केंद्र ने ट्विटर से संबित पात्रा के ‘कांग्रेस टूलकिट’ ट्वीट से ‘मैनिपुलेटेड’ टैग हटाने को कहा

बीते साल ट्रंप प्रशासन द्वारा ट्विटर के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की गई धमकाने वाली समान भाषा में केंद्र सरकार ने कहा कि अगर ट्विटर आधिकारिक मांगों को नहीं मानता है तो एक 'मध्यस्थ' के बतौर उसकी क़ानूनी स्थिति पर सवाल उठ सकता है. सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर ने एकतरफा तरीके से मामले में निष्कर्ष निकाल कर भाजपा नेता के ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ की श्रेणी में डाल दिया.

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संबित पात्रा. (फोटो: पीटीआई/द वायर)

बीते साल ट्रंप प्रशासन द्वारा ट्विटर के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की गई धमकाने वाली समान भाषा में केंद्र सरकार ने कहा कि अगर ट्विटर आधिकारिक मांगों को नहीं मानता है तो एक ‘मध्यस्थ’ के बतौर उसकी क़ानूनी स्थिति पर सवाल उठ सकता है. सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर ने एकतरफा तरीके से मामले में निष्कर्ष निकाल कर भाजपा नेता के ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ की श्रेणी में डाल दिया.

संबित पात्रा. (फोटो: पीटीआई/द वायर)
संबित पात्रा. (फोटो: पीटीआई/द वायर)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कोविड- 19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के कथित टूलकिट के साथ ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए (मैनिपुलेटेड) मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर ट्विटर से आपत्ति जताई है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि सरकार ने ट्विटर से कहा कि वह ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग को हटाए क्योंकि मामला कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष लंबित है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार एक अनाम सूत्र के हवाले से बताया गया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि है कि सोशल मीडिया मंच निर्णय नहीं दे सकता, वह भी तब जब मामले की जांच जारी हो.

सरकार ने ट्विटर से जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा. साथ ही सरकार ने कंपनी से कहा कि सत्यता का पता जांच से चलेगा न कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के माध्यम से.

इन अनाम सूत्रों के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कड़े शब्दों में ट्विटर की वैश्विक टीम को पत्र लिखा है और कुछ राजनेताओं के ट्वीट के साथ ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग पर आपत्ति दर्ज कराई है.

उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं द्वारा यह ट्वीट कथित रूप से कोविड-19 महामारी के खिलाफ सरकार की कोशिशों को कमतर दिखाने, पटरी से उतारने और बदनाम करने के लिए कांग्रेस द्वारा बनाए टूलकिट के संदर्भ में किए गए थे.

ट्विटर के साथ किए गए संवाद में मंत्रालय ने कहा कि पहले ही स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी के समक्ष संबंधित पक्षकारों में से एक ने शिकायत दर्ज कराई है और टूलकिट की सच्चाई पर सवाल उठाया है एवं उसकी जांच की जा रही है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी मामले की जांच कर रही है, ऐसे में ट्विटर ने एकतरफा तरीके से इस मामले में निष्कर्ष निकाल लिया और मनमाने तरीके से ‘ मैनिपुलेटेड मीडिया की श्रेणी’ के साथ इसे टैग कर दिया.

सूत्रों ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि ट्विटर द्वारा इस तरह की टैगिंग न्याय से पूर्व, पूर्वाग्रह और जानबूझकर स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी की जांच प्रभावित करने की कोशिश है.

ऐसा पहली बार है जब किसी सोशल मीडिया पोस्ट के बचाव में ‘उचित प्रक्रिया’ का हवाला दिया है.

इससे पहले ट्विटर सरकार के निर्देशों पर कुछ कंटेंट हटाया है और कारवां पत्रिका जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान समेत कई ट्विटर हैंडल ब्लॉक कर चुका है. इनमें से कंटेंट हटाने को लेकर कुछ अनुरोध ऐसे मामलों से संबंधित  थे, जहां या तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी या वह जांच प्रक्रिया में थी, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इससे पहले कभी भी इस तरह की कार्रवाई को ‘मामले को लेकर पूर्वाग्रह रखने’ के समान नहीं बताया गया.

