तरुण तेजपाल फ़ैसला: अदालत ने कहा- महिला ने ऐसा ‘व्यवहार’ नहीं किया, जैसा यौन उत्पीड़न पीड़ित करती हैं

तहलका के संस्थापक और संपादक तरुण तेजपाल को सहकर्मी से यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी करते हुए गोवा की सत्र अदालत की जज क्षमा जोशी ने कहा कि घटना का कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है और शिकायतकर्ता की 'सच्चाई पर संदेह पैदा करने' वाले 'तथ्य' मौजूद हैं. गोवा सरकार ने इस निर्णय को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

//
तरुण तेजपाल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

तहलका के संस्थापक और संपादक तरुण तेजपाल को सहकर्मी से यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी करते हुए गोवा की सत्र अदालत की जज क्षमा जोशी ने कहा कि घटना का कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है और शिकायतकर्ता की ‘सच्चाई पर संदेह पैदा करने’ वाले ‘तथ्य’ मौजूद हैं. गोवा सरकार ने इस निर्णय को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

तरुण तेजपाल. (फाइल फोटो: पीटीआई)
तरुण तेजपाल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पणजी/नई दिल्ली:  गोवा की एक निचली अदालत ने पत्रकार तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के मामले में बरी करते हुए संदेह का लाभ दिया है और कहा है कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई सबूत मौजूद नहीं हैं.

अदालत द्वारा नवंबर 2013 के इस मामले में 21 मई को सुनाए गए फैसले की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसमें कहा गया है कि सर्वाइवर ने ‘ऐसा कोई भी मानक व्यवहार’ प्रदर्शित नहीं किया, जैसा ‘यौन उत्पीड़न की कोई पीड़ित करती’ हैं.

यह कहते हुए कि इस बात का कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है और शिकायतकर्ता की ‘सच्चाई पर संदेह पैदा करने’ वाले ‘तथ्य’ मौजूद हैं, अदालत के आदेश में कहा गया कि महिला द्वारा आरोपी को भेजे गए मैसेज ‘यह स्पष्ट रूप से स्थापित’ करते हैं कि न ही उन्हें कोई आघात पहुंचा था न ही वह डरी हुई थीं, और यह अभियोजन पक्ष के मामले को ‘पूरी तरह से झुठलाता है.’

मंगलवार को उपलब्ध कराए गए अपने 527 पन्नों के फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने लिखा, ‘रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों पर विचार करने पर …  आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है क्योंकि शिकायतकर्ता लड़की द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन करने वाले कोई सबूत नहीं हैं.’

फैसले में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट के अनुसार यह महिला का ‘व्यवहार’ था, जिसने उनके मामले को कमजोर कर दिया.

फैसले में लिखा है, ‘यह बिल्कुल साफ़ दिखता है कि अभियोक्ता (पीड़ित) ने न ही किसी ऐसे मानक व्यवहार का प्रदर्शन किया- जो यौन उत्पीड़न की कोई पीड़ित अगली दो रातों में करती और न ही आरोपी की ओर से ऐसा कोई व्यवहार किया गया.’

ट्रायल कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला की ओर से तेजपाल को होटल में उनकी लोकेशन, जहां वे अमेरिका के एक प्रतिष्ठित अभिनेता के साथ थी, के बारे में मैसेज किया जाना ‘अस्वाभाविक’ था.

उल्लेखनीय है कि महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि 7 और 8 नवंबर 2013 की को होटल की लिफ्ट में तरुण तेजपाल ने उनका यौन उत्पीड़न किया. अदालत ने कहा, ‘अगर हाल ही में आरोपी ने अभियोक्ता का दोबारा यौन उत्पीड़न किया था और वह उनसे डरी हुई थीं और सही मनःस्थिति में नहीं थीं, तो उन्होंने आरोपी से संपर्क क्यों किया और उन्हें अपनी लोकेशन के बारे में जानकारी क्यों दी, जबकि वे अन्य महिलाओं से संपर्क कर सकती थीं… ‘

आगे कहा गया, ‘अभियोक्ता का अस्वाभाविक व्यवहार साक्ष्य अधिनियम की धारा 8 के तहत भी प्रासंगिक है. उन्होंने स्वीकार किया है कि आठ नवंबर 2013 को उनके फोन से आरोपी को दो एसएमएस भेजे गए… और ये मैसेज उनके द्वारा किसी अन्य मैसेज की प्रतिक्रिया स्वरूप नहीं भेजे गए थे. अभियोक्ता का आरोपी के बिना पूछे उक्त मैसेज को भेजना और चंद मिनटों के अंतराल पर इसी मैसेज को तीन बार भेजना यह बात को स्पष्ट तौर पर स्थापित करता है कि उन्हें कोई ट्रॉमा नहीं था नहीं ही वे  इस बात से डरी हुई थीं कि आरोपी उन्हें ढूंढ लेगा. यह पूरी तरह अभियोजन के मामले को झुठला देता है कि इन मैसेज को करने के ठीक पहले आरोपी ने अभियोक्ता का दोबारा यौन शोषण किया था.’

मुकदमे के दौरान उठाए गए प्रमुख बिंदुओं में से, अदालत ने केवल एक ही सकारात्मक उत्तर दिया था कि क्या अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया था कि आरोपी भरोसे या अथॉरिटी के पद और अभियोजन पक्ष पर नियंत्रण या प्रभुत्व की स्थिति में थे.

अन्य मुद्दों, जिसमें क्या तेजपाल ने बलात्कार किया था, या सर्वाइवर की गरिमा भंग करने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया था या क्या गलत तरीके से उसे लिफ्ट से बाहर निकलने से रोका, का अदालत ने नकारात्मक जवाब दिया.

