गोवा: ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ों की मौत पर हाईकोर्ट ने कहा- यह जीवन के अधिकार का उल्लंघन

सरकारी गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे में 47 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई है. इस घोर लापरवाही के लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.

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(फोटो: पीटीआई)

सरकारी गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे में 47 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई है. इस घोर लापरवाही के लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.

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नई दिल्ली: गोवा के एक सरकारी मेडिकल अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते कोरोना मरीजों की मौत को लेकर हाईकोर्ट ने प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है और मौजूदा स्थितियों पर गहरी चिंता जाहिर की है.

बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा स्थित पीठ ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों की मौत होना जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने अधिकारियों ने कहा है कि वे सुनिश्चित करें की ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की मौत न हो.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक न्यायालय ने कहा, ‘हमारे सामने पेश किए गए साक्ष्यों से पता चलता है कि मरीज पीड़ित हैं और कुछ मामले में ऑक्सीजन की कमी के चलते उनकी मौत हुई है.’

मालूम हो कि द वायर ने बीते 12 मई को अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सरकारी गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी या ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पहुंचाने के चलते 48 घंटे में 47 कोरोना मरीजों की मौत हुई है. इस घोर लापरवाही के लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

इसमें से मंगलवार (11 मई) को ऑक्सीजन की कमी के चलते 26 कोविड-19 मरीजों और बुधवार को 21 कोरोना मरीजों की मौत हुई थी. इसे लेकर खुद गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने हाईकोर्ट से जांच करने की मांग की थी. इसके चलते मुख्यमंत्री प्रमोद सावंद और राणे के बीच विवाद भी खड़ा हो गया है.

दरअसल मुख्यमंत्री ने कहा था कि ऑक्सीजन आपूर्ति में देरी से अस्पताल की केंद्रीय आपूर्ति में दबाव कम हो गया है और यह नहीं कहा जा सकता है कि मौत इसी वजह से हुई है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है.

वहीं स्वास्थ्य मंत्री राणे ने पत्रकारों से बात करते हुए जीएमसीएच में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी की बात स्वीकार की थी.

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए अस्पताल के एक आंतरिक नोट से पता चलता है कि अस्पताल को प्रतिदिन 1200 सिलेंडर की आवश्यकता है, लेकिन 10 मई को उन्हें सिर्फ 400 सिलेंडर ही मिले थे. अस्पताल ने इस स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत करा दिया था.

वित्त सचिव ने हाईकोर्ट को बताया कि ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिये 15-20 किलोमीटर दूर ऑक्सीजन लाकर अस्पताल में दिया जाता है, इसलिए सप्लाई को तेज करना मुश्किल है.

जीएमसीएच के डीन डॉ. एसएम बांडेकर ने बीते बुधवार को हलफनाना दायर कर कहा था कि ट्रॉली (सिलेंडर से भरा हुआ) पहुंचने में देरी होती है, जिसके चलते मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है और नतीजतन उनकी मौत हो जाती है.

उन्होंने कहा कि 11 मई को जीएमसीएच के पास 6.5 टन ऑक्सीजन कम था, इसी बीच 26 मरीजों की मौत हुई थी. डीन ने कहा कि अस्पताल को एक दिन में कम से कम 72 ट्रॉली ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन मंगलवार को सिर्फ 50 ट्रॉली ही आए थे.

 इस मामले की सुनवाई जस्टिस एमएस सोनक और नितिन साम्ब्रे की पीठ ने की. कोर्ट ने सरकार के बड़े अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा, ‘हम नहीं चाहते कि कल पेपर में ये आए कि ऑक्सीजन की कमी के चलते 26 या 75 मौतें हुई हैं. यदि हम इस तरह लोगों को मरने देते हैं, तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा.’

इस सुनवाई में वित्त सचिव, स्वास्थ्य सचिव और शहरी विकास को भी मौजूद होना पड़ा था. ये तीनों विभाग मिलकर राज्य में ऑक्सीजन प्रबंधन का कार्य देख रहे हैं.

वहीं स्वास्थ्य सचिव रवि धवन ने कहा कि गोवा ने केंद्र से मांग की है कि उन्हें लिए ऑक्सीजन आवंटन को 26 टन से बढ़ाकर 40 टन किया जाए.

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