बंगाल: भाजपा नेता राहुल सिन्हा के चुनाव प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक, दिलीप घोष को नोटिस

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के विरोध में कोलकाता में धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी. कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि बंगाल में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, माहौल भाजपा और तृणमूल के ख़िलाफ़. टीएमसी नेता फ़िरहाद हाकिम ने कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ाने के लिए उन्हें निशाना बना रही है भाजपा. असम में एआईयूडीएफ ने दावा किया कि भाजपा के पांच-छह उम्मीदवार उनके संपर्क में हैं.

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राहुल सिन्हा और दिलीप घोष. (फोटो साभार: एएनआई/पीटीआई)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के विरोध में कोलकाता में धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी. कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि बंगाल में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, माहौल भाजपा और तृणमूल के ख़िलाफ़. टीएमसी नेता फ़िरहाद हाकिम ने कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ाने के लिए उन्हें निशाना बना रही है भाजपा. असम में एआईयूडीएफ ने दावा किया कि भाजपा के पांच-छह उम्मीदवार उनके संपर्क में हैं.

राहुल सिन्हा और दिलीप घोष. (फोटो साभार: एएनआई/पीटीआई)
राहुल सिन्हा और दिलीप घोष. (फोटो साभार: एएनआई/पीटीआई)

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा की कथित टिप्पणी के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर मंगलवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी मानव जीवन का उपहास उड़ाने वाली और बेहद भड़काऊ थी.

वहीं आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है, जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था, ‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी.’

आयोग ने कहा है कि इस तरह के बयानों का कानून-व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा.

आयोग ने सिन्हा के बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के सीतलकूची में केंद्रीय सुरक्षा बलों को चार लोगों के बजाय आठ लोगों की हत्या कर देनी चाहिए थी.

निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘मानव जीवन का उपहास उड़ाते हुए उन्होंने बेहद भड़काऊ टिप्पणी की और बलों को भड़काने का काम किया जिससे कानून-व्यवस्था के गंभीर नतीजे हो सकते हैं.’

निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेताओं की टिप्पणी को आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व कानून के विभिन्न प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धाराओं का उल्लंघन बताया है.

निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार सिन्हा पर यह पाबंदी मंगलवार दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजे तक बनी रहेगी.

आयोग ने कहा कि उसने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिन्हा को बिना कोई नोटिस जारी किए आदेश जारी किया है.

आयोग ने सिन्हा के बयान का स्वत: संज्ञान लिया.

आदेश में घटना के बाद सिन्हा के बयान का जिक्र किया गया है, ‘केंद्रीय बलों को उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. अगर वे फिर से ऐसा करते हैं तो फिर उसी तरह कड़ाई से निपटना चाहिए. केंद्रीय बलों को सीतलकूची में चार के बजाय आठ लोगों को मारना चाहिए था. केंद्रीय बलों को एक कारण बताओ नोटिस जारी होना चाहिए कि उन्होंने केवल चार लोगों को क्यों मारा.’

आदेश के अनुसार, ‘निर्वाचन आयोग भाजपा नेता राहुल सिन्हा के उपरोक्त बयानों की निंदा करता है और उन्हें आगे चुनाव आचार संहिता लागू रहने के दौरान सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान नहीं देने की चेतावनी देता है.’

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को सोमवार को 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था. केंद्रीय बलों के खिलाफ बयान देने के लिए आयोग ने यह कदम उठाया.

आयोग ने एक अन्य आदेश में भाजपा के नंदीग्राम से उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी को इस बयान के लिए डांट लगाई कि ‘लोगों ने अगर बेगम को वोट दिया तो यहां मिनी पाकिस्तान बन जाएगा.’ लेकिन निर्वाचन आयोग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की.

आयोग ने सोमवार रात जारी आदेश में कहा, ‘आयोग शुभेंदु अधिकारी को चेतावनी और सलाह देता है कि जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है तब तक इस तरह की टिप्पणी से बचें.’

आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है, जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था कि ‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी.’

आयोग ने कहा कि घोष के बयान उकसावे वाले हैं और इनके कारण कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ सकते हैं.

आयोग ने घोष को नोटिस का जवाब देने और इन टिप्पणियों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बुधवार सुबह दस बजे तक का समय दिया है.

नोटिस में कहा गया है कि आयोग का ऐसा मानना है कि दिलीप घोष ने आचार संहिता के विभिन्न उपबंधों, जन प्रतिनिधि कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ऐसे बयान दिए जो उकसावे वाले हैं और भावनाओं को भड़का सकते हैं.

नोटिस के मुताबिक, ‘इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है और चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.’

निर्वाचन आयोग से घोष की शिकायत तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई थी.

नोटिस में घोष की उस कथित टिप्पणी का जिक्र है, जिसमें कहा गया था, ‘यदि कोई अपनी सीमाओं को पार करेगा तो आपने देखा ही है कि सीतलकूची में क्या हुआ. सीतलकूची जैसी घटना कई स्थानों पर होगी.’

उल्लेखनीय है कि घोष ने रविवार को कहा था कि यदि ‘सीतलकूची में मारे गए दुष्ट लड़कों की तरह’ किसी ने कानून हाथ में लेने का प्रयास किया तो विधानसभा चुनावों के अगले चरण में भी कूचबिहार की तरह हत्याएं हो सकती हैं.

उत्तर 24 परगना जिले के बारानगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जिन दुष्ट लड़कों ने समझ रखा था कि केंद्रीय बलों की राइफलें चुनावी ड्यूटी के दौरान केवल दिखावे के लिए हैं, ऐसे लोग सीतलकूची की घटना देखने के बाद यह गलती दुहराने का साहस नहीं करेंगे.

चौथे चरण के मतदान के दौरान कूच बिहार जिले के सीतलकूची क्षेत्र के जोरपाटकी गांव में कथित तौर पर स्थानीय लोगों की तरफ से केंद्रीय बलों पर कथित हमले और उसके बाद जवानों द्वारा की गई फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने तब फायरिंग की जब गांववालों ने एक 12 साल के बच्चे पर सीआईएसएफ जवानों द्वारा हमले की अफवाह के बाद उन्हें घेर लिया था.

इस घटना से राजनीतिक तूफान आ गया है. केंद्रीय बल का दावा है कि गोली ‘आत्मरक्षा’ में चलाई गई है. वहीं टीएमसी ने इसे मतदाताओं को डराने के लिए सोच-समझकर की गई हत्या बताया है.

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहा है. बीते 10 अप्रैल को चौथे चरण का मतदान हुआ था.

अपने चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के विरोध में कोलकाता में धरने पर बैठीं ममता

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने उनके चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे की पाबंदी के निर्वाचन आयोग के ‘अंसवैधानिक’ फैसले के विरोध में मंगलवार को शहर के मध्य में करीब साढ़े तीन घंटे तक धरना दिया.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)
ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

ममता पिछले महीने चोटिल होने के कारण मंगलवार को ह्वीलचेयर पर बैठकर दिन में करीब 11 बजकर 40 मिनट पर कोलकाता के मायो सड़क पहुंचीं और उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट बैठकर धरना शुरू किया. इस दौरान सुरक्षा बलों ने उस क्षेत्र को घेर रखा था.

धरने के समय तृणमूल के किसी नेता या समर्थक को उनके पास नहीं देखा गया.

इस संबंध में सवाल किए जाने पर तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘प्रदर्शन स्थल के निकट किसी पार्टी नेता को जाने की अनुमति नहीं थी. वह वहां अकेली धरने पर बैठीं.’

ममता ने विरोधस्वरूप अपने गले में एक काला स्कार्फ लपेट रखा था. धरना के दौरान उन्होंने पेंटिंग की. पेंटिंग करना उनके पसंदीदा शौक में से एक है.

निर्चाचन आयोग ने ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के खिलाफ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के कारण 24 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है.

इस फैसले की निंदा करते हुए ममता ने ट्वीट किया था, ‘निर्वाचन आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में मैं कल (मंगलवार) दिन में 12 बजे से कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास धरने पर बैठूंगी.’

तृणमूल प्रमुख मंगलवार को रात आठ बजे के बाद बारासात और बिधाननगर में दो रैलियों को संबोधित करेंगी.

शहर में धरना देने को लेकर ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल नेता के मन में चुनाव निकाय के लिए कोई सम्मान नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे उदाहरण हैं जब निर्वाचन आयोग ने हमारे नेताओं के चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया. हमने हमेशा निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्मान किया है. उन्होंने (ममता बनर्जी ने) जो किया, वह अस्वीकार्य है.’

स्टालिन ने ममता का समर्थन किया, निर्वाचन आयोग से ‘निष्पक्ष’ रहने को कहा

चेन्नई: चुनाव प्रचार पर निर्वाचन आयोग के रोक लगाने पर धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों के लिए समान मौके सुनिश्चित करने चाहिए और निष्पक्षता बनाई रखनी चाहिए.

स्टालिन ने कहा कि लोकतंत्र में सबका विश्वास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के कारण है.

ट्विटर पर द्रमुक प्रमुख ने कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए समान मौके सुनिश्चित करने चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्पक्षता बनाई रखी जाए.

बंगाल में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, माहौल भाजपा और तृणमूल के खिलाफ: हरि प्रसाद

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरि प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला है और इसके नतीजे चौंकाने वाले होंगे, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा के खिलाफ तथा कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में जबरदस्त माहौल है.

बीके हरिप्रसाद. (फोटो साभार: फेसबुक)
बीके हरिप्रसाद. (फोटो साभार: फेसबुक)

पश्चिम बंगाल प्रदेश में बतौर पर्यवेक्षक कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन और समन्वय की जिम्मेदारी देख रहे हरि प्रसाद ने इन दावों को भी खारिज कर दिया कि पार्टी पूरी ताकत से चुनाव नहीं लड़ रही है.

उन्होंने आरएसएस का संदर्भ देते हुए दावा किया कि यह सब ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ की ओर से फैलाया गया दुष्प्रचार है.

हरि प्रसाद ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस के सभी नेता एवं कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं तथा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार करेंगे.

उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब ऐसी खबरें हैं कि राहुल गांधी बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में पहली बार प्रचार कर सकते हैं. हरि प्रसाद इस चुनाव के लिए कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रभारी की भूमिका भी निभा रहे हैं क्योंकि स्थायी रूप से यह जिम्मेदारी निभा रहे जितिन प्रसाद इन दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.

यह पूछे जाने पर कि अगर जरूरत पड़ी तो क्या कांग्रेस सरकार गठन के लिए तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देगी, हरि प्रसाद ने इसे ‘काल्पनिक प्रश्न’ करार दिया. उन्होंने हालांकि यह जरूर कहा कि विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुशंसा करेंगे तथा पार्टी अध्यक्ष की तरफ से कोई फैसला होगा.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस वाम दलों और नयी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन कर पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ रही है.

हरि प्रसाद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में अब तक सीएए, एनआरसी और किसानों के मुद्दों पर बात नहीं की है. अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें इनके बारे में बात करनी चाहिए.’

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा के खिलाफ तथा कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में जबरदस्त माहौल है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे.

बंगाल में भाजपा के सत्ता में आने के बाद गोरखा समस्या का समाधान हो जाएगा: अमित शाह

दार्जिलिंग/नगराकटा: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के सत्ता में आने पर लंबे समय से चली आ रही ‘गोरखा समस्या’ का राजनीतिक समाधान ढूंढने का मंगलवार को आश्वासन दिया.

अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)
अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

शाह ने दार्जिलिंग में एक जनसभा के दौरान कहा कि देश का संविधान ‘विस्तृत’ है और इसमें सभी समस्याओं के हल का प्रावधान है.

शाह ने कहा, ‘मैं वादा करता हूं कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार- एक केंद्र में और दूसरी बंगाल में- गोरखा समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान निकाल लेगी. आपको अब प्रदर्शनों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा.’

हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस समस्या की बात कर रहे हैं.

गोरखा समुदाय बहुत समय से एक अलग राज्य की मांग कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसे लेकर कई आंदोलन भी किए गए हैं.

गोरखा समुदाय को भारत का गौरव बताते हुए शाह ने कहा कि कोई उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता.

उन्होंने कहा, ‘अभी के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोई योजना नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता भी है तो गोरखा समुदाय को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है.’

शाह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में विकास कार्य पर ‘पूर्ण विराम’ लगा दिया है और कहा कि यह वह स्थान है, जहां सत्तारूढ़ टीएमसी के नेता फुर्सत में आते हैं.

बनर्जी हाल के दिनों में कई बार दार्जिलिंग आई थीं लेकिन उन्होंने क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटों के लिए कोई प्रचार नहीं किया. क्षेत्र में 17 अप्रैल को मतदान होगा.

शीर्ष भाजपा नेता ने दावा किया कि टीएमसी सु्प्रीमो ने ‘कुछ’ गोरखाओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलवाकर भाजपा और गोरखा समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को खराब करने की कोशिश की.

शाह ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘दीदी ने कई की हत्या करवाई और कई के खिलाफ मामले चलवाए. भाजपा सत्ता में आने के बाद ऐसे लोगों के अपराध क्षमा करेगी.’

भाजपा के पूर्व सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग 2017 में हिंसक आंदोलन का कथित तौर पर नेतृत्व करने के बाद उनके खिलाफ लगाए गए कई आपराधिक आरोपों के बाद बहुत दिन तक भूमिगत रहे थे. पिछले साल अक्टूबर में सामने आने के बाद उन्होंने टीएमसी से हाथ मिला लिया था.

राज्य प्रशासन ने इनमें से कुछ मामलों को वापस लेने के लिए अब अदालत का रुख किया है.

शाह ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों और कांग्रेस को बाहरी लोगों पर निर्भर होना पड़ा है.

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाह को अकसर ‘बाहरी’ बताकर उनपर हमला करती हैं.

शाह ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो बनर्जी उन्हें और मोदी को बाहरी बताती हैं लेकिन उनकी पार्टी अवैध प्रवासियों के वोट पर निर्भर है.

जलपाईगुड़ी जिले में आयोजित एक रैली में शाह ने कहा, ‘क्या मैं बाहरी हूं? क्या मैं इस देश का नागरिक नहीं हूं? दीदी देश के प्रधानमंत्री को बाहरी बताती हैं.’

भाजपा के शीर्ष नेता ने कहा, ‘दीदी मैं आपको बताता हूं कि बाहरी कौन है. कम्युनिस्टों ने अपनी विचारधारा चीन और रूस से आयात की है. कांग्रेस नेतृत्व भी बाहरी है- यह इटली से आया है.’

उन्होंने कहा, ‘और तृणमूल कांग्रेस का वोट बैंक बाहरी है- अवैध प्रवासी.’

शाह ने कहा कि उनका जन्म इस देश में हुआ है और वह यहीं की मिट्टी में मिल जाएंगे. उन्होंने पूछा, ‘तो फिर मैं कैसे बाहरी हुआ?’

ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ाने के लिए मुझे निशाना बना रही है भाजपा: फिरहाद हाकिम

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के विश्वनीय समझे जाने वाले नेता फिरहाद हाकिम ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति को और आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत उनकी धार्मिक पहचान को निशाना बना रही है.