तेजपाल द्वारा 19 नवंबर 2013 को महिला को भेजे गए ‘औपचारिक माफी वाले ईमेल’, जिस पर अभियोजन का पक्ष टिका हुआ था, को लेकर अदालत ने कहा, ‘यह व्यक्तिगत माफी आरोपी ने अपनी इच्छा से नहीं भेजी थी बल्कि इसे अभियोजन की गवाह नंबर 45 (तहलका की तत्कालीन मैनेजिंग एडिटर) के दबाव और अभियोक्ता द्वारा उन्हें जल्द कार्रवाई के लिए धमकाने और अभियोजन की गवाह नंबर 45 को अभियोक्ता द्वारा किए गए वादे, जिसे आरोपी तक पहुंचाया गया था कि अगर आरोपी माफी मांग ले तो मामले को संस्थागत स्तर पर ही ख़त्म किया जाएगा, के चलते भेजी गई थी.’

अदालत ने आगे कहा, ‘इसलिए, यहां तक कि यह मानते हुए कि व्यक्तिगत ईमेल… अभियोक्ता को भेजा गया था, आरोपी का तर्क है कि ईमेल उनकी अनिच्छा से और उनकी मर्जी के विरुद्ध भेजा गया है, और यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 के तहत आरोपी के खिलाफ स्वीकार्य नहीं होगा.’

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 कहती है कि आपराधिक कार्यवाही में ऐसे इकबालिया बयान के कोई मायने नहीं हैं जो प्रलोभन, धमकी या किसी वादे के चलते किए गए.

इसी तरह महिला ने कहा था कि उनके तेजपाल की बेटी को इस घटना के बारे में बताने पर उन्होंने उन्हें बुरी तरह डांटा, अदालत ने माना कि तेजपाल के इस दावे कि उन्होंने महिला की उनके काम की वजह से आलोचना की थी, में दम है. कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी ने कहा है कि संभवत: 8 नवंबर, 2013 को उससे मिलने और आरोपी द्वारा काम में लापरवाही के लिए अभियोक्ता को फटकार लगाने के बाद, अभियोक्ता ने मानसिक उन्माद की हालत में झूठे और दुर्भावनापूर्ण रूप से आरोपी द्वारा कथित यौन हमले के बारे में आरोपी की बेटी को बताया. इस बात में दम है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.’

अदालत ने यह भी कहा कि मामले में एफआईआर दर्ज होने से पहले महिला द्वारा बड़े वकीलों, राष्ट्रीय महिला आयोग की एक सदस्य और पत्रकारों से संपर्क किया गया था. जज ने लिखा, ‘इन विशेषज्ञों की मदद से घटनाओं से छेड़छाड़ या घटनाओं को जोड़ने की संभावना है. आरोपी के वकील ने सही कहा है कि अभियोक्ता (पीड़ित) के बयान को इस एंगल से भी देखा जाना चाहिए.’

अदालत ने आगे कहा, ‘रिकॉर्ड पर कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो अभियोक्ता की सच्चाई पर संदेह उत्पन्न करते हैं. रिकॉर्ड पर कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है कि एफआईआर में देरी क्यों हुई और अभियोक्ता ने मेडिकल जांच के लिए मना कर दिया.’

कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि वह लिफ्ट, जिसमें कथित तौर पर उत्पीड़न किया गया, बिना हर मंजिल पर इसके दरवाजे खुले बिना चल कैसे रही थी.

घटना के सात साल बाद दिसंबर 2020 में महिला से दोबारा पूछताछ हुई थी. कोर्ट के अनुसार, तब वे ‘अपनी पिछली कही बात से पूरी तरह मुकर गईं’ कि आरोपी ने लिफ्ट को चलते रखने के लिए बटन दबाए थे और दावा किया कि उन्होंने बस ‘आरोपी को लिफ्ट के पैनल के बटन दबाते देखा था लेकिन यह नहीं मालूम कि आरोपी ने कौन-सा एक बटन दबाया’ था. इससे इस बात को लेकर ‘अस्पष्टता’ पैदा हुई कि लिफ्ट चल रही थी या रुकी हुई थी.

अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी (अपराध शाखा की अधिकारी सुनीता सावंत) ने आठ साल पुराने इस मामले में महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच नहीं की.

अदालत ने अभियोजन पक्ष के सीसीटीवी फुटेज के सबूत में गलती पाई और पाया कि जांच अधिकारी ने ‘जानबूझकर अदालत से इमरजेंसी लाल बटन के वास्तविक काम के साक्ष्य को छुपाया था, क्योंकि यह अभियोक्ता के बयान और अभियोजन के मामले के विरोधाभास में था.’

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर फ्रांसिस्को तवोरा की अगुवाई वाले अभियोजन ने 71 गवाहों से पूछताछ की थी, बचाव पक्ष के मरहूम वकील राजीव गोम्स ने चार गवाहों से पूछताछ की थी.

गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को गोवा की एक अदालत ने ‘तहलका’ पत्रिका के संस्थापक-संपादक तेजपाल पर गोवा के एक आलीशान होटल की लिफ्ट में महिला साथी के यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया था.

तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), धारा 376 की उपधारा दो (फ) (पद का दुरुपयोग कर अधीनस्थ महिला से बलात्कार) और 376 (2) (क) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चला.

मंगलवार को गोवा सरकार ने सत्र अदालत के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी. गोवा के एडवोकेट जनरल देवीदास पंगम ने बताया कि राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी है.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि महिला के साथ नाइंसाफी हुई है और उनकी सरकार तेजपाल के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेगी क्योंकि उसे विश्वास है कि पत्रकार के खिलाफ सबूत मौजूद हैं.

उच्च न्यायालय ने अभी अपील पर सुनवाई की तारीख तय नहीं की है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq