कोविड-19: मीडिया से ख़राब स्वास्थ्य सुविधाओं की शिकायत करने पर यूपी के गांववालों पर एफ़आईआर

द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गौतमबुद्धनगर ज़िले के मेवला गोपालगढ़ के लोगों का एक नीम के पेड़ के नीचे ‘इलाज’ हो रहा है. ज़िला प्रशासन ने गांव के पूर्व प्रधान समेत दो लोगों पर अफ़वाह फैलाने का आरोप लगाया है. आरोप के अनुसार, दोनों प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और ज़िला प्रशासन की छवि को ख़राब करने के इरादे से अफ़वाह फैलाकर गांववालों को गुमराह कर रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश के मेवला गोपालगढ़ गांव में नीम के पेड़ के नीचे 'इलाज' कराते लोग. (फोटो: इस्मत आरा/द वायर)

द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गौतमबुद्धनगर ज़िले के मेवला गोपालगढ़ के लोगों का एक नीम के पेड़ के नीचे ‘इलाज’ हो रहा है. ज़िला प्रशासन ने गांव के पूर्व प्रधान समेत दो लोगों पर अफ़वाह फैलाने का आरोप लगाया है. आरोप के अनुसार, दोनों प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और ज़िला प्रशासन की छवि को ख़राब करने के इरादे से अफ़वाह फैलाकर गांववालों को गुमराह कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के मेवला गोपालगढ़ गांव में नीम के पेड़ के नीचे 'इलाज' कराते लोग. (फोटो: इस्मत आरा/द वायर)
उत्तर प्रदेश के मेवला गोपालगढ़ गांव में नीम के पेड़ के नीचे ‘इलाज’ कराते लोग. (फोटो: इस्मत आरा/द वायर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के जेवर तहसील में आने वाले मेवला गोपालगढ़ गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में वहां के कोविड पॉजिटिव निवासियों का एक नीम के पेड़ के नीचे ‘इलाज’ किए जाने की एक रिपोर्ट द वायर   द्वारा किए जाने के बाद राज्य सरकार ने कुछ निवासियों पर मीडिया को झूठा बयान देने का आरोप लगाते हुए निशाना बनाया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गौतमबुद्धनगर प्रशासन ने गांव के 65 वर्षीय पूर्व प्रधान हरवीर तलन और योगेश तलन पर महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की छवि को खराब करने के इरादे से अफवाह फैलाकर गांव के निवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है.

पूर्व प्रधान हरवीर तलन ने द वायर   को बताया था कि 19 अप्रैल को पंचायत चुनाव के बाद से असामान्य रूप से बड़ी संख्या में निवासियों ने बीमारी की शिकायत की थी.

उन्होंने कहा था, ‘एक भी घर ऐसा नहीं है, जहां किसी को खांसी या बुखार न हो. प्रशासन दो मोर्चों, बीमारों की जांच और चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में बुरी तरह विफल रहा है. इस गांव में लोग अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा था, ‘अस्पताल उन रोगियों को भर्ती करने से इनकार कर रहे हैं, जिनमें अधिक लक्षण भी आ रहे हैं और तेज बुखार से पीड़ित हैं.’

द वायर   ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि कई अन्य लोगों की तरह हरवीर तलन पेड़ की टहनियों में ग्लूकोज की बोतल लटकाए हुए दिन के समय नीम के पेड़ की छाया में बैठे थे.

उनका मानना था कि पेड़ के उपचारात्मक गुण उन्हें कोविड-19 लक्षणों से राहत दिलाएंगे. नीम का पेड़ खुले मैदान में है, जहां दिन में कई बीमार ग्रामीण चारपाई पर पड़े रहते हैं.

हालांकि, प्रशासन ने स्थानीय लोगों के दावों को खारिज कर दिया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण इस ‘उपचार’ का उपयोग कर रहे थे.

एक स्थानीय अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हरवीर तलन पर जान-बूझकर ‘झोलाछाप’ से परामर्श करने और एक कोविड देखभाल सुविधा में इलाज के लिए भर्ती होने से इनकार करने का आरोप लगाया गया है.

गांव में किसी का भी टेस्ट न होने के स्थानीय निवासियों के दावों के विपरित स्थानीय प्रशासन ने दावा किया कि लोगों की जांच करने के लिए 13 मई से दो मेडिकल कैंप लगाए गए थे.

सोमवार 17 मई को जेवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने गांव के लोगों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने कहा कि आरोपी के रूप में नामित योगेश तलन के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 (एक लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 269 और 270 (संक्रमण फैलाने का कार्य) और महामारी रोग अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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