बिहार में मनरेगा कार्यकर्ता की गिरफ़्तारी का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने मनरेगा कार्यकर्ता संजय साहनी की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लगातार संघर्ष के कारण समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के लोगों पर निशाना साधा जा रहा है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने मनरेगा कार्यकर्ता संजय साहनी की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लगातार संघर्ष के कारण समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के लोगों पर निशाना साधा जा रहा है.

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प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई

बिहार के नरेगा संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने संजय साहनी की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है. गौरतलब है कि 21 अगस्त को संजय साहनी को मुज़फ्फरपुर ज़िले के उप-विकास आयुक्त के कार्यालय के सामने धरना- प्रदर्शन करने के दौरान गिरफ़्तार किया गया. संजय साहनी समाज परिवर्तन शक्ति संगठन (मनरेगा वॉच) के साथ काम करते हैं.

समाज परिवर्तन शक्ति संगठन (मनरेगा वॉच) के सदस्यों का आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज भी किया, जिससे संगठन की सदस्य सुधा देवी गंभीर रूप से घायल हुई हैं.

ज्ञात हो कि समाज परिवर्तन शक्ति संगठन मुजफ्फरपुर में लगभग 10,000 ग्रामीण मज़दूरों का एक संगठन है. इस संगठन के कार्यकर्ता मनरेगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.

बयान के अनुसार, ‘संगठन को उनके सामाजिक योजनाओं में भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष के कारण लगातार स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. संगठन के सदस्यों को धमकियां मिल रही हैं, उन पर हिंसा हो रही हैं और कुछ पर तो झूठी प्राथमिकियां भी दर्ज हुई हैं.’

कार्यकर्ताओं के अनुसार इन्हें डराने-धमकाने के लिए अक्सर ही झूठी एफआईआर दर्ज की जाती है.  उनके मुताबिक़, ‘इन झूठी प्राथमिकियों की संख्या सात तक पहुंच गई है. इन एफआईआर में सरकारी अधिकारियों को बंदी बनाकर रखना, सरकारी दस्तावेज़ जब्त करना, सरकारी काम में बाधा डालना जैसे आरोप शामिल हैं. फरवरी 2017 में संगठन के संस्थापक संजय साहनी पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. 31 मार्च 2017 को संजय साहनी पर रतनौली के पंचायत रोज़गार सेवक शंभूनाथ सिंह की हत्या करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया, जबकि उस दिन संजय रांची में थे.’

‘एक स्वतंत्र जांच दल ने 31 मार्च को दर्ज की गयी एफआईआर के झूठे होने के कई सबूत पाए और बाकी प्राथमिकियां बेबुनियाद पाई गईं. स्थानीय प्रशासन लोगों के संघर्षों को तोड़ने के लिए कई बार झूठी प्राथमिकियों का सहारा लेती है. जांच दल ने 5 जुलाई को पटना में अपनी रिपोर्ट बिहार पुलिस महानिदेशक को दी जिन्होंने आश्वासन दिया कि वे मुज़फ्फ़रपुर के पुलिस उपमहानिरीक्षक को इस रिपोर्ट के बारे में सूचित करेंगे.’

नरेगा और समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के सदस्यों ने संजय साहनी की तुरंत रिहाई की मांग की है. साथ ही जिन सदस्यों को पीटा गया है उन्हें मुआवज़ा देने और संगठन को प्रताड़ित करने वाले सरकारी कर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की भी मांग की है.

समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि संगठन को प्रशासन द्वारा पहले भी प्रताड़ित किया गया है. इसी साल जुलाई के महीने में भी एक बयान देकर संगठन के लोगों ने आरोप लगाया था कि मनरेगा में काम करने के लिए बाक़ी लोगों की तुलना में समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के लोगों को कम तनख़्वाह दी जाती है.

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