मणिपुर पत्रकार संगठन का राज्य सरकार से आग्रह, म्यांमार से भागकर आए पत्रकारों को सुरक्षा दें

ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन ने मिजिमा न्यूज़ म्यांमार से जुड़े तीन पत्रकारों को नई दिल्ली में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त तक सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की है. म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद तीनों पत्रकारों ने मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह में शरण ली है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन ने मिजिमा न्यूज़ म्यांमार से जुड़े तीन पत्रकारों को नई दिल्ली में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त तक सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की है. म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद तीनों पत्रकारों ने मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह में शरण ली है.

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इम्फालः ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) ने राज्य सरकार से मिजिमा न्यूज म्यांमार से जुड़े तीन पत्रकारों को नई दिल्ली स्थित शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त तक सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एएमडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष बिजॉय काकचिंगताबम ने जारी बयान में कहा कि तीनों पत्रकारों ने कथित तौर पर अपना देश छोड़कर मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह में शरण ली है.

काकचिंगताबम ने कहा, ‘एक पत्रकार संगठन के तौर पर हम विशेष रूप से उस देश में मीडिया और मीडियाकर्मियों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.’

उन्होंने राज्य सरकार से उन्हें पत्रकारों के तौर पर सम्मान देने और नई दिल्ले जाने का मार्ग प्रशस्त करने को कहा, जहां वे शरणार्थियों के अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत आधिकारिक शरणार्थी दर्जे की मांग कर सकते हैं.

उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि दुनिया के किसी भी देश में पत्रकारों को मिलने वाले सम्मान की तरह उन्हें (पत्रकारों) भी सम्मानसहित नई दिल्ली में सुरक्षित पहुंच दी जाए, जहां वे शरणार्थियों पर अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत शरणार्थी का आधिकारिक दर्जा दिए जाने की मांग कर सकते हैं.

इस संगठन ने मणिपुर सरकार से अपील की कि वह पत्रकारों को इम्फाल आने के लिए आवश्यक रियायतें दें और उन्हें सभी तरह की सुविधाएं दी जाएं ताकि वे दिल्ली आ सकें.

काकचिंगबातम ने कहा कि मिजिमा म्यांमार का एक स्वतंत्र मीडिया संगठन है और मोरेह में शरण ले रहे ये पत्रकार फिलहाल डर के साए में जी रहे हैं कि उन्हें वापस म्यांमार भेजा जा सकता है, जहां उनके जीवन को खतरा है. उन्हें भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा उत्पीड़न का भी डर सता रहा है.

एएमडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष ने कहा कि मिजिमा भारत-अनुकूल मीडिया संगठन है और उन्होंने 2018 में कंटेंट साझा करने के लिए प्रसार भारती के साथ समझौता भी किया था.

उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार है, जब राष्ट्रीय प्रसारक ने एक निजी मीडिया संगठन के साथ समझौता किया था. जून 2020 में मिजिमा ने एक संगीत कार्यक्रम को प्रमोट भी किया था, जिसमें उत्तरपूर्व के सभी हिस्सों से मेहमानों को शामिल किया गया था और गुरु रेवबेन मासांगवा ने इसकी अगुवाई की थी और इस कार्यक्रम को मणिपुर सरकार ने अपना पूरा समर्थन दिया था.’

एएमडब्ल्यूजेयू  का कहना है, ‘म्यांमार में फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद जुंटा ने मिजिमा का लाइसेंस छीन लिया था और इसके कई पत्रकारों को गिरफ्तार किया था, यांगून में इसके कार्यालय पर छापेमारी की गई थी और यहां तक कि उनके बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया था. हालांकि, मिजिमा के कई पत्रकार अपनी जिंदगियों को जोखिम में डालकर अब भी अपना काम कर रहे हैं और देश छोड़कर गए पत्रकारों में से तीन ने मणिपुर में शरण ले ली है.’

हालांकि, मोरेह से एक सूत्र का कहना है कि म्यांमार के किसी नागरिक के मोरेह में शरण लेने का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.
म्यांमार की सीमा से सटा आखिरी भारतीय शहर मोरेह, रजधानी इम्फाल से 110 किलोमीटर की दूरी पर है.

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