केंद्र को सभी के कोविड-19 टीकाकरण की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए: सी. रंगराजन

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा है कि केंद्र सरकार को सभी का टीकाकरण करना होगा, जबकि राज्यों को अस्पतालों में आधारभूत ढांचे में सुधार करने, अधिक चिकित्सा कर्मचारियों की भर्ती करने जैसे अन्य चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे पर ख़र्च करने की आवश्यकता है.

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सी. रंगराजन. (फोटो: रॉयटर्स)

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा है कि केंद्र सरकार को सभी का टीकाकरण करना होगा, जबकि राज्यों को अस्पतालों में आधारभूत ढांचे में सुधार करने, अधिक चिकित्सा कर्मचारियों की भर्ती करने जैसे अन्य चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे पर ख़र्च करने की आवश्यकता है.

सी. रंगराजन. (फोटो: रॉयटर्स)
सी. रंगराजन. (फोटो: रॉयटर्स)

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के उपायों के तहत देश में सभी लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.

रंगराजन ने आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन द्वारा हैदराबाद में आयोजित एक ऑनलाइन सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कहा कि इसमें काफी मात्रा में खर्च शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र को सभी का टीकाकरण करना होगा, जबकि राज्यों को अस्पतालों में आधारभूत ढांचे में सुधार करने, अधिक चिकित्सा कर्मचारियों की भर्ती करने जैसे अन्य चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे पर खर्च करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘टीकाकरण महत्वूपर्ण है और इसे सार्वभौमिक (सभी के लिए) होना चाहिए.’

प्रधानमंत्री के आर्थिक परामर्श परिषद के पूर्व अध्यक्ष रंगराजन ने कहा, ‘टीकाकरण महत्वपूर्ण है. यह सभी का होना चाहिए. इसलिए यह सरकार की जिम्मेदारी है और मैं कहूंगा कि लोगों को टीका लगाने के मामले में जो खर्च होगा, वह केंद्र सरकार स्वयं वहन करे.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सरकार या भारत सरकार की जिम्मेदारी बहुत स्पष्ट है और उसे इस जिम्मेदारी से बचना नहीं चाहिए. मुझे पता है कि इसमें काफी खर्च शामिल होगा जिसे वहन करना होगा और यह जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से भारत सरकार की है.’

बाद में उन्होंने बात करते हुए कहा कि चूंकि टीकाकरण केंद्र की जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए टीकों के अलग-अलग मूल्य निर्धारण का सवाल ही नहीं उठेगा.

उन्होंने कहा, ‘मैं कह रहा हूं कि टीकाकरण केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार को सभी खर्च वहन करना चाहिए. उन्हें बातचीत करके एक मूल्य पर सहमत होने दें और इसे वितरित करने दें.’

रंगराजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों सरकारों को अपना खर्च बढ़ाने की जरूरत है.

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर केंद्र से अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति तथा देश भर में मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम सुनिश्चित करे.

वर्तमान में कोविड-19 टीका निर्माताओं ने केंद्रीय, राज्य सरकार और निजी आपूर्तियों के लिए तीन स्तर पर मूल्य निर्धारण किए हैं.

बता दें कि शुरुआत में केंद्र सरकार ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीनों के लिए 150 रुपये प्रति खुराक पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाजार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही दोनों ही कंपनियों ने राज्यों और निजी कंपनियां के लिए कई गुणा बढ़े हुए दाम निर्धारित कर दिए.

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’ की कीमत राज्य सरकारों के लिए 600 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रुपये प्रति खुराक निर्धारित की है.

वहीं, पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने अपने कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ की राज्य सरकारों के लिए कीमत 400 रुपये प्रति खुराक तय की थी और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति खुराक घोषित की है.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत के निजी अस्पतालों के लिए कोविशील्ड की 600 रुपये प्रति खुराक की कीमत दुनिया में सबसे अधिक है.

कई राज्यों ने टीकों की अलग-अलग कीमतों पर आपत्ति जताई है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि यह मुनाफाखोरी का समय नहीं है.

इसके बाद केंद्र सरकार ने 26 अप्रैल को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक से कहा था कि वे अपने कोविड-19 टीकों की कीमत कम करें.

वहीं, 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग कीमत का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को ऐसी मूल्य नीति के पीछे ‘औचित्य और आधार’ बताने को कहा था. पीठ ने कहा था, ‘अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग कीमत तय कर रही हैं. केंद्र इस बारे में क्या कर रहा है.’

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था निर्माताओं पर टीके की कीमत और वितरण का काम न छोड़े.

इसके बीच सीरम इंस्टिट्यूट ने राज्यों को बेचे जाने वाले टीके की कीमत क्रमश: 400 रुपये से कम कर 300 रुपये प्रति खुराक और और भारत बायोटेक ने 600 रुपये से घटाकर 400 रुपये प्रति खुराक कर दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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