समाचार प्रसारकों ने नए आईटी नियमों में सरकार से छूट की मांग की

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.

Bikaner: People watch Prime Minister Narendra Modi's address to the nation on coronavirus pandemic in Bikaner, Thursday, March 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-03-2020_000246B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने बृहस्पतिवार को सरकार से पारंपरिक टेलीविजन समाचार मीडिया और डिजिटल समाचार प्लेटफॉर्म पर इसकी विस्तारित उपस्थिति को आईटी नियम 2021 के दायरे से ‘छूट देने और बाहर’ रखने का आग्रह करते हुए कहा कि वह पहले से ही विभिन्न व्यवस्थाओं, कानूनों, दिशानिर्देशों और नियम एवं विनियमनों द्वारा ‘पर्याप्त रूप से विनियमित’ है.

एनबीए ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में अपनी चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा, ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी अधिनियम, 2000) ने डिजिटल समाचार मीडिया के नियमन पर विचार नहीं किया था. इसके बावजूद आईटी नियम, 2021 में अन्य के साथ-साथ पारंपरिक समाचार मीडिया यानी इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन समाचार मीडिया, जिसमें डिजिटल समाचार फीड शामिल हैं और अन्य डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर उपस्थिति को इसके दायरे में लाने का प्रयास किया गया है. यह आईटी अधिनियम, 2000 के अधिकारातीत प्रतीत होता है.’

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बीते 26 मई को डिजिटल समाचार वेबसाइटों और ओटीटी प्लेटफार्मों को नोटिस जारी कर नए आईटी नियमों के अनुपालन की स्थिति के बारे में पूछा था.

इसके अलावा मंत्रालय ने 27 मई को तीन अलग-अलग प्रारूपों- डिजिटल चैनलों के साथ प्रिंट या टीवी चैनल, सिर्फ डिजिटल रूप में समाचार देने वाले वेबसाइट और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता), 2021 के नियम 18 के तहत जानकारी प्रदान करने के लिए नोटिस जारी किया था.

इस साल फरवरी में आईटी नियम, 2021 के तहत पहली बार रेखांकित किया गया था कि सरकार द्वारा डिजिटल समाचार संगठनों, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों को कैसे विनियमित किया जाएगा.

एनबीए कई प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय निजी टेलीविजन समाचार और समसामयिक मामलों के प्रसारकों का प्रतिनिधित्व करता है जो हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार चैनल चलाते हैं.

उसने कहा, ‘एनबीए विनियमन की आवश्यकता की सराहना करता है, लेकिन किसी भी स्थिति में पारंपरिक समाचार मीडिया को आईटी नियम 2021 के दायरे में लाने या शामिल करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह पहले से ही विभिन्न व्यवस्थाओं, कानूनों, दिशानिर्देशों और नियम एवं विनियमनों द्वारा ‘पर्याप्त रूप से विनियमित’ है.’

उसने कहा कि एनबीए के सदस्यों का आचार संहिता एवं प्रसारण मानकों और नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) विनियमनों और दिशानिर्देशों का पालन करना भी आवश्यक है.

एनबीएसए एक स्वतंत्र स्व-नियामक तंत्र है, जिसका नेतृत्व एक प्रख्यात न्यायविद द्वारा किया जाता है, जिसमें नागरिक समाज के चार स्वतंत्र सदस्य होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित व्यक्ति होते हैं और साथ ही इसमें एनबीए के सदस्यों में से चार संपादक होते हैं.

एनबीए ने कहा, ‘आईटी नियम 2021, यदि लीनियर टेलीविजन माध्यम के डिजिटल मीडिया पर लागू किया जाता है, तो इसका परिणाम केवल न्यायिक और निवारण तंत्र का दोहराव होगा जिसके परिणामस्वरूप समानांतर न्यायिक निकायों का निर्माण होगा.’

समाचार प्रसारकों के निकाय ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में प्रशासनिक नियम निर्धारित करता है, जिससे छोटे या मध्यम आकार के पारंपरिक समाचार मीडिया संगठनों के लिए बना रहना ‘लगभग असंभव’ हो जाएगा.

एनबीए ने कहा, ‘आईटी नियम, 2021 के तहत परिकल्पित किसी भी अतिरिक्त अनुदेश के परिणामस्वरूप कर्मचारियों की लागत और पारंपरिक टेलीविजन समाचार मीडिया संगठनों के अनुपालन आवश्यकताएं बढ़ जाएंगी और समानांतर प्रक्रियाओं का दोहराव एवं निर्माण होगा.’

एनबीए ने कहा कि मीडिया संस्थाओं को प्रत्येक शिकायत का समाधान करने और कई मंचों के सामने अपना बचाव करने में ‘महत्वपूर्ण संसाधन और समय’ लगाना होगा.

उसने कहा, ‘इसलिए, एनबीए का सुझाव है कि मुख्य रूप से एनबीएसए के पहले से मौजूद तंत्र को और मजबूत करने और केबल टीवी नियमों के तहत एनबीए की आचार संहिता को वैधानिक मान्यता देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.’

एनबीए ने यह भी कहा कि आईटी अधिनियम, 2000 और आईटी नियम 2021, और ‘विशेष रूप से’ प्रावधान आपात स्थिति में सामग्री को अवरुद्ध करने जैसे प्रावधानों से मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ‘गंभीर रूप से’ प्रभावित होगी.

एनबीए ने कहा, ‘चूंकि समाचार चैनल या प्रसारक और उनकी विस्तारित डिजिटल इकाइयां लागू कानूनों और विनियमनों का पालन करते हैं और समाधान तंत्र के कई स्तरों से शासित होते हैं, यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.’

इसमें कहा गया है, ‘एनबीए पारंपरिक समाचार मीडिया के स्वामित्व वाले और उनके द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म को आईटी नियम, 2021 के प्रावधानों के दायरे से बाहर करने का अनुरोध करता है.’

एसोसिएशन ने मंत्रालय से आईटी नियम, 2021 को ‘स्थगित या निलंबन में’ रखने का भी आग्रह किया, विशेष रूप से एनबीए सदस्यों के संबंध में, जब तक कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में आईटी नियम, 2021 को चुनौती देने वाले लंबित मामलों पर निर्णय नहीं हो जाता है.

मालूम हो कि फरवरी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए आईटी नियमों के हिसाब से बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को किसी उचित सरकारी एजेंसी या अदालत के आदेश/नोटिस पर एक विशिष्ट समय-सीमा के भीतर गैर कानूनी सामग्री हटानी होगी.

नियमों में सेक्सुअल कंटेट के लिए अलग श्रेणी बनाई गई है, जहां किसी व्यक्ति के निजी अंगों को दिखाए जाने या ऐसे शो जहां पूर्ण या आंशिक नग्नता हो या किसी की फोटो से छेड़छाड़ कर उसका प्रतिरूप बनने जैसे मामलों में इस माध्यम को चौबीस घंटों के अंदर इस आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा.

नए नियमों के अनुसार, सरकार या अदालत के कहने पर सोशल मीडिया मंचों, खासकर मैसेजिंग की प्रकृति (जैसे वॉट्सऐप) वाले मंचों को शरारतपूर्ण सूचना की शुरुआत करने वाले ‘प्रथम व्यक्ति’ की पहचान  का खुलासा करना होगा.

इस कदम का उद्देश्य वॉट्सऐप और सिग्नल का इस्तेमाल फेक न्यूज़ फ़ैलाने व अवैध कामों में करने वाले लोगों को पकड़ना है, लेकिन साइबर विशेषज्ञों का डर है कि इसके लिए कंपनियों को उनकी एंड टू एंड एन्क्रिप्शन वाले प्रोटोकॉल को तोडना होगा जिससे ‘सर्विलांस सरकार’ (कड़ी निगरानी) का रास्ता खुल जाएगा.

26 मई से लागू होने वाले नए आईटी नियमों पर रोक लगाने की मांग को लेकर वॉट्सऐप ने दिल्ली में भारत सरकार के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज कराई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि ये नियम कैलिफोर्निया स्थित फेसबुक इकाई (वॉट्सऐप) को गोपनीयता सुरक्षा तोड़ने के लिए मजबूर करेंगे.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मुकदमा दिल्ली हाईकोर्ट से यह घोषित करने के लिए कहता है कि नए नियमों में से एक, भारत के संविधान में गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को सूचना को सबसे पहले देने वाले व्यक्ति की पहचान करने की आवश्यकता होती है, जब अधिकारी इसकी मांग करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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