मंत्रालय ने ट्विटर के इस कथित एकतरफा कदम को निष्पक्ष जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने और अपनी सीमा का उल्लंघन करार दिया है.

मंत्रालय द्वारा कहा गया कि यह पूरी तरह से अवांछित था. ट्विटर ने एकतरफा तरीके से कुछ ट्वीट को ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया हुआ’ दिखाया जबकि कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जांच लंबित है.

सूत्रों के मुताबिक, इस पत्र में कहा गया कि ऐसे कदम से न केवल ट्विटर की उपयोगकर्ताओं द्वारा तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से विचारों के आदान-प्रदान के मंच के तौर पर विश्वसनीयता कमजोर होती है बल्कि ‘मध्यस्थ’ के तौर पर ट्विटर पर सवाल उठता है.

एक मध्यस्थ के रूप में ट्विटर की कानूनी स्थिति का संदर्भ एक ऐसा खतरा है जो उस कदम की याद दिलाता है जिसे ट्रंप प्रशासन ने तब लेने का प्रयास किया था, जब पिछले साल ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों द्वारा फैलाई जा रही फेक न्यूज़ के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू किया था.

किसी कंटेंट को मैनिपुलेटेड मीडिया के तौर पर चिह्नित करने के संबंध में अपनी नीति में ट्विटर कहता है कि…  ‘वह उस ट्वीट को ऐसा ‘लेबल’ दे सकता है जिससे संबद्ध मीडिया (वीडियो, ऑडियो और तस्वीरें) को छलपूर्वक तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया हो. इसके अलावा, आप भ्रामक रूप से बदले गए मीडिया को ट्विटर पर इस तरीके से साझा नहीं कर सकते हैं जिससे लोगों को मीडिया की प्रामाणिकता के बारे में गुमराह या धोखा दिया जाए, जिसका नतीजा शारीरिक सुरक्षा के लिए खतरा या अन्य गंभीर नुकसान हो सकते हैं.

गौरतलब है कि यह पत्र ट्विटर द्वारा भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के उस ट्वीट को ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया‘ करार दिए जाने के बाद आया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एक ‘टूलकिट’ तैयार किया था.

मालूम हो कि ट्विटर ने इस तरह की कई चेतावनी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी दी थी, जब कथित तौर पर ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए उकसाया था, जिसके बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी.

पात्रा और भाजपा के कई नेताओं द्वारा तथाकथित फर्जी टूलकिट शेयर करने को लेकर बीते गुरुवार को कांग्रेस ने ट्विटर से शिकायत की थी और ऐसे नेताओं के अकाउंट बंद करने की मांग की थी.

इससे पहले फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भाजपा के बड़े नेता जिस टूलकिट को शेयर कर रहे हैं, उसे कांग्रेस के जाली लेटरहेड पर बनाया गया है.

कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की एक सदस्य ने द वायर को बताया, ‘भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि हम लोगों के दुखों के साथ खेल रहे हैं, जबकि राहत कार्यों को बढ़ाने के लिए पार्टी हरसंभव कदम उठा रही है. केवल भाजपा जैसी पार्टी ही इतना नीचे गिर सकती है.’

मालूम हो कि बीते 18 मई को उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘गिद्धों की राजनीति’ उजागर हुई है.

एक ‘कोविड-19 टूलकिट’ का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘अपमानित और बदनाम’ करने की कोशिश की है.

उन्होंने आरोप लगाया था, ‘राहुल गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) ने महामारी को प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल करने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कोरोना के नए स्ट्रेन को ‘मोदी स्ट्रेन’ का नाम देने का निर्देश दिया. विदेशी पत्रकारों की मदद से भारत को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई.’

पात्रा ने कहा कि कोरोना का जो नया स्ट्रेन आया है, उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारतीय स्ट्रेन कहने से मना कर दिया है, लेकिन कांग्रेस इसे ‘इंडियन स्ट्रेन’ और उससे भी आगे बढ़कर ‘मोदी स्ट्रेन’ के नाम से प्रसारित करने में लगी है.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि कुंभ को सुप्रर स्प्रेडर (बड़े स्तर पर संक्रमण फैलाने का माध्यम) के रूप में प्रचारित करने की बात की गई है. ईद और कुंभ की तुलना कर धर्म को बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस ने की है. आप कुंभ को बदनाम करिए और ईद के विषय में कुछ मत कहिए. इस प्रकार की सोच भी हो सकती है, क्या किसी की?.’

इसी तरह के आरोप भाजपा नेता जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी और बीएल संतोष ने भी कांग्रेस पर लगाए थे. इसके अलावा इसमें केंद्रीय मंत्रियों- पीयूष गोयलहरदीप सिंह पुरीकिरन रिजिजूअनुराग ठाकुरप्रह्लाद जोशी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, भाजपा सांसदों- राज्यवर्धन सिंह राठौड़तेजस्वी सूर्यापीसी मोहनमनोज कोटकविनय सहस्त्रबुद्धे जैसे लोग भी शामिल हैं.

भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि टूलकिट में ‘लापता अमित शाह’, ‘क्वारंटीन जयशंकर’, ‘साइडलाइन राजनाथ सिंह’ और ‘असंवेदनशील निर्मला सीतारमण’ जैसे शब्द इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. भाजपा नेता #CongressToolkitExposed नाम से ट्विटर टैग वायरल करा रहे थे.

बता दें कि टूलकिट एक प्रकार का दस्तावेज होता है, जिसमें अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बिंदुवार मुद्दे होते हैं. अभियान को धार देने के लिए इन्हीं मुद्दों पर विरोधियों को घेरने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है.

इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा पर कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बचाने एवं लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ‘फर्जी टूलकिट’ तैयार करने का आरोप लगाया और सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, उसके वरिष्ठ नेताओं- बीएल संतोष, स्मृति ईरानी, संबित पात्रा तथा कई अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस में ‘जालसाजी’ की शिकायत दर्ज कराई.

पात्रा के अलावा दक्षिणपंथी शेफाली वैद्य के ट्वीट को भी ट्विटर ने इसी श्रेणी में डाला है.

पात्रा के ट्वीट पर ट्विटर से ‘नकली दस्तावेज बनाने वाली’ भाजपा की पोल खुली: कांग्रेस

कांग्रेस ने ‘टूलकिट’ मामले में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को ट्विटर द्वारा ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया‘ करार दिए जाने के बाद भाजपा पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट के इस कदम से ‘नकली दस्तावेज बनाने वाली‘ सत्तारूढ़ पार्टी की पोल खुल गई.

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह दावा भी किया कि भाजपा ‘नकली दस्तावेज‘ तैयार करके विपक्ष को बदनाम करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस ‘नकली छवि‘ को बचाने की कोशिश कर रही है जिसे अरबों रुपये खर्च करके बनाया गया है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘संकट की इस घड़ी में आज पूरा देश पूछ रहा है कि सरकार कहां हैं? सरकार क्या कर रही है? यह सबको दिख रहा है. उम्मीद थी कि ये लोगों के आंसू पोछेंगे. लेकिन सरकार और सत्ताधारी दल इस काम में मशगूल हैं कि कैसे नकली दस्तावेज बनाना है और विपक्ष को बदनाम करना है.‘

खेड़ा ने दावा किया, ‘भाजपा की कोशिश अरबों रुपये खर्च करके बनाई गई प्रधानमंत्री की नकली छवि को बचाना है. अब इनकी पोल खुल गई.‘

उन्होंने कहा, ‘इनकी पोल खुल गई है, लेकिन दुख इस बात है कि ये लोग भारत की कैसी छवि बना रहे हैं.‘

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को ट्विटर से लिखित तौर पर कहा था कि वह ‘समाज में गलत जानकरी और अशांति फैलाने’ के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई भाजपा नेताओं के अकाउंट स्थायी रूप से निलंबित कर दे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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