तीन सालों में 131 आत्महत्याओं के बाद सीआरपीएफ ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी वर्कशॉप शुरू की

सीआरपीएफ ने पहली बार मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे जवानों की मदद के लिए कदम उठाया है. बताया गया है कि यहां जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को अच्छी तरह समझ पाएं और परिवार एवं फोर्स के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर पाएं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सीआरपीएफ ने पहली बार मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे जवानों की मदद के लिए कदम उठाया है. बताया गया है कि यहां जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को अच्छी तरह समझ पाएं और परिवार एवं फोर्स के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर पाएं.

(फोटो: रॉयटर्स)
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नई दिल्ली: आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने ऐसे वर्कशॉप के आयोजन की शुरूआत की है, जिससे इस तरह की समस्या से पीड़ित जवानों की मदद हो सके. सीआरपीएफ ने पहली बार इस तरह का कदम उठाया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इसमें मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे इससे उबर सकें. इसके अलावा उनके परिवारिक जीवन को बेहतर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे, ताकि वे अपने परिवार के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकें.

मालूम हो कि पिछले तीन सालों में सीआरपीएफ के 131 जवानों ने आत्महत्या की है.

ऐसे कार्यक्रमों को जरूरी बताते हुए इंस्पेक्टर जनरल (श्रीनगर सेक्टर) सीआरपीएफ, चारू सिन्हा ने कहा कि जब एक जवान ज्यादातर समय अपने परिवार के जीवन बिताता है, तो ऐसी स्थिति में संवाद स्थापित करने और संबंधों को सामान्य करने में समस्या होती है.

उन्होंने कहा, ‘परिवार के भीतर ऐसी समस्याएं अपरिहार्य हो जाती हैं. उनमें से कोई भी यह नहीं जानता कि इसे कैसे ठीक किया जाए. घर में रिश्तों को लेकर असंतोष हो जाता है. कैंप के भीतर रहने वाले लोगों के लिए भी यह आसान नहीं है.’

सिन्हा ने कहा कि 2008 से पहले पूरी बटालियन साथ-साथ चलती थी, लेकिन अब जवानों की अलग-अलग जगह पोस्टिंग होती है, जिसके चलते वे एक-दूसरे से जुड़ नहीं पाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘दोस्त आगे बढ़ जाते हैं और उनके लिए परिवार और काम दोनों जगहों पर अकेलापन हो जाता है. इसलिए मेरे सामने ये चुनौती थी कि किस तरह अपने जवानों को इस समस्या से उबारा जा सके.’

सिन्हा ने साल 2018 में बिहार से ही इसकी कोशिश शुरू कर दी थी, लेकिन अंतत: इस साल मार्च में श्रीनगर में 14 दिन की ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन हो पाया. पहले चरण में 48 ऑफिसर्स को ट्रेनिंग दी गई.

आईजी ने कहा कि उनका उद्देश्य ये है कि उनके जवान आसानी से अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को समझ पाएं.

दूसरे चरण में 500 से अधिक जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे 25,000 से अधिक सीआरपीएफ जवानों के लिए वर्कशॉप का आयोजन कर पाएं और उन्हें ट्रेनिंग दे सकें. इस कोर्स को बैंगलोर स्थित अमृता विश्व विद्यापीठम द्वारा डिजाइन किया गया है.

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