हमारा राजनीतिक वर्ग अंधविश्वास का सबसे बड़ा संरक्षक है

नेता कई तरह की गुप्त पूजा कराते हैं जिसका ख़र्च बीस-बीस लाख आता है. क्रिकेटर से लेकर सार्वजनिक जीवन का हर संभ्रांत प्रतीक अंधविश्वास का संरक्षक है, इसलिए सिरसा के डेरा समर्थकों को गंवारों की फौज न कहें.

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गुरमीत रामरहीम (फोटो: पीटीआई)

नेता कई तरह की गुप्त पूजा कराते हैं जिसका ख़र्च बीस-बीस लाख आता है. क्रिकेटर से लेकर सार्वजनिक जीवन का हर संभ्रांत प्रतीक अंधविश्वास का संरक्षक है, इसलिए सिरसा के डेरा समर्थकों को गंवारों की फौज न कहें.

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कई बार महिलाओं को पीरियड की शुरुआत में ऐसी स्थिति बन जाती है, कि घर के पवित्र स्थान पर शुरू हो जाते हैं. अमूमन ऐसी जगह जहां जाने की मनाही है. जैसे रसोई में काम करते समय या पूजा घर में सफाई करते समय या ऐसे ही किसी अन्य पवित्र स्थल पर जहां इन दिनों महिलाओं को नहीं जाना चाहिए. रसोई के कामों में शुरू के दिनों में हाथ नहीं लगाया जाता है लेकिन ये तो एक साइकिल है, जो हर महीने होना है और ये आपके हाथ में भी नहीं होता है, इसलिए पूरे साल आपके साथ ऐसी कोई घटना हुई है तो उसके पाप बोध से बचने के लिए ये एक दिन होता है ऋषि पंचमी का.’

यूट्यूब पर कई बार वीडियो को आगे-पीछे कर जब आपके लिए इस टेक्स्ट को लिख रहा था तब हमारे समय की आधुनिकता के तमाम दावे घूर रहे थे. चोटी के पहले तीन हिंदी चैनलों में से एक पर आने वाले कार्यक्रम का यह वीडियो है. नाम लेना ज़रूरी नहीं क्योंकि एनडीटीवी इंडिया को छोड़ हिंदी के सारे चैनल इस तरह के कार्यक्रम दिखाते हैं. सभी भाषाओं के सारे अख़बार और वेबसाइट राशि फल से लेकर ऐसी बातें छापते हैं.

मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि इस तरह के कार्यक्रमों में क्या बोला जाता है, क्या बदलाव आया है, इनसे हमारे समाज की किन परेशानियों की झलक मिलती है.

बाबा ने पीरियड को लेकर जो शास्त्र ज्ञान दिया है, उसे उन महिलाओं की नज़र से समझने का प्रयास कर रहा था जो पीरियड को लेकर तमाम मान्यताओं को तोड़ने का प्रयास करती हैं.

हाल ही में बीबीसी हिंदी पर कई लेख छपे हैं जिसमें महिलाओं ने हिंदी में पीरियड को लेकर अपने अनुभव साझा किये हैं. बहुत सी महिलाओं को ये तो पता है कि पीरियड को लेकर कई तरह की वर्जनाएं (taboos) हैं मगर मुमकिन है कि किसी को ऋषि पंचमी की पूजा से ‘पाप बोध’ से मुक्ति का विधि-विधान न मालूम हो.

चैनलों पर आने वाले ये रंगीन बाबा आधुनिक स्पेस में किस तरह से परंपराओं की पुनर्खोज कर रहे हैं और फिर से कायम कर रहे हैं, दिख रहा है. बाबा आधुनिकता को भी उतनी ही उदारता से जगह देते हैं जितनी उदारता से परंपरा के नाम पर उसके भीतर की बकवास चीज़ों को. वो यहां बग़ावत के लिए नहीं बैठे हैं बल्कि एक सेल्समैन की तरह एक सौ आठ मर्ज़ की एक दवा बेच रहे हैं.

