दिल्ली: कोविड के कहर के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को आवश्यक कार्य घोषित किया गया, काम जारी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के कारण अगर कर्मचारी साइट पर नहीं रह रहे हैं तो निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन सेंट्रल विस्टा परियोजना स्थल तक मज़दूरों को लाने के लिए 180 वाहनों को मंज़ूरी दी गई है.

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Construction workers walk past a hoarding featuring India's new parliament building outside its construction site in New Delhi, India, December 10, 2020. REUTERS/Adnan Abidi

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के कारण अगर कर्मचारी साइट पर नहीं रह रहे हैं तो निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन सेंट्रल विस्टा परियोजना स्थल तक मज़दूरों को लाने के लिए 180 वाहनों को मंज़ूरी दी गई है.

Construction workers walk past a hoarding featuring India's new parliament building outside its construction site in New Delhi, India, December 10, 2020. REUTERS/Adnan Abidi
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: पिछले 10 दिन से देश की राजधानी दिल्ली लॉकडाउन में है और कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण देश के बाकी हिस्सों के साथ ही यहां की भी स्वास्थ्य व्यवस्था भी औंधे मुंह गिर चुकी है.

स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के कारण 2,267 लोगों की मौत हो चुकी है और यह पूरे आंकड़े का केवल एक हिस्सा है, क्योंकि अनेकों मौतों की गिनती भी नहीं हो रही है.

हर रोज अस्पतालों में खत्म हो चुके बेड की मांग को लेकर परिवार भटकते रहते हैं, जबकि अस्पताल ऑक्सीजन की कमी को लेकर सरकार को आपातकालीन मैसेज भेजते रहते हैं, जिसकी कमी से तमाम लोगों की मौत भी हो चुकी है.

इस तबाही के बीच भी एक परियोजना जोरों-शोरों से चल रही है और वह सेंट्रल विस्टा परियोजना है.

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है. इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है.

यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के मुताबिक नई इमारत संसद भवन संपदा की प्लॉट संख्या 118 पर बनेगी.

नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य 3.2 किलोमीटर के क्षेत्र को पुनर्विकास करना है, जिसका नाम सेंट्रल विस्टा है, जो 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा निर्मित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित है. जिसमें कई सरकारी इमारतों, जिसमें कई प्रतिष्ठित स्थल भी शामिल हैं, को तोड़ना और पुनर्निर्माण करना शामिल है और कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई संसद का निर्माण करना है.

संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था और इसका निर्माण 1921 में शुरू होने के छह साल बाद पूरा हुआ था. इस इमारत में आजादी से पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल था.

नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 (वर्तमान में 245) सीट होगी.

सितंबर 2019 में जब सरकार ने इस परियोजना के लिए जल्दबाजी में निविदाएं जारी कीं, तो इसकी घोर आलोचना की गई. पिछले एक साल में यह आलोचना और भी तेज हो गई है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने देश की स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है.

जैसा कि कुछ लोगों ने कहा है कि सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर जो राशि खर्च कर रही है, वह हजारों ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी. केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे 162 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की लागत 201 करोड़ रुपये है. इसके विपरीत सिर्फ नए संसद भवन का बजट लगभग पांच गुना अधिक 971 करोड़ रुपये का है.

हालांकि, बढ़ती आलोचनाएं भी सरकार को डिगा नहीं सकीं. बीते 20 अप्रैल को इसने उस भूखंड पर तीन भवनों के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित कीं, जहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वर्तमान में खड़ा है.

इस बीच, पुनर्विकास का काम जारी है, जबकि शहर के बाकी हिस्से बंद हैं.

स्क्रॉल डॉट इन द्वारा हासिल किए गए सरकार के पत्राचार दिखाते हैं कि वर्तमान में केवल निर्माण परियोजनाएं जिनके पास साइट पर रहने वाले श्रमिक हैं, उन्हें लॉकडाउन दिशानिर्देशों के अनुसार दिल्ली में संचालित करने की अनुमति है. लेकिन सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए अपवाद बनाया गया है, जिसे एक आवश्यक सेवा घोषित किया गया है.

