गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत को लेकर पूर्व प्राचार्य समेत नौ के ख़िलाफ़ मुक़दमा

67 बच्चों की मौत के मामले में उच्च स्तरीय समिति ने की थी आपराधिक कार्रवाई की सिफ़ारिश.

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67 बच्चों की मौत के मामले में उच्च स्तरीय समिति ने की थी आपराधिक कार्रवाई की सिफ़ारिश.

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गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में एक ही रात में 30 बच्चों की मौत हो गई थी. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछली 10-11 अगस्त की रात को बड़ी संख्या में भर्ती मरीज बच्चों की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य समेत नौ लोगों के खिलाफ विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है.

लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक अभय प्रसाद ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक केके गुप्ता की तहरीर पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर आरके मिश्रा, इंसेफलाइटिस वॉर्ड के नोडल अफसर डॉक्टर कफील खान, मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 120 बी साजिश करने, 308 गैर इरादतन हत्या तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धारा के तहत बुधवार रात हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया.

मालूम हो कि पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में कम से कम 30 बच्चों की मौत हो गई थी. इस अस्पताल में 7 अगस्त से 11 अगस्त के बीच करीब 67 बच्चों की मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी.

समिति ने गत 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी, एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी.

इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई की संस्तुति की है.

समिति ने गैर-जिम्मेदाराना आचरण, कर्तव्यहीनता और कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रतिकूल रवैया अपनाने के लिए डॉक्टर राजीव मिश्रा, डॉक्टर सतीश, डॉक्टर कफील खान, गजानन जायसवाल एवं सहायक लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की है.

इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में औषधि तथा रसायनों की आपूर्ति की पिछले तीन वर्षों की कैग से विशेष ऑडिट कराने, डॉक्टर कफील खान द्वारा गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा कर शपथ पत्र दाखिल करने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों के विपरीत काम करने के लिए आपराधिक कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सभी दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के आदेश देते हुए कहा है कि दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को किसी भी दशा में बख्शा न जाए और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.

समिति ने इस प्रकरण में दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित करते हुए भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना होने देने तथा व्यवस्था में सुधार के लिए भी सुझाव दिए हैं.

मुख्यमंत्री द्वारा गठित इस समिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव आलोक कुमार, विा विभाग के सचिव मुकेश मिाल तथा संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर हेमचंद्र भी शामिल थे.

उच्चस्तरीय समिति ने की कार्रवाई की सिफारिश

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले 10-11 अगस्त की रात को संदिग्ध हालात में भर्ती मरीज बच्चों की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में मुख्यमंत्री द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य समेत कई वरिष्ठ जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. मुख्यमंत्री ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. इस समिति को पांच दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे.

अदालत ने सरकार को दिया कुछ और समय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हाल में संदिग्ध परिस्थितियों में बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अगुवाई वाली जांच समिति की रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई के बारे में बताने के लिए सरकार को बुधवार को कुछ और समय दे दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति डीएस त्रिपाठी की पीठ ने दिलीप कुमार वर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश दिया. याची के वकील वीके सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना तथा राज्य के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की है.

याचिका में हाल में लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सटिी में आग लगने की घटना को भी शामिल किया गया है. सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना की जांच के लिए मुख्य सचिव की अगुवाई में एक समिति गठित की थी जिसकी रिपोर्ट मिल चुकी है और सरकार उसकी रिपोर्ट पर गौर कर रही है.

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