शाम को हिंदी टीवी चैनलों का हुजूम ‘सुरक्षा’ के सवाल को लेकर महिलाओं को ‘लिबरेट’ कराने में लगा होता है, उन्हें शहर के स्पेस में जगह दिलाने में लगा होता है, वही हुजूम सुबह-सुबह पंरपरा के नाम पर उन्हीं महिलाओं को ‘असुरक्षा’ में गाड़ रहा होता है.

यूट्यूब पर मौजूद इस वीडियो के आरंभ में सेनिटरी नैपकिन का भी विज्ञापन आता है. यह संयोग भी हो सकता है क्योंकि कई वीडियो में बालों के संवारने के उत्पादों के भी विज्ञापन आते हैं. बाबा बता रहे हैं कि घर के किस कोने में पीरियड हो जाने से पाप हो जाता है और पाप हो जाए तो रिलैक्स! ऋषि पंचमी पूजा है न.

टीवी के समीक्षकों का सारा फोकस शाम की प्राइम टाइम पर होता है. उन्हें पता नहीं है कि बीस साल से हिंदी चैनलों पर सुबह की प्राइम टाइम ज्योतिष के इन्हीं एंकरों से गुलज़ार होती है. भांति-भांति के भेष और मुद्रा धर कर ये आते हैं.

मैं ज्योतिष के होने और न होने की बहस में नहीं जाना चाहता. यह बहस पुरानी भी हो चुकी है और ज्योतिष भी है. मैं अपने सामाजिक परिवेश में एक-दो लोगों के अलावा किसी को नहीं जानता जो डॉक्टर की तरह ज्योतिष को कंसल्ट नहीं करते हैं. उनकी सारी दैनिक क्रिया ज्योतिष से संचालित होती है. इतने बड़े समाज को प्रभावित करने वाले इन कार्यक्रमों की कोई समीक्षा पेश नहीं की जाती है.

हिंदी चैनलों के ज्योतिषियों के बाल उम्र के साथ उड़ गए हैं या गेट-अप की ख़ातिर उड़ा दिए गए हैं, इसे छोड़ दीजिए. कोई शक नहीं कि वे प्रभावी लगते हैं. कपड़े ज़रूर मिस्टर इंडिया के मोगैंबों के छोड़े हुए लगते हैं. कई ज्योतिष बहुत ही अच्छा बोलते हैं. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कलाकार फेल हो जाएं.

यह साफ नहीं है कि बाबा अपना पैसा देकर चैनलों पर कार्यक्रम चलाते हैं या चैनल बाबाओं पर अहसान करते हैं. हिंदी बाबा की तुलना में अंग्रेज़ी बाबा का क्लास अलग है. वे दैनिक राशिफल की जगह परेशान उपभोक्ता को लाइफ मैनेजमेंट की बूटी बेचते हैं.

काश किसी की कृपा से दिल्ली में ट्रैफिक जाम कम हो जाता है. मैं इसी एक बात से उनकी शरण में चला जाता! अंग्रेज़ी वाले बाबाओं का इंटरव्यू बहुत आदर से होता है. हिंदी वाले बाबाओं का अंग्रेज़ी वाले हिकारत से देखते हैं.

ग़रीब जब आध्यात्म के नाम पर किसी की शरण में जाता है तो अंधविश्वास हो जाता है, अमीर जब आध्यात्म के नाम पर किसी की शरण में जाता है तो वह स्ट्रेस मैनेजमेंट का कोर्स हो जाता है. बड़े-बड़े आफिसों में स्ट्रेस मैनेजमेंट के ये पैकेट बेचे जाते हैं.

गुरमीत सिंह के जेल जाने के बाद कई जगह लिखा जा रहा है कि ग़रीब लोग इन बाबाओं के झांसे में आ जाते हैं. यह बकवास है. अमीरों और मध्यम वर्ग ने भी राम रहीम जैसे ही बाबा दिए हैं. अंतर ये है कि वे अंग्रेज़ी बोलते हैं और अलोवेरा का जूस बेचते हैं.

