हाथरस मामला: मृतक पत्नी की फोटो को रेप पीड़िता बताकर अपलोड किया, कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

एक मृतक महिला के पति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनकी दिवगंत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़ित बताकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और ट्विटर से जवाब मांगा है.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

एक मृतक महिला के पति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनकी दिवगंत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़ित बताकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और ट्विटर से जवाब मांगा है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में हाथरस बलात्कार पीड़िता का सोशल मीडिया पर गलत फोटो अपलोड करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और ट्विटर से जवाब मांगा है.

अदालत में दायर याचिका में पीड़िता की गलत फोटो अपलोड करने वालों का ब्योरा मांगा गया है.

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी कर पीड़िता की गलत फोटो और वीडियो अपलोड करने वाले शख्स की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में पेश करने को कहा है.

दरअसल एक मृतक महिला के पति द्वारा अदालत में याचिका दायर करने के बाद यह निर्देश दिया है.

याचिका में मृतक महिला के पति ने कहा था कि उनकी दिवगंत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़ित के तौर पर बताकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट किया जा रहा है.

बता दें कि जनवरी में फेसबुक, गूगल और ट्विटर ने अदालत को बताया था कि उन्होंने उन सभी लिंक को ब्लॉक कर दिया है या प्लेटफॉर्म से हटा दिया है, जिनमें मृतक महिला की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़िता के तौर पर सर्कुलेट किया गया था.

पिछली सुनवाई में फेसबुक और गूगल ने यह भी कहा था कि वे ऐसे लिंक को सर्च नहीं सकते और उन्हें कोर्ट या सरकार के आदेश के बिना खुद से ही हटा दिया गया है.

याचिकाकर्ता के वकीलों ने अदालत को बताया कि इस मामले के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के संज्ञान में लाने के बाद
एक पीड़ित से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह उस तरह के लिंक मुहैया कराएं.

अदालत ने पहले भी कहा था कि एक पीड़ित, लिंक को सर्च करता रहे और उनकी शिकायत करता रहे, ऐसा नहीं कर सकता. इसके कुछ अन्य समाधान होने चाहिए.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध है. हालांकि, मौजूदा मामले में एक गलत व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए उसकी तस्वीर सर्कुलेट की गई.

मालूम हो कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस में कथित तौर पर ऊंची जाति के चार युवकों ने 19 साल की एक दलित युवती का बलात्कार किया था, जिसके बाद 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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