आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों से कोविड संबंधी और अधिक पोस्ट हटाने के लिए कहा: रिपोर्ट

केंद्र की मोदी सरकार के अनुरोध पर ट्विटर पहले ही भारत में ऐसे क़रीब 50 ट्वीट्स पर रोक लगा चुका है, जो कोविड-19 महामारी की स्थिति को संभालने में सरकार के तरीकों की आलोचना कर रहे थे. अब इन ट्वीट्स को भारत में नहीं देखा जा सकता.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र की मोदी सरकार के अनुरोध पर ट्विटर पहले ही भारत में ऐसे क़रीब 50 ट्वीट्स पर रोक लगा चुका है, जो कोविड-19 महामारी की स्थिति को संभालने में सरकार के तरीकों की आलोचना कर रहे थे. अब इन ट्वीट्स को भारत में नहीं देखा जा सकता.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य से लगभग 100 पोस्ट और कुछ सामग्री को हटाने के लिए कहा.

उसने आरोप लगाया कि यह कथित रूप से असंबंधित, पुराने और संदर्भित छवियों या दृश्यों से अलग, सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील पोस्ट और कोविड-19 के बारे में गलत जानकारी से जुड़े थे. सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आईटी मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, ‘जब पूरा देश कोविड-19 महामारी के खिलाफ एक बहादुर लड़ाई लड़ रहा है, तो कुछ लोग दहशत पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं. मंत्रालय ने इन पोस्टों के कारण महामारी के खिलाफ लड़ाई में रुकावटों और सार्वजनिक व्यवस्था को बढ़ाने से रोकने के लिए इन यूआरएल (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) को हटाने को कहा है.’

यह हालिया बातचीत गृह मंत्रालय की सिफारिशों पर आधारित था जिसने इन यूआरएल को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बताया है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भेजे गए अपने नवीनतम नोटिस का बचाव करते हुए मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सरकार की आलोचना करने, मदद लेने और यहां तक कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सुझाव देने के लिए किया जा सकता है. यह उन उपयोगकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी आवश्यक था, जो अनैतिक उद्देश्यों के लिए इस गंभीर मानवीय संकट के दौरान सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का यह कदम उस रिपोर्ट के बाद सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के अनुरोध पर करीब 50 ट्वीट को भारत में प्रतिबंधित कर दिया है. ये अनुरोध पिछले एक महीने में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से भेजे गए थे.

ट्विटर ने यह जानकारी ल्यूमन डेटाबेस के साथ साझा की थी, जो कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बर्कमैन क्लेन सेंटर द्वारा संचालित एक पारदर्शिता पहल है, जो सामग्री हटाने के अनुरोध को ट्रैक करती है.

लुमन डेटाबेस को ट्विटर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में जिन यूआरएल को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से कुछ में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बारे में जानकारी थी और उनमें महामारी से लड़ने के सरकार के तरीके की आलोचना की गई थी.

वहीं, कुछ अन्य यूआरएल में छत्तीसगढ़ में हुए हालिया नक्सली हमले की तस्वीरें और वीडियो थे, जिसमें कम से कम 22 जवानों की मौत हो गई थी.

ये ट्वीट एक दैनिक अखबार के एक पत्रकार, एक फिल्म निर्माता, एक सांसद, एक विधायक, एक अभिनेता द्वारा किए गए थे. इन सभी के ट्वीट को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया, जिसका मतलब है कि भारत के लोग इन ट्वीट को नहीं देख सकते हैं.

बता दें कि जनवरी और फरवरी में ट्विटर और आईटी मंत्रालय तब आमने-सामने आ गए थे, जब सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताए गए किसान आंदोलन से संबंधित कुछ ट्वीट हटाने से इनकार कर दिया था.

इसके बाद ट्विटर से सफाई मांगी गई थी कि मंत्रालय द्वारा पूछे जाने के बावजूद उसने कुछ ट्वीट क्यों नहीं हटाए. हालांकि सरकारी आदेशों की अवहेलना आईटी मंत्रालय को अच्छी नहीं लगी, जिसने कार्रवाई करने में विफल रहने पर ट्विटर इंडिया के कर्मचारियों को जेल की धमकी दी.

इसके बाद ट्विटर इंडिया को झुकना पड़ा और और बाद में उसने कहा कि 95 प्रतिशत अनुरोधों का अनुपालन किया जो सरकार ने किए थे.

ऐसे 257 खातों (ट्विटर हैंडल) की पहली सूची मंत्रालय ने 31 जनवरी को भेजी थी, जिसके बाद लगभग 1,200 खातों की दूसरी सूची जारी की गई.

आईटी मंत्रालय द्वारा भेजी गई दोनों सूचियों में दावा किया गया था कि ये ट्विटर हैंडल किसानों के विरोध के बारे में गलत सूचना फैला रहे थे, जिससे देश में सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने वाली हिंसा की संभावना थी.

इसके जवाब में ट्विटर ने कुछ खातों को ब्लॉक कर दिया था, लेकिन बाद उन्हें अनब्लॉक कर दिया था, जिसके बाद एक बार फिर से उसे आईटी मंत्रालय की नाराजगी का सामना करना पड़ा था.

ट्विटर ने कई बार कहा है कि वह सरकार की प्रत्येक ऐसी पोस्ट या सामग्री हटाने वाली रिपोर्ट की समीक्षा जितनी जल्दी हो सके उतनी तेजी से करता है और कंपनी के बुनियादी मूल्यों और सार्वजनिक बातचीत की सुरक्षा के लिए उसकी प्रतिबद्धता के अनुरूप उचित कार्रवाई करता है.

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