आजकल नेता और मंत्री लोग कई तरह की गुप्त पूजा कराते हैं जिसका ख़र्च बीस बीस लाख आता है. बग़ैर पैन और आधार नंबर के इस लेन-देन पर कोई नहीं बोलेगा. हमारा राजनीतिक वर्ग अंधविश्वास का सबसे बड़ा संरक्षक है. क्रिकेटर से लेकर सार्वजनिक जीवन का हर संभ्रांत प्रतीक अंधविश्वास का संरक्षक है, इसलिए सिरसा के डेरा समर्थकों को गंवारों की फौज न कहें.

यह भी बकवास है कि न्यूज़ चैनल बाबाओं को पैदा करते हैं, बल्कि यह सही होगा कि बाबाओं के अपने चैनल हैं. अलग से भी ऐसे कई चैनल हैं जिन पर कई बाबाओं का उदय होता रहता है. बाबाओं की अपनी वेबसाइट है. सोशल मीडिया की टीम है.

हिंदी चैनल के इन ज्योतिष कार्यक्रमों के बीच भंयकर प्रतियोगिता है. हर कार्यक्रम एक ब्रांड है. अब तो ज्योतिष का चैनल भी है. जहां राशिफल की दुनिया की नई-नई कैटेगरी की खोज कर ली गई है. भाग्यफल बताने वाले यही बता दें कि उनका शो इस हफ्ते नंबर वन होगा कि नहीं!

मैं जिस कार्यक्रम की समीक्षा कर रहा हूं, उसके कई शो की टैग लाइन होती है ‘सात जनम तक कैसे मिलेगा पैसा ही पैसा’. इस जनम में जहां करोड़ों भारतीय ग़रीबी रेखा से नीचे गुज़र-बसर कर रहे हैं और जो ग़रीबी रेखा से ऊपर हैं वो भी अपनी ज़िंदगी चलाने में ग़रीब की तरह ही जूझ रहे हैं, उनके लिए सात जनम तक पैसा मिलने का उपाय बता देना अपने आप में रॉकेट साइंस ही होगा.

सोचिए कौन इस लालच में नहीं पड़ेगा. सात जनम का पैसा मिल जाए तो जनधन खाता धन धन हो जाए.

बाबा ने कहा कि सोलह दिनों तक और सोलह साल तक महालक्ष्मी का व्रत करने से सात जन्म तक अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. उन्होंने भी दुख के दिनों में यह व्रत किया था. मैं यह नहीं समझ सका कि उनके जीवन में अखंड लक्ष्मी यानी धन दौलत का आगमन टीवी पर ज्योतिष कार्यक्रम आने के बाद हुआ है या व्रत के कारण हुआ है.

वे बताते हैं कि कई लोग मुझे किसी अमीर के बारे में कहते हैं कि वे ऐसा आचरण करते हैं, वैसा आचरण करते हैं फिर भी अमीर हैं. यहां पर बाबा अमीरों को भ्रष्ट होने की छवि से बचाते हुए कहते हैं कि उन्होंने किसी जनम में महालक्ष्मी व्रत किया होगा जिसके फलस्वरूप इस जन्म में वे अमीर हुए हैं. बाबा को भी पता है कि इस देश का ज़्यादातर अमीर किस तरह अमीर होता है और वहां से धंधा मिलना सबका ही टारगेट होता है.

मुझे अच्छा लगा कि बाबा दैनिक ज्योतिष बताते समय सबसे पहले ‘प्रपोज’ करने का समय बताते हैं. उन्हें पता है कि जिन पंरपराओं और संस्कृति में लोगों को फंसा रखा है, उन्हें प्यार करने की छूट मिलनी चाहिए तो उन्हीं परंपराओं के सहारे ‘प्रपोज़’ करने का समय भी बता देते हैं.

