झारखंड में दयनीय हालत, रेमडेसिविर इंजेक्शन और दवाएं उपलब्ध नहीं: हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उसकी उस टिप्पणी के कुछ दिनों के बाद आई है जब उसने कहा था कि झारखंड एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है. और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है. हाईकोर्ट ने कहा कि झारखंड के अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन आधारित बिस्तर की अनुपलब्धता के कारण स्थिति दयनीय ​​है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

झारखंड हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उसकी उस टिप्पणी के कुछ दिनों के बाद आई है जब उसने कहा था कि झारखंड एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है. और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है. हाईकोर्ट ने कहा कि झारखंड के अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन आधारित बिस्तर की अनुपलब्धता के कारण स्थिति दयनीय है.

झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)
झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता के मुद्दे पर ध्यान देने के कुछ दिनों बाद पिछले सप्ताह झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कोविड-19 मामलों में हालिया उछाल को संभालने के तरीके पर चिंता व्यक्त की.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इसे गंभीर चिंता का मुद्दा बताया कि ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिरावीर की गोलियां शीर्ष मेडिकल दुकानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन लोग उन्हें प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं.

झारखंड हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उसकी उस टिप्पणी के कुछ दिनों के बाद आई है जब उसने कहा था कि झारखंड एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि झारखंड राज्य में अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन आधारित बिस्तर की अनुपलब्धता के कारण स्थिति दयनीय है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां तक कि मरीज घर में आइसोलेशन (अलग-थलग) में रहने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि दवाओं की सप्लाई न होने की वजह से उन्हें उन दवाओं की उपलब्धता नहीं है, जिनकी उन्हें जरूरत है.

कोर्ट को यह भी बताया गया कि रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन और फेविपिरावीर जैसी गोलियों की कालाबाजारी की जा रही थी और बाजार से डॉक्सीसाइक्लीन, फ्लूगार्ड, विटामिन-सी और जिंक की गोलियां खत्म हो गई थीं.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेविपिरावीर टैबलेट्ट उपलब्ध करवाने, सीटी स्कैन व अन्य पैथोलॉजिकल टेस्ट के संबंध में कई दिशानिर्देश जारी किए.

अदालत ने राज्य प्रशासन के अधिकारियों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए एक हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि कोविड-19 महामारी की स्थिति से निपटने के लिए 17 अप्रैल 2021 से रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए. साथ ही साथ यह बताने को कहा है कि फेविपिरावीर टैबलेट की पर्याप्त आपूर्ति के लिए क्या किया गया.

ड्रग कंट्रोलर ने लिया यू-टर्न

न्यायालय ने झारखंड राज्य के ड्रग कंट्रोलर द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता के बारे में यू-टर्न पर आश्चर्य व्यक्त किया.

शुरू में उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार से रेमडेसिविर इंजेक्शन की सीमित संख्या मिल रही थी, इसलिए आपूर्ति अपर्याप्त थी.

उन्होंने यह भी कहा कि अन्य दवाइयां जैसे फेविपिरावीर गोलियां संबंधित सीएनएफ को दी गई थीं, लेकिन इस दवा की कमी के कारण सीएनएफ से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हुई.

हालांकि, जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (केंद्र सरकार की ओर से पेश) ने कोर्ट को अवगत कराया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कोई निश्चित आपूर्ति नहीं की गई थी और वास्तव में रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए झारखंड राज्य द्वारा कोई आदेश नहीं दिया गया था, इस तरह ड्रग कंट्रोलर ने अपना रुख बदल दिया.

ड्रग कंट्रोलर ने एक जवाब दाखिल करके यू-टर्न ले लिया कि केंद्र सरकार द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन के संबंध में ऐसा कोई नियंत्रण नहीं है, बल्कि उसका जवाब यह है कि ऑर्डर सीएनएफ को दिया जा रहा है, लेकिन वे पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और यही स्थिति फेविपिरावीर टैबलेट के संबंध में है.

इसके अलावा अदालत ने ड्रग कंट्रोलर को उन्हें यह बताने के लिए निर्देश दिया कि किस आधार पर बयान दिया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की सीमित आपूर्ति की जा रही थी.

अदालत ने ड्रग कंट्रोलर को दवा की दुकानों/अस्पतालों को रेमडसिविर इंजेक्शन और फेविपिरावीर टैबलेट की होने वाली आपूर्ति का अप-टू-डेट विवरण रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया है.