फिरहाद हाकिम. (फोटो साभार: फेसबुक)
फिरहाद हाकिम. (फोटो साभार: फेसबुक)

हाकिम ने भाजपा के इस दावे की आलोचना की कि वह राज्य को ‘मिनी पाकिस्तान’ बना देंगे.

उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रवादी हैं और राजनीति के धुव्रीकरण की कोशिश भारतीय संविधान की भावना के विपरीत है.

हाकिम ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘मैं एक राष्ट्रवादी हूं और मैं शत-प्रतिशत भारतीय हूं.’

हाकिम ने कहा कि उनके पिता उन्हें ‘बॉबी’ कहते थे. उनका यह नाम ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बॉबी सिम्पसन के नाम पर रखा गया है.

उन्होंने कहा, ‘मैं एक भारतीय के रूप में अंतिम सांस लूंगा और मेरी कब्र इसी जमीन पर होगी. वे (भाजपा) ध्रुवीकरण के लिये एक व्यक्ति को मुसलमान या पाकिस्तानी करार देते हैं. यह संविधान (की भावना), भारत के गौरव और मूल्यों के खिलाफ है.’

हाकिम ने कहा, ‘भाजपा को (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और (केंद्रीय गृह मंत्री अमित) शाह की संयुक्त साझेदारी चला रही है. उन्होंने ममता दीदी और हमारी पार्टी के अन्य नेताओं पर व्यक्तिगत हमले करके चुनाव का स्तर बहुत गिरा दिया है. केवल व्यक्तिगत हमले करना राजनीति नहीं हो सकती. पश्चिम बंगाल के लिए उनके पास क्या एजेंडा है?’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा के इशारे पर केंद्रीय एजेंसियां चुनाव में सक्रिय हैं.’

हाकिम ने दावा कि उनके कई पार्टी सहयोगी भाजपा में इसलिए शामिल हो गए क्योंकि भगवा दल ने ‘केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके फंसाने’ की धमकी देकर उन्हें ‘डराया और ब्लैकमेल’ किया.

हाकिम ने कहा, ‘बंगाल में भाजपा का प्रभाव बढ़ना बहुत खतरनाक है. इसका कारण यह है कि भाजपा का मतलब सांप्रदायिकता, गतिरोध, बेरोजगारी है. भाजपा का उदय वाम शासन से भी अधिक खतरनाक है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस साल के विधानसभा चुनाव को पहले के चुनावों की तुलना में मुश्किल समझते हैं, हाकिम ने कहा, ‘आप क्या इसे चुनाव कहते हैं? हमने माकपा के खिलाफ जो चुनाव लड़ा था, वह राजनीतिक था, लेकिन अब कोई राजनीति नहीं है. भाजपा की रणनीति झूठी अफवाहें फैलाना है और वे किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. वे दुष्प्रचार के लिए मीडिया, सोशल नेटवर्किंग मंचों आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ भाजपा कार्यकर्ता मेरे विधानसभा क्षेत्र आए और उन्होंने कहा कि बॉबी हाकिम (बांग्लादेश की राजधानी) ढाका का मूल निवासी है. यह दर्शाता है कि वे मेरे क्षेत्र में किस प्रकार ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं. वे मूर्खों की दुनिया में रहते हैं.’

उन्होंने चुनाव में बनर्जी को पूर्ण बहुमत मिलने का भरोसा जताया.

ममता की हालत हारे हुए खिलाड़ी जैसी: नड्डा

कोलकाता: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तृणमूल कांग्रेस के नारे ‘खेला होबे’ पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हालत एक ‘हारे हुए खिलाड़ी’ जैसी है.

नड्डा ने पूर्व बर्धमान जिले के कालना में एक रोड शो का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि भाजपा और निर्वाचन आयोग की ओर उंगली उठा रहीं, उन पर आरोप लगा रहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख यह भूल गई हैं कि क्या उन्होंने राज्य के लोगों के लिए कुछ ऐसा किया है जिसका कि वह श्रेय ले सकें.

नड्डा ने कहा, ‘ममता की हालत खेल में हारे हुए खिलाड़ी जैसी है. उन्होंने सालों तक राज्य की जनता के साथ केवल अन्याय किया, लेकिन भाजपा अगर सत्ता में आती है तो यहां विकास लाएगी, महिलाओं पर अत्याचार रोकेगी और युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करेगी.’

नड्डा ने कहा, ‘ममता बनर्जी की जबरन वसूली, तुष्टिकरण की राजनीति, उनका तानाशाही भरा बर्ताव और उनकी पार्टी द्वारा चलाए गए रिश्वत के चलन ने राज्य को बरबाद कर दिया है.’

कूच बिहार: माकपा नेता ने कहा- सीआईएसएफ को क्लीनचिट काल्पनिक रिपोर्टों पर दी गई

कोलकाता: वाम दलों, कांग्रेस और आईएसएफ के गठबंधन संयुक्त मोर्चा ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग की सत्यनिष्ठा पर कभी सवाल खड़ा नहीं होना चाहिए. साथ ही यह जानना चाहा कि कूच बिहार गोलीबारी की घटना का कोई वीडियो उपलब्ध नहीं है, ऐसे में आयोग को सीआईएसएफ के पक्ष का समर्थन करने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया.

बिमान बोस. (फोटो: पीटीआई)
बिमान बोस. (फोटो: पीटीआई)

पुलिस के मुताबिक, कूच बिहार के सीतलकूची इलाके में शनिवार को एक मतदान केंद्र के बाहर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों द्वारा कथित तौर पर सुरक्षाकर्मियों की राइफलें छीनने की कोशिश किए जाने के बाद यह घटना हुई थी.

चुनाव आयोग ने सीआईएसएफ जवानों को क्लीन चिट दे दी थी और कहा कि उन्हें अपनी आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी.

माकपा के वरिष्ठ नेता बिमान बोस के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार दिन में मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब से मुलाकात की.

बोस ने दलील दी कि चुनाव आयोग की रिपोर्ट काल्पनिक रिपोर्टों पर आधारित है, जो जिला प्रशासन और कूच बिहार के पुलिस अधीक्षक ने सौंपी थी.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा क्यों है कि किसी ने भी घटना का मोबाइल फोन पर वीडियो नहीं बनाया? मीडियाकर्मी से लेकर आम आदमी तक हर किसी के पास स्मार्टफोन है. चुनाव आयोग ने कहा कि केंद्रीय बलों को गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा था, लेकिन जिलाधिकारी और एसपी की रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है. ’

प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात के बाद कहा, ‘लोगों का चुनाव आयोग में विश्वास कम हो रहा है.’

कूच बिहार गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के लिए अदालत में जनहित याचिकाएं दायर

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के सीतलकूची इलाके में सीआईएसएफ जवानों द्वारा गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के अनुरोध को लेकर सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं.

उक्त घटना में चार व्यक्तियों की मौत हो गई थी.

एक याचिकाकर्ता के वकील फिरदौस शमीम ने कहा कि अदालत से अनुरोध किया गया है कि सीआईएसएफ की उस कंपनी को पश्चिम बंगाल में चुनाव की ड्यूटी से हटाने का आदेश दिया जाए, जिसके जवानों ने सीतलकूची में गोली चलाई थी.

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया कि 10 अप्रैल को हुई घटना की न्यायिक जांच कराई जाए. एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील रविशंकर चटर्जी ने बाद में कहा कि इस मामले को एक खंडपीठ के सामने शुक्रवार को पेश किया जा सकता है, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश टीबीएन. राधाकृष्णन करेंगे.

बंगाल: छठे चरण में 28 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के छठे चरण में 306 उम्मीदवारों में 28 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है. गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एडीआर ने छठे चरण में जिन 43 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं वहां के सभी 306 उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया.

राज्य में छठे चरण का चुनाव 22 अप्रैल को होने वाला है.

एडीआर ने कहा, ‘306 उम्मीदवारों में 87 (28 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है और 71 (23 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है.’

एडीआर ने उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों के आधार पर कहा कि पार्टीवार दृष्टिकोण से माकपा के 61 प्रतिशत, भाजपा के 58 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 56 प्रतिशत, कांग्रेस के 42 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 उम्मीदवारों ने महिलाओं के साथ कथित अपराध करने के अपने खिलाफ मामले होने की घोषणा की है. इन 19 मामलों में एक मामला बलात्कार का है.

रिपोर्ट के मुताबिक छठे चरण में 27 प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं.

असम: एआईयूडीएफ का दावा- भाजपा के पांच-छह उम्मीदवार हैं संपर्क में

गुवाहाटी/सिलचर: ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने मंगलवार को दावा किया कि हाल में खत्म हुए असम विधानसभा चुनाव में भाजपा के पांच-छह उम्मीदवारों ने पार्टी से संपर्क कर कांग्रेस नीत महागठबंधन का समर्थन करने का वादा किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

एआईयूडीएफ भी कांग्रेस नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा है.

भगवा पार्टी द्वारा खरीद-फरोख्त की आशंका के कारण पिछले सप्ताह जयपुर भेजे गए करीब 20 एआईयूडीएफ उम्मीदवारों में से एक करीम उद्दीन बरभुइया ने कहा, ‘भाजपा के पांच-छह उम्मीदवारों ने मुझसे संपर्क कर महागठबंधन का समर्थन करने की बात कही है.’

भाजपा के किन उम्मीदवारों ने संपर्क किया है, यह पूछे जाने पर एआईयूडीएफ के महासचिव बरभुइया ने कहा, ‘अभी नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता. आपको दो मई (मतगणना) के बाद पता चल जाएगा.’

हालांकि भाजपा ने इन दावों को खारिज किया है.

क्या वे बराक या ब्रह्मपुत्र घाटी के भाजपा उम्मीदवार हैं, इस सवाल पर एआईयूडीएफ नेता ने कहा, ‘वे समूचे असम से हैं.’

जीत के बाद भाजपा उम्मीदवारों के महागठबंधन का समर्थन करने की स्थिति में उन पर दल-बदल कानून लागू हो जाएगा, यह उल्लेख करने पर एआईयूडीएफ नेता ने कहा, ‘वे फिर से चुनाव लड़ेंगे.’

खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते एआईयूडीएफ के 20 उम्मीदवारों को कुछ दिन पहले राजस्थान भेजने संबंधी खबरों से बरभुइया ने इनकार किया और दावा किया कि सघन चुनाव अभियान के बाद वे सैर-सपाटे के लिए और अजमेर शरीफ दरगाह गए थे.

बरभुइया ने कहा कि वह सोमवार को असम लौट आए तथा बाकी नेता भी बुधवार को वापस आएंगे.

बहरहाल भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने एआईयूडीएफ के दावों का पुरजोर खंडन करते हुए कहा, ‘‘हमारा कोई भी उम्मीदवार विपक्षी दल के संपर्क में नहीं है. हमारी पार्टी अनुशासित है और इसके सदस्य पार्टी नेतृत्व को बताए बिना किसी दूसरे राजनीतिक दल से संपर्क नहीं करते.’

गोस्वामी ने कहा, ‘एआईयूडीएफ से संपर्क करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि भाजपा असम में चुनाव जीतेगी और सरकार बनाएगी.’

गोस्वामी ने तंस कसते हुए कहा, ‘देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई राजनीतिक दल चुनाव परिणाम की घोषणा के पहले ही उम्मीदवारों द्वारा संपर्क किए जाने का दावा कर रहा है.’

असम की 126 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव 27 मार्च से छह अप्रैल के बीच तीन चरणों में हुआ और दो मई को मतगणना होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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