कई वीडियो में देखा कि सुबह-सुबह पांच बजे भी शुभ मुहूर्त हो जाता है. तो किसी से प्यार का इज़हार करना है तो अलार्म लगाकर सो जाएं!

बाबा ने एक नया शब्द भी गढ़ा है. लवमेट. ये रोमिया या लव जिहाद से काफी अलग और मॉर्डन है. अक्सर वे लवमेट का इस्तेमाल अकेले करते हैं. लवमेट से लगता है इसमें दो लोग तो होंगे ही मगर वे एक राशि के एक ही लवमेट की बात करते हैं.

ये नहीं कहते हैं कि सिंह राशि वाले लवमेट धनु राशि वाले लवमेट से मिलने यहां जाएं, वहां जाएं. बाबा बताते हैं कि लवमेट कब मंदिर जाएं, कब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और बुजुर्गों की सेवा करें. हमारे समाज में प्रेमियों को संस्कृति के ख़िलाफ़ देखा जाता है. मां-बाप की आज्ञा का पालन न करने वाले जोड़े के रूप में देखा जाता है.

यहां बाबा उन्हें लवमेट के नाम से पुकारते हैं और प्यार करने के शुभ मुहूर्त के साथ-साथ मां बाप की सेवा करना भी बताते हैं. उन्होंने बताया कि वृष राशि के लवमेट किसी मंदिर के बाहर जलपान सेवा करें, कामना पूरी होगी.

मुझे लवमेट अच्छा लगा. कम से कम एंटी रोमियो वाले को ये जोड़े बोल सकते हैं कि हम लवमेट हैं. बाबा ने टीवी पर बताया है तो यहां सेवा देने आएं हैं. डंडा छोड़ो और ये लो आटे के हलवे का प्रसाद और चलते बनो.

पर लवमेट बुर्जुगों की सेवा में ही लग जाएंगे तो ‘लव’ कब करेंगे ‘मेट’ कब करेंगे!

एक शो में मीन राशि वाले लवमेट को उन्होंने बताया कि धार्मिक स्थान पर घूमने जा सकते हैं. काश मैं उनके कई शो देख पाता और जान पाता कि क्या बाबा लवमेट को सिनेमा, नेहरू या लोहिया या दीनदयाल पार्क या रेस्त्रां जाने के भी कहते हैं!

एक शो में धनु राशि के लवमेट को बताया जाता है कि लवमेट आज स्नान के बाद भगवान शिव को धतूरे का भोग लगाएं, रिश्तों में मधुरता आएगी. मुझे यकीन है कि वे लवमेट को शैंपू करने का भी दिन और समय बताते ही होंगे.

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एक दिन की भविष्यवाणी में बाबा ने सिंह राशि वालों को कहा कि अपने साथी के साथ रोमांटिक डिनर पर जा सकते हैं. यह सुनते ही उछल गया. देखा टीवी वाले बाबा आधुनिकता के विरोधी हो ही नहीं सकते हैं. उन्हें पता है कि उनका कंज्यूमर रोमांटिक डिनर पर जाएगा ही, भले ही इसकी कल्पना भारतीय संस्कृति में नहीं होगी तो क्यों न वहां भी अपनी गुंजाइश बनाए रखो.

बाबा यह भी बताते हैं कि सिंह राशि वाले रोग प्रतिरोध की क्षमता में सुधार के लिए विटामिन भी लें. बजरंग बली की कसम! ख़ुद अपने कानों से सुना और उंगलियों से टाइप किया है. हमारा ज्योतिष शास्त्र एंटीबायोटिक भी देने लगा है, ये मुझे नहीं पता था. मेडिकल कॉलेज बंद करो. सीज़ेरियन कब कराना है, इसका शुभ समय वे अपने हर शो के आरंभ में ही दे देते हैं. लगता है कि सीज़ेरियन की टाइमिंग की बहुत बड़ी मार्केट है. हर किसी को अपने घर में महान बच्चा चाहिए ताकि उसके साथ घर में ही जब चाहे सेल्फी खिंचा सकें. कौन जाए सेलिब्रेटी के लिए एयरपोर्ट और होटल.

एक शो में उन्होंने कुंभ राशि के डॉक्टरों को कहा कि आज वे मुफ्त में ग़रीबों का इलाज करें, इससे उनके प्रोफेशन में लाभ होगा.

बाबा की भविष्यवाणी में ऑफिस की पॉलिटिक्स, प्रमोशन पर भी काफी ज़ोर है. पता चलता है कि आम भारतीय ऑफिस को कितने सीमित और फालतू संदर्भ में देखता है. प्रमोशन और मान-सम्मान नियमित कैटेगरी हैं. भारत एक प्रमोशन प्रधान देश है. भारतीय अपनी भारतीयता छोड़ सकता है मगर प्रमोशन नहीं छोड़ सकता है.

शिफ्ट चेंज एक नया आइटम जुड़ गया है. तुला राशि वाले को बताते हैं कि आज आपकी शिफ्ट चेंज हो सकती है, इससे परेशानी होगी. अरे भाई थोक मात्रा में दफ्तरों में लाखों लोगों की शिफ्ट चेंज होती है, इसमें भी लोगों ने ज्योतिष घुसा दिया है. दफ्तर में पखाना-पेशाब के लिए कब-कब जाना है, यह भी जल्दी ही बाबा लोग बताने लगेंगे.

मिथुन राशि वाले को कहते हैं कि आज के दिन बिजनेस का प्लान गुप्त रखें. धनु वाले आज के दिन बिजनेस की साझीदारी रखें. अब मुझे समझ नहीं आया कि क्या उस दिन धनु और मिथुन वाले बिजनेस की साझीदारी कर सकते हैं क्योंकि मिथुन वाले को तो बाबा ने बिजनेस की प्लानिंग गुप्त रखने के टिप्स दिए हैं!

एक जगह ज़रा कंफ्यूज़ हो गया जब बाबा ने कहा कि 27 अगस्त की रात 2 बजकर 18 मिनट के 12 मिनट आगे और 12 मिनट बाद में कोई शुभ कार्य न करें. ये अशुभ समय है. काफी देर तक सोचता रहा कि इस वक्त कौन शुभ कार्य कर रहा होगा. कहीं बाबा ने इशारे में सेक्स… नहीं नहीं, जब जो कहा ही नहीं तो उसके बारे में क्यों सोचा जाए.

पर कौन है जो इतनी रात को वो भी 2 बजकर 18 मिनट के आस-पास कोई शुभ कार्य कर सकता है, वो शुभ कार्य क्या हो सकता है, यह सब सोच ही रहा था कि बाबा कहने लगे कि आज के दिन दक्षिण पूर्व दिशा में मुंह करके संशय मुक्ति का संकल्प लेना है. तय कर लेना है कि संशय यानी शक करना ही नहीं. बस इस संकल्प के करते ही मैं इस सवाल से मुक्त हो गया कि रात 2 बजकर 18 मिनट के आगे-पीछे का शुभ कार्य क्या हो सकता था.

उनके दैनिक ज्योतिष ज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण कैटेगरी लगा ‘यायी जयद योग’. हम आप सब जानते हैं कि भारत में मुकदमे लंबित है. सबकी किस्मत गुरमीत सिंह जैसी नहीं होती कि पंद्रह साल बाद भी फैसला आ गया. बहुत तो न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए ही अन्याय के शिकार होते रहते हैं. असली अन्याय वो नहीं होता जिसके लिए वे मुकदमा करते हैं, वो तो कब का पीछे छूट जाता है.

