोकने का प्रावधान है जिसमें महिलाओं को धर्मांतरण कराने की मंशा से शादी करने के लिए बहलाया-फुसलाया जाता है.

विधानसभा में मुख्य विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया. भाजपा शासित मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में भी शादी करके जबरन धर्मांतरण कराने पर रोक लगाने वाले इसी तरह के कानून लागू किए गए हैं.

संशोधन के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, दलित या आदिवासी है तो दोषी को चार से सात साल तक की सजा सुनाई जा सकती है और कम से कम तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

यदि कोई संगठन कानून का उल्लंघन करता है तो प्रभारी व्यक्ति को न्यूनतम तीन वर्ष और अधिकतम दस वर्ष तक की कैद की सजा दी जा सकती है. सदन ने दिनभर चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी दे दी.

बता दें बीते फरवरी महीने में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गोधरा में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि उनकी सरकार विधानसभा में लव जिहाद के खिलाफ कानून लाना चाहती है, ताकि हिंदू लड़कियों का अपहरण और धर्मांतरण रोका जा सके.

मालूम हो कि  मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने धर्मांतरण को रोकने के लिए अपने राज्यों में ऐसा कानून लागू किया है. पार्टी के नेता इसे लव जिहाद या शादी के माध्यम से हिंदू महिलाओं का धर्म परिवर्तन करने का षड्यंत्र बताते हैं.

पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने  ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दी थी. इस अध्यादेश के तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 प्रदेश में लागू किया है. इसमें धमकी, लालच, जबरदस्ती अथवा धोखा देकर शादी के लिए धर्मांतरण कराने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.

इस कानून के जरिये शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा दिसंबर में भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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