11 दिन तक चले युद्ध के बाद इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष विराम पर बनी सहमति

इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.

People gesture near the rubble of a damaged building as Palestinians celebrate in the streets following a ceasefire, in Gaza City May 21, 2021. REUTERS/Mohammed Salem

इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.

People gesture near the rubble of a damaged building as Palestinians celebrate in the streets following a ceasefire, in Gaza City May 21, 2021. REUTERS/Mohammed Salem
संघर्ष विराम के बाद गाजा सिटी में युद्ध में तबाह हुई एक इमारत के पास जश्न माने फलस्तीन के लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

वॉशिंगटन/संयुक्त राष्ट्र: इजरायल और हमास के बीच बृहस्पतिवार को संघर्ष विराम पर सहमति बनी, जिसके बाद 11 दिन तक चले निर्मम युद्ध पर विराम लग गया.

इस 11 दिन के खूनी संघर्ष में गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इजरायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और 200 से अधिक लोगों की जानें गईं.

19 मई तक इस संघर्ष में 208 फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें करीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इजरायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.

स्थानीय समयानुसार, बृहस्पतिवार देर रात दो बजे जैसे ही संघर्ष विराम प्रभावी हुआ, गाजा की सड़कों पर जोशपूर्ण माहौल देखने को मिला. लोग घरों से बाहर आ गए, कुछ जोर-जोर से ‘अल्लाहू अकबर’ बोलने लगे या अपनी बालकनी से सीटी बजाने लगे. कई लोगों ने हवा में गोलियां चलाईं और इस विराम पर जश्न मनाया.

दोनों धुर विरोधियों के बीच पिछले तीन संघर्षों की तरह ही लड़ाई का यह ताजा सिलसिला भी बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हुआ.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फलस्तीनियों और इजरायलियों को सुरक्षित तरीके से जीवन जीने का समान रूप से अधिकार है और स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान प्रावधानों को प्राप्त करने का भी हक है.

बाइडन ने बृहस्पतिवार को ह्वाइट हाउस में कहा, ‘मेरा मानना है कि फलस्तीनियों और इजरायलियों को समान रूप से सुरक्षित जीवन जीने का तथा स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान उपायों को हासिल करने का अधिकार है. मेरा प्रशासन उस दिशा में हमारी शांत एवं अनवरत कूटनीति को जारी रखेगा. मेरा मानना है कि हमारे पास प्रगति करने के वास्तविक अवसर हैं और मैं इसपर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं.’

बाइडन ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर गाजा के लोगों को त्वरित मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.

इजरायल ने हमास को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाने का दावा किया है लेकिन एक बार फिर वह इस्लामी चरमपंथी समूहों की ओर से लगातार रॉकेट दागे जाने को रोक पाने में असफल रहा है.

संघर्ष विराम की घोषणा के तुरंत बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू को उनकी कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी से आक्रोशित आरोपों का सामना करना पड़ा कि उन्होंने अभियान को बहुत जल्द रोक दिया.

उधर, इजरायल को बर्बाद करने की कसम खाने वाले इस्लामी चरमपंथी समूह हमास ने भी जीत का दावा किया है, लेकिन अब उसे गरीबी, व्यापक बेरोजगारी और बढ़ते कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले से ही जूझ रहे क्षेत्र में पुनर्निर्माण की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उनके सुरक्षा कैबिनेट ने इजरायल के सैन्य प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की अनुशंसा के बाद मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया है.

अभियान में ‘महत्वपूर्ण उपलब्धियों का दावा किया गया है, जिनमें से कुछ को अभूतपूर्व बताया गया है.’ इसमें हमास के खिलाफ एक अप्रत्यक्ष धमकी भी शामिल है.

बयान में कहा गया, ‘नेताओं ने कहा है कि जमीनी हकीकत अभियान के भविष्य को निर्धारित करेगी.’

इस बीच गाजा में हमास के एक प्रवक्ता अब्देल आतिफ अल कनाओ ने कहा कि इजरायल की घोषणा, हार की घोषणा है. फिर भी समूह ने कहा कि वह इस समझौते का मान रखेगा.

यह संघर्ष 10 मई को शुरू हुआ था, जब गाजा से हमास चरमपंथियों ने यरुशलम की तरफ लंबी दूरी के रॉकेट दागे थे.

समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद परिसर में फलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इजरायली पुलिस के बीच संघर्ष के कुछ दिनों बाद गोलीबारी शुरू हुई थी. मुसलमानों और यहूदियों के पवित्र स्थल पर बनाई गई मस्जिद में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती और यहूदी आश्रय गृहों में बसने वाले दर्जनों फलिस्तीनियों को बेदखल करने की धमकी ने तनाव को भड़का दिया था.

यरुशलम के लिए इजरायल और फलिस्तीनी की ओर से किए जा रहे दावे दोनों के बीच संघर्ष का केंद्र हैं और इसी के चलते अतीत में भी बार-बार हिंसा भड़की है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इजरायल-गाजा के बीच हुए संघर्ष विराम का स्वागत किया

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतेरस ने 11 दिनों के ‘खूनी संघर्ष’ के बाद गाजा और इजरायल के बीच हुए संघर्ष विराम का स्वागत किया है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायली और फलस्तीनी नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे शांति कायम करने से परे जाकर ‘गंभीर वार्ता’ शुरू करें, ताकि इस संघर्ष के मूल का समाधान किया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतेरस ने संघर्ष विराम की घोषणा के बाद कहा, ‘मैं गाजा और इजरायल के बीच 11 दिनों की खूनी शत्रुता के बाद घोषित संघर्ष विराम का स्वागत करता हूं. मैं हिंसा के पीड़ितों और उनके प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)