यूएन के 17 सतत विकास लक्ष्यों में दो रैंक नीचे पहुंचा भारत, नेपाल-बांग्लादेश से पीछे

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों की ओर से 2015 में 2030 एजेंडा के रूप में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों में पिछले साल भारत 115वें स्थान पर था. हालिया रिपोर्ट में यह दो पायदान नीