इंदौर: रेमडेसिविर न मिलने से गुस्साए लोगों ने किया जाम, काला बाज़ारी के आरोप

रेमडेसिविर दवा के इंजेक्शन का कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते इसकी मांग भी बढ़ी है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में लगातार इसे क़ीमत से अधिक दाम पर बेचे जाने की ख़बर आ रही है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

रेमडेसिविर दवा के इंजेक्शन का कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते इसकी मांग भी बढ़ी है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में लगातार इसे क़ीमत से अधिक दाम पर बेचे जाने की ख़बर आ रही है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर दवा के इंजेक्शन नहीं मिलने से आक्रोशित लोगों ने शुक्रवार को यहां बंद दवा दुकान के सामने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया. इसके बाद दवा दुकान के बाहर पर्याप्त तादाद में पुलिस तैनात कर दी गई.

चश्मदीदों ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों के परिजन रेमडेसिविर के इंजेक्शन मिलने की उम्मीद में दवा बाजार की एक दुकान के सामने सूर्योदय के बाद से डट गए थे. लेकिन संचालक ने दुकान ही नहीं खोली.

दवा दुकान के बंद दरवाजे पर पोस्टर चिपका था – ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है.’

चश्मदीदों के मुताबिक जब देर तक दवा दुकान नहीं खुली, तो इसके बाहर बड़ी संख्या में जमा लोगों के सब्र का बांध एकाएक टूट गया और उन्होंने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया.

संयोगितागंज पुलिस थाने के प्रभारी राजीव त्रिपाठी ने बताया, ‘कोविड-19 के मरीजों के परिजनों ने कुछ लोगों के बरगलाए जाने पर दवा दुकान के सामने मुख्य सड़क पर कुछ देर के लिए रास्ता रोका था. लेकिन हमने उन्हें समझा-बुझाकर जल्द ही चक्काजाम खत्म करा दिया.’

मौके पर तैनात थाना प्रभारी ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप नहीं आने से संचालक ने शुक्रवार सुबह दवा दुकान नहीं खोलने का फैसला किया.

बहरहाल, जल्द से जल्द रेमडेसिविर इंजेक्शन हासिल करने के लिए कोविड-19 मरीजों के परिजनों की बेचैनी इस बात से समझी जा सकती है कि सुबह से दवा दुकान बंद होने के बावजूद वे वहां डटे दिखाई दिए.

इन लोगों में शामिल अमन गड़बड़ी (21) अपनी संक्रमित मां के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लेने आए थे. लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी.

गड़बड़ी ने बताया, ‘मैं शुक्रवार सुबह छह बजे से दवा दुकान के बाहर कतार में लगा हूं, जबकि दुकान संचालक ने मेरे पिता को बृहस्पतिवार को टोकन देकर भरोसा दिलाया था कि हमें रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल जाएगा.’

आक्रोशित महाविद्यालयीन छात्र ने कहा, ‘अधिकारी हमसे कह रहे हैं कि अभी जब रेमडेसिविर इंजेक्शन है ही नहीं, तो इसे कैसे प्रदान किया जा सकता है. क्या हमने यही बात सुनने के लिए सरकार चुनी थी?’

बता दें कि इससे पहले भी अधिकारियों ने कहा था कि जिले में एंटी वायरल दवा की 7,000 शीशियों की दैनिक मांग के मुकाबले, वर्तमान में उस संख्या से आधे से भी कम हो रहे हैं.

अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) अभय बेडेकर ने कहा था, ‘वर्तमान में विभिन्न दवा कंपनियों के लगभग 3000 शीशियों के रेमेडिसविर इंजेक्शन प्रतिदिन इंदौर आ रहे हैं, जबकि जिले में इसकी दैनिक मांग लगभग 7,000 शीशियों की है. इसलिए वास्तविक मांग के विपरीत केवल आधी आपूर्ति हो रही है.’

नई दुनिया के मुताबिक, इस दवा की किल्लत के कारण इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है. देश में रेमडेसिविर का इंजेक्शन 800-900 रुपये में मिल रहा है तो बाकी कंपनियां यही इंजेक्शन चार हजार से लेकर 5,400 रुपये तक बेच रही हैं.

बीते छह अप्रैल को कलेक्टर ने इस इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हो रहा है.

इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने आदेश दिया है कि इंजेक्शन को आधार और फोटो आईडी के आधार पर ही दिया जाएगा. इसके साथ ही लोगों को पॉजिटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी और डॉक्टरों की पर्ची भी जरूरी होगी. ड्रग इंस्पेक्टर नियम अनुसार दवाई सप्लाई हो रही है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग करेंगे.

गोमा की फेल (मालवा मिल) के रहने वाले सनी ने बताया था, ‘मैं दो दिन से इंजेक्शन के लिए भटक रहा हूं. आज जाकर इंजेक्शन मिला है. वह भी जुगाड़ लगाने से. 899 रुपये की कीमत का एक इंजेक्शन सात हजार रुपये में मिला है. परिजन को बचाना है तो ऐसे ही इंजेक्शन की जुगाड़ करनी पड़ेगी.’

बेटमा के ओमप्रकाश कुशवाह ने बताया, ‘मेरी माताजी क्लाथ मार्केट अस्पताल में भर्ती है. जिन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना है लेकिन मैं शहर में भटक रहा हूं. मुझे इंजेक्शन नहीं मिल रहा है.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से महाराष्ट्र भी जूझ रहा है

महाराष्ट्र में कोविड-19 के मामले बेतहाशा बढ़ने के साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शनों की मांग बढ़ गई है. रेमेडिसविर दवा की भारी कमी की वजह से यहां मेडिकल स्टोर्स के बाहर इस दवा के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं.

अमर उजाला के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को रेमडेसिविर की कीमत प्रति शीशी 1,100 से 1,400 रुपये तय की और इसकी जमाखोरी तथा कालाबाजारी के खिलाफ चेतावनी दी है, लेकिन फिर भी इसे 5500 से 6000 रुपये में बेचा जा रहा है.

एक अधिकारी ने गुरुवार को जोगेश्वरी से एमआरपी से अधिक कीमत पर रेमेडिसविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में एक मेडिकल स्टोर के मालिक को गिरफ्तार किया था.

डिप्टी कलेक्टर संजय कुडेकर ने बताया कि एक शिकायत के आधार पर बुधवार की रात मेडिकल स्टोर पर एक जाल बिछाया गया और आरोपी विजय हेक को वास्तविक से ज्यादा दाम पर रेमडेसिविर की शीशियां बेचते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया. उसके पास से रेमडेसिविर की 12 शीशियां बरामद की गईं.

इसके अलावा एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि अपराध शाखा ने सरफराज हुसैन को बृहस्पतिवार शाम को अंधेरी (पूर्व) से पकड़ा और उसके पास से भी कुछ रेमडेसिविर के इंजेक्शन बरामद किए.

अधिकारी ने बताया कि अपराध शाखा को सूचना मिली थी कि एक शख्स संक्रमण रोधी दवा को अवैध रूप से बेचने की कोशिश कर रहा है जिसके बाद उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया.

उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान अपराध शाखा को जोगेश्वरी और अंधेरी से रेमडेसिविर की कम से कम 272 शीशियां मिलीं.

आजतक के मुताबिक, महाराष्ट्र के नांदेड जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिला पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार शेवाले ने बताया कि ये लोग चार हजार रुपये कीमत के रेमडेसिविर इंजेक्शन को 8-8 हजार रुपये में बेच रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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