180 वाहनों के संचालन की अनुमति

बीते 16 अप्रैल को जब शहर में वीकेंड कर्फ्यू था, तब परियोजना की निगरानी करने वाले केंद्रीय लोक कल्याण विभाग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखा. इसमें कहा गया कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एवेन्यू पुनर्विकास का काम, शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया, जो समयबद्ध प्रकृति का है और 30 नवंबर, 2021 से पहले पूरा होना है. इसलिए कंपनी को तीनों पालियों के दौरान काम करने के लिए निर्देशित किया गया था.

पत्र में पुलिस से अनुरोध किया गया था कि कर्फ्यू अवधि के दौरान कंपनी को उसके कर्मचारियों को उसके स्वयं के बसों के माध्यम से सराय काले खां में श्रमिकों को फेरी लगाने के लिए अनुमति दी जाए.

इसके जवाब में 19 अप्रैल, जिस दिन राजधानी में हफ्ते भर के लिए लॉकडाउन लगाया गया था, को नई दिल्ली जिले के लिए डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान प्रोजेक्ट के काम में लगे 180 वाहनों के लिए लॉकडाउन पास जारी किए.

डिप्टी कमिश्नर के पत्र में कहा गया है कि लॉकडाउन पास आवश्यक सेवाओं श्रेणी में प्रदान किया गया था.

रविवार को भेजे गए एक टेक्स्ट मैसेज में केंद्रीय लोक कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने स्क्रॉल डॉट इन से कहा, ‘हमने साइट पर श्रमिकों के रहने की सीमित व्यवस्था की है और श्रम शिविरों से श्रमिकों की आवाजाही की अनुमति भी ली है.’

अगले दिन प्रवक्ता ने बयान में बदलाव करते हुए फोन पर कहा कि परियोजना ठहर गई है. केवल महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं. अब तक केवल उन श्रमिकों को अनुमति दी जाती है जो साइट पर हैं, बाहर से श्रमिकों को अनुमति नहीं है.

हालांकि, अधिकतर मजदूरों ने कहा कि वे बसों से रोजाना साइट पर जाते हैं.

बता दें कि देश की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी शपूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को पुनर्निमाण के लिए मुख्य ठेका मिला है, लेकिन असली काम छोटी कंपनियों को सौंप दिया गया है.

बीपी इंजीनियरिंग के 30 मजदूर 12 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं, वहीं लॉकडाउन में 200 कर्मचारियों के घर चले जाने के कारण एक अन्य सब-कॉन्ट्रैक्टर एमवी कंस्ट्रक्शंस ने फिलहाल काम रोक दिया है.

मजदूरों के बीच कोविड-19 का डर भी बरकरार है और कई अपने परिवार के पास वापस जाना चाहते हैं. वहीं कुछ मजदूरों ने कहा कि मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाने के कारण ही वे शहर में रुके हुए हैं.

पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान भी सेंट्रल विस्टा परियोजना को केंद्र की मोदी सरकार जारी रखे हुए थी. बीते साल 20 मार्च को जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल दिल्ली-2021 के मास्टर प्लान और जोन-डी एवं जोन-सी के जोनल डेवलपमेंट प्लान (इंडिया गेट के बाहरी क्षेत्र पर प्लॉट नंबर 08 के लिए) में प्रस्तावित संशोधनों पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए थे.

इसमें कहा गया था कि प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में 1,292 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए और डीडीए द्वारा गठित बोर्ड ऑफ इंक्वायरी एंड हियरिंग द्वारा इस पर विचार किया गया. इसके बाद केंद्र ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 और जोनल डेवलपमेंट प्लान में संशोधन करने का निर्णय लिया और नोटिफिकेशन जारी कर अब इसकी पुष्टि कर दी गई है.

इस परियोजना पर रोक लगाने के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि कोविड-19 के दौरान सिर्फ बहुत ज़रूरी मामलों पर ही सुनवाई होगी और ये अतिआवश्यक मामला नहीं है.