केरल: पिनराई विजयन के नए कैबिनेट में निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को नहीं दी गई जगह

निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को केरल में निपाह वायरस के अलावा कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से तमाम नेताओं ने नाख़ुशी ज़ाहिर की है. पिनराई विजयन की गठबंधन सरकार में माकपा के कोटे से 11 नए मंत्री होंगे, जिनमें उनके दामाद भी शामिल हैं. पार्टी का कहना है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि कैबिनेट में नए चेहरों को मौका दिया जाएगा.

केके शैलजा. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को केरल में निपाह वायरस के अलावा कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से तमाम नेताओं ने नाख़ुशी ज़ाहिर की है. पिनराई विजयन की गठबंधन सरकार में माकपा के कोटे से 11 नए मंत्री होंगे, जिनमें उनके दामाद भी शामिल हैं. पार्टी का कहना है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि कैबिनेट में नए चेहरों को मौका दिया जाएगा.

केके शैलजा. (फोटो साभार: विकिपीडिया)
केके शैलजा. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: केरल में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए जानी जाने वाली निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से विवाद पैदा हो गया है.

माकपा के वरिष्ठ नेता पिनराई विजयन बीते मंगलवार को पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए. इसके साथ ही उनका लगातार दूसरी बार केरल के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया.

विजयन की गठबंधन सरकार में माकपा के कोटे से 11 नए मंत्री होंगे, जिनमें उनके दामाद पीए मोहम्मद रियास भी शामिल हैं. वह डीवाईएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और माना जा रहा है कि यह मंत्रिमंडल में युवा चेहरों को शामिल करने का प्रयास है.

मंत्रिमंडल में विजयन समेत माकपा के 12 सदस्य होंगे. एलडीएफ सरकार में शामिल अन्य घटक दलों भाकपा के चार तथा केरल कांग्रेस (एम) के एक सदस्य को मंत्री बनाया जाएगा.

गौरतलब है कि 77 वर्षीय विजयन ने छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को लगातार दूसरी बार जिताकर इतिहास रचा था. राज्य के इतिहास में 40 साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी मोर्चे को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए विधानसभा चुनाव में जीत मिली है. गठबंधन ने 140 में से 99 सीटों पर जीत हासिल की.

हालांकि शैलजा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर बहस शुरू हो गई है और कई लोग नाराज हो गए हैं.

केरल में कोविड-19 की पहली लहर से कुशलतापूर्वक निपटने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पा चुकीं शैलजा को आश्चर्यजनक रूप से नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से हाल ही में दिवंगत केआर गौरी अम्मा से उनकी तुलना की जाने लगी. कद्दावर मार्क्सवादी नेता गौरी अम्मा को कभी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सका.

हालांकि, शैलजा ने कहा कि नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से वह निराश नहीं हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक वर्ग ने ‘रॉकस्टार स्वास्थ्य मंत्री’ की संज्ञा दी थी.

उन्होंने कहा, ‘भावुक होने की जरूरत नहीं है. मैं पहले पार्टी के फैसले की वजह से मंत्री बनी. मैंने जो किया उससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं. मुझे विश्वास है कि नई टीम मुझसे बेहतर कर सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘व्यक्ति नहीं बल्कि व्यवस्था महामारी के खिलाफ लड़ाई को लड़ रही है. मुझे खुशी है कि मैं टीम का नेतृत्व कर सकी.’

हालांकि माकपा के बयान के अनुसार उन्हें पार्टी में सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी ने इस बात पर जोर दिया था कि मुख्यमंत्री को छोड़कर मंत्रिमंडल में सभी नए चेहरे शामिल होने चाहिए.

पार्टी की राज्य समिति ने दो महिलाओं समेत 11 नए चेहरों को नामित किया है. उन्हें कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यहां सेंट्रल स्टेडियम में 20 मई को शपथ दिलाई जाएगी. राज्य समिति ने अपने मुख्यालय एकेजी सेंटर में बैठक में विजयन को नेता चुना.

इस बात की तो पूरी संभावना थी कि किसी निवर्तमान मंत्री को विजयन के नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी, लेकिन यह भी उम्मीद की जा रही थी कि शैलजा को इस मामले में छूट दी जा सकती है.

शैलजा ने कन्नूर की मत्तनूर सीट से 60,963 मतों के सर्वाधिक अंतर से जीत हासिल की थी. चुनाव के दौरान मीडिया ने उन्हें भविष्य में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में भी पेश किया था. लेकिन, तमाम उम्मीदों को दरकिनार हुए शैलजा को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर विभिन्न दलों के नेताओं ने निराशा जताई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों ने बताया है कि दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय इकाई के कुछ नेता शैलजा को कैबिनेट से बाहर रखने के फैसले से खुश नही हैं. उन्होंने ये भी कहा है कि ऐसा फैसला लेने से पहले राज्य इकाई ने उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया.

ऐसा कहा जा रहा है कि माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात इस निर्णय से खुश नहीं हैं.

हालांकि सूत्रों ने ये भी कहा कि चूंकि बंगाल में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया और वहीं दूसरी तरफ विजयन केरल में ऐतिहासिक दूसरी बार अपनी पार्टी की सत्ता काबिज करने में सफल रहे हैं, इसलिए केंद्रीय इकाई इसमें हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी.

इस बारे में पूछे जाने पर येचुरी ने कहा कि राज्य में मंत्री बनाने का फैसला, राज्य इकाई के अधिकार क्षेत्र का मामला है.

केरल की लेफ्ट फ्रंट में शामिल भाकपा के महासचिव डी. राजा ने भी इस फैसले पर चिंता जाहिर की है.

सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक शैलजा ने पिछले साल राज्य में कोरोना महामारी को रोकने में शानदार काम किया था. उन्होंने साल 2018 और 2019 में निपाह वायरस के फैलने के समय भी अच्छा काम किया था.

सोशल मीडिया पर भी लोगों ने शैलजा को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनके प्रशंसक उन्हें ‘शैलजा टीचर’ या ‘टीचर अम्मा’ जैसे नामों से पुकारते हैं.

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने कहा कि राज्य में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बीच उन्हें मंत्री नहीं बनाना अच्छा नहीं होगा.

कुछ लोगों ने उनके प्रति एकजुटता दिखाते हुए वॉट्सऐप की अपनी डीपी में उनकी तस्वीरें लगाईं तो कुछ ने उनकी तुलना गौरी अम्मा को 1987 में अंतिम समय में कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद से वंचित किए जाने से की.

चुनावों के दौरान गौरी अम्मा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में तब पेश किया गया था, लेकिन नतीजे आने के बाद पार्टी ने उन्हें कथित तौर पर दरकिनार करके ईके नयनार को मुख्यमंत्री बनाने को तरजीह दी थी.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि शैलजा, आईजक और अन्य को मंत्रिमंडल में जगह इसलिए नहीं दी गई है, क्योंकि वे लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं.

सूत्रों ने कहा कि पार्टी संसदीय राजनीति में दूसरी पीढ़ी के नेताओं को तैयार करना और उन्हें मौका देना चाहती है. उन्होंने यह भी दावा किया कि नए मंत्रिमंडल में वरिष्ठों और युवाओं दोनों को मौका मिलेगा.

पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य एमवी गोविंदन, राज्यसभा के पूर्व सदस्य पी. राजीव और केएन बालगोपाल, वरिष्ठ नेताओं के. राधाकृष्णन, वीएन वासवन, साजी चेरियन और वी. शिवनकुट्टी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें विजयन की दूसरी कैबिनेट में मौका मिला है.

वीना जॉर्ज और माकपा की राज्य इकाई के कार्यकारी सचिव ए. विजयराघवन की पत्नी आर. बिंदु नए मंत्रिमंडल में शामिल होने वाली महिला सदस्य हैं.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय एकेजी सेंटर में वरिष्ठ नेता एलमाराम करीम की अध्यक्षता में हुई पार्टी की राज्य समिति की बैठक में एमबी राजेश को पार्टी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी चुना गया. उन्होंने कांग्रेस के वीटी बलराम से थिरतला सीट माकपा को दिलाई  है.

इस बीच भाकपा ने भी मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मौका दिया है.

भाकपा ने बताया कि नव निर्वाचित विधायक के. राजन, पी. प्रसाद, जे. चिंचू रानी और जी. आर अनिल गठबंधन सरकार में पार्टी की ओर से मंत्री बनेंगे.

उसने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और अडूर से विधायक सी. गोपकुमार को पार्टी की ओर से विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामित किया गया है.

विजयन ने पहले कहा था कि 21 सदस्यीय सरकार बनाने का फैसला किया गया है, जिसमें से माकपा, भाकपा और केरल कांग्रेस (एम) ने 16 सदस्यों को नामित किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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