मुकदमा लड़ना और केस जीतने की प्रक्रिया से बड़ा भारत में कोई अन्याय है ही नहीं. मगर बाबा ‘यायी जयद योग’ के तहत बताते हैं कि कब याचिका दायर करनी है, कब वकील से मिलना है और कब पैरवी करनी है. अदालतों के चक्कर लगाने वाला शायद ही कोई सुनकर नहीं रूकेगा कि बाबा कोर्ट जाने का समय बता रहे हैं. सब रूक जाएंगे. जब कोर्ट के लिए घंटों बस स्टॉप पर रूकना ही है तो चैनल के सामने रूक जाने में क्या प्राब्लम है. इंडिया है भाई, यहां जजों की संख्या बढ़ाने के लिए जजों के प्रधान को रोना पड़ता है. जब जज रो रहे हैं तो मुवक्किल कैसे नहीं रोएगा?

मौका देख बाबा ने अपने मार्केट बढ़ा लिया. मुझे लग रहा है कि ज्योतिष हर दिन भारत की अलग अलग समस्याओं के क्षेत्र की तरफ अपना विस्तार कर रहा है. भारत की समस्याओं की एक और ख़ूबी है. हुआ ये होगा कि किसी कालखंड में समस्याओं ने ही संजीवनी बूटी पी ली होगी, इसलिए वे अमर हो चुकी हैं. समाधान तो होना नहीं है चाहें मनमोहन सिंह आएं या नरेंद्र मोदी आएं. ज़ाहिर है ज्योतिष ही बता सकता है कि समस्याओं से ध्यान कैसे हटाएं.

बाबा ने एक शो में बताया कि मुकदमा करने के लिए यायी जयद योग आज रात 8 बजकर दस मिनट से लेकर रात 12 बजकर 37 मिनट के बीच ही है. मैं तो चकरा गया कि इस वक्त तो कोर्ट बंद रहता है. मगर बाबा ने शंका समाधान अगली पंक्ति में कर दिया, कहा कि मुझे पता है कि कोर्ट बंद रहता है मगर इस वक्त वकील के पास जा सकते हैं. उनसे चर्चा कर सकते हैं. बताइये कि किसी दिन यायी जायद योग रात बारह बजे से लेकर सुबह पांच बजे निकल गया तो अगले दिन वकील साहब कोर्ट में ही सोते नज़र आएंगे.

ज्योतिष कार्यक्रमों का विस्तार देखकर अचंभित हूं. जिस तरह सुबह-सुबह स्त्रीप्रधान मौसम समाचारों में अलग-अलग शहरों के मौसम बताए जाते हैं उसी तरह हर दिन दिल्ली, मुंबई, भोपाल, लखनऊ, कोलकाता, चंडीगढ़ और अहमदाबाद में राहुकाल का समय बताया जाता है. पटना और जयपुर क्यों छोड़ा भाई? राशियों के अनुसार आज का दिन कैसा रहेगा इसके लिए कई कैटेगरी हैं. शानदार रहेगा, बेहतरीन रहेगा, शुरूआत अच्छी रहेगी, सामान्य रहेगा, फेवरेबल रहेगा, सुनहरे पल लेकर आएगा, नई सौगात लेकर आएगा, ख़ास रहने वाला है.

भारत एक ज्योतिष प्रधान देश है. यह एक हक़ीक़त है. जो नहीं मानते वो भी हक़ीक़त हैं मगर इतने कम हैं कि सब एकदूसरे को जानते होंगे. न्यूज़ चैनलों के बाबाओं का अध्ययन कीजिए. गुरमीत सिंह सिरसा में ही राम रहीम नहीं बनते हैं, वो कहीं भी बन जाते हैं. कभी भी बन जाते हैं. बस एक कालचक्र शो लेकर आने की ज़रूरत है, किसी को बाल बढ़ाने के तेल बना लेने की ज़रूरत है. किसी को सफलता बेचने की किताब हिट करा लेने की ज़रूरत है. हमारे समय में भांति-भांति के गुरमीत राम-रहीम के पैकेज में मिल जाएंगे. दिल पर मत लीजिए. यही हिंदुस्तान है. यही हम और आप हैं. बाबा भी वही हैं जो हम और आप हैं.

(यह लेख मूलत: रवीश कुमार के ब्लॉग कस्बा पर प्रकाशित हुआ है)

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