सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल दो मामलों में बरी, देशद्रोह और हत्या का मामला चलता रहेगा

हिसार की जिला अदालत ने रामपाल को सरकारी काम में बाधा डालने और लोगों को बंधक बनाने के मामले से बरी क​र दिया है.

Controversial religious leader Sant Rampal stands by the door of a police van as he is brought to court surrounded by police personnel in Chandigarh, India. Police arrested the 63-year-old self-styled Hindu guru at his sprawling ashram in the northern part of the country, ending a days-long standoff in which six people died and hundreds were injured. He is wanted for questioning in a 2006 murder case but has repeatedly ignored orders to appear in court. (AP)

हिसार की जिला अदालत ने रामपाल को सरकारी काम में बाधा डालने और लोगों को बंधक बनाने के मामले से बरी कर दिया है.

Controversial religious leader Sant Rampal stands by the door of a police van as he is brought to court surrounded by police personnel in Chandigarh, India. Police arrested the 63-year-old self-styled Hindu guru at his sprawling ashram in the northern part of the country, ending a days-long standoff in which six people died and hundreds were injured. He is wanted for questioning in a 2006 murder case but has repeatedly ignored orders to appear in court. (AP)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

हरियाणा के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल दो मामलों में बरी हो गए हैं. खुद को ‘भगवान’ बताने वाले रामपाल के खिलाफ देशद्रोह सहित कई दूसरे मामले दर्ज हैं. ये मामले अभी चलते रहेंगे.

हिसार के न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश कुमार ने फैसला सुनाते हुएदो आपराधिक मामलों में सतलोक आश्रम, बरवाला के प्रमुख रामपाल और उनके अनुयायियों को बरी कर दिया.

पुलिस की ओर से डेरा सच्चा सौदा मामले की पृष्ठभूमि में तनाव व्याप्त होने के जिक्र किए जाने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 24 अगस्त को मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए टाल दी थी.

रामपाल के वकील एपी सिंह ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘अदालत ने दोनों मामले में रामपाल को बरी कर दिया है.’

रामपाल और उसके अनुयायियों के खिलाफ 17 नवंबर 2014 को आईपीसी की धारा 186 सरकारी कामकाज के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना, 332 जानबूझाकर लोकसेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में चोट पहुंचाना, 353 लोक सेवक को उसका कर्तव्य पूरा करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग के तहत मामला दर्ज किया गया था.

रतिया फतेहाबाद के सुखदेव सिंह की शिकायत पर दंगा करने, गैरकानूनी रूप से एकत्र होने, लोकसेवक के आदेश का उल्लंघन और गलत तरीके से किसी व्यक्ति को रोककर रखने के आरोप में रामपाल और उसके अनुयायियों-पुरुषोत्तम दास, राज कुमार, मनोहर सिंह, राजेंद्र सिंह, राहुल और 30-40 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ 18 नवंबर, 2014 को एक और मामला दर्ज किया गया था

वर्ष 2014 में आश्रम परिसर से रामपाल के 15000 से ज्यादा अनुयायियों को खाली कराने को लेकर उसके कुछ समर्थकों और पुलिस के बीच गतिरोध के बाद रामपाल को गिरफ्तार किया गया था. इस गतिरोध ने हिंसक रूप ले लिया जिससे पांच लोगों की मौत हो गई थी.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रामपाल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. रामपाल ने इस आदेश पर अमल के लिए पुलिस की कार्रवाई का प्रतिरोध किया था. उसने अदालत की अवमानना जैसे आरोपों पर जवाब देने के लिए उच्च न्यायालय में पेश होने से भी इंकार कर दिया था. वह बरवाला हिसार में अपने आश्रम के भीतर छिपा रहा.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि रामपाल अभी जेल में ही रहेगा क्योंकि वह देशद्रोह सहित अन्य आरोपों का सामना कर रहा है.

गौरतलब है कि रामपाल 33 महीने से हिसार जेल में बंद है. उसे नवंबर 2014 में हिसार के बरवाला स्‍थित सतलोक आश्रम से गिरफ्तार किया गया था.

रामपाल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है, इसी मामले में वह करीब तीन साल से जेल हैं. 2006 में रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था. दरअसल, रामपाल ने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद हिंसक झड़प में एक शख्स की मौत हो गई थी. 2013 में एक बार फिर से आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए.

हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में पैदा हुए रामपाल हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर थे. स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य बनने के बाद नौकरी छोड़ प्रवचन देना शुरू किया था. बाद के दिनों में कबीर पंथ को मानने लगे और अपने अनुयायी बनाने में जुट गए.

1999 में करौंथा गांव में उसने सतलोक आश्रम का निर्माण किया. 2006 में रामपाल ने आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की किताब को लेकर विवादित टिप्पणी की. इसके बाद आर्यसमाज और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस हिंसा में एक महिला की मौत हो गई.

पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया. जिसके बाद रामपाल को करीब 22 महीने जेल में काटने पड़े. लेकिन 30 अप्रैल 2008 को वह जमानत पर रिहा हो गया. बाद में 2014 में रामपाल मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश नहीं हुआ. जिसके बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.

हालांकि उस दौरान रामपाल के समर्थकों ने पुलिस से हिंसक झड़प की जिसमें करीब 120 लोग घायल हो गए थे. पुलिस और अर्धसैनिक बलों को जवानों ने 12 दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार किया. इस दौरान सतलोक आश्रम से पांच महिलाओं और एक बच्चे की लाश भी मिली थी.