ऑक्सीजन आपूर्ति संबंधी अवमानना कार्रवाई आदेश वापस लेने के लिए केंद्र ने अदालत से अनुरोध किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी थी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि उसके अधिकारी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ऐसे आदेशों से उनके मनोबल पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी थी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि उसके अधिकारी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ऐसे आदेशों से उनके मनोबल पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने रविवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उससे राष्ट्रीय राजधानी को आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने या फिर अवमानना का सामना करने के लिए तैयार रहने से संबंधित आदेश वापस लेने का अनुरोध किया.

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में अदालत से एक मई के आदेश को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि उसके अधिकारी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और ऐसे आदेशों से उनके मनोबल पर गलत प्रभाव पड़ेगा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार उसे आवंटित की गई ऑक्सीजन की ढुलाई के लिए कुछ टैंकरों को छोड़कर बाकी का प्रबंध करने में पूरी तरह नाकाम रही है.

अदालत ने शनिवार को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते डॉक्टर समेत 12 रोगियों की मौत पर नाराजगी जताते हुए केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन के हिसाब से आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले. अदालत ने कहा था कि अब बहुत हो चुका और पानी सिर से ऊपर जा चुका है.

पीठ ने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली को ‘किसी भी माध्यम से’ आवंटित ऑक्सीजन मिले. अदालत ने कहा था कि ऐसा न करने पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है.

केंद्र ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दिल्ली को जितनी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है, उसका भी सही ढंग से वितरण या इस्तेमाल नहीं किया जा रहा, जिसके चलते दिल्ली के निवासियों की जान पर खतरा पैदा हो गया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने केंद्र के आवेदन में कही गईं बातों का विरोध करते हुए कहा कि ऑक्सीजन की आवंटित राशि कभी भी राष्ट्रीय राजधानी को उपलब्ध नहीं कराई गई.

मेहरा ने कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बहुत मेहनत कर रहे हैं. अपनी सीमा से परे जाकर काम कर रहे है और अगर उनके खिलाफ अक्षमता के आरोप लगाए जाते हैं, तो उनका मनोबल टूट जाएगा.

मेहरा ने कहा कि केंद्र सभी (ऑक्सीजन) टैंकरों को अपने नियंत्रण में ले, जैसा कि उसने ऑक्सीजन संयंत्रों को लिया है और इसे राज्यों के बीच समान रूप से वितरित करें.

इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक प्रणालीगत विफलता है. अस्पताल ऑक्सीजन खत्म होने के संबंध में अंतिम समय में अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जहां अस्पताल दिल्ली सरकार को घंटों पहले से सूचित कर दें कि उनके यहां कब तब ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी, ताकि अंतिम समय में किसी को अदालत में न आना पड़े.

उन्होंने कहा कि अगर एक व्यवस्था होगी तो वकीलों को देर रात तक अस्पताल से आने वाली एसओएस कॉल (चेतावनी संबंधी फोन कॉल) को उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि (ऑक्सीजन) टैंकरों का राष्ट्रीयकरण नहीं किया जा सकता है और राज्यों को टैंकर प्राप्त करने की दिशा में काम करना होगा, क्योंकि लक्षद्वीप (जैसे सुदूर केंद्रशासित प्रदेश) ने भी टैंकरों को पाने में कामयाबी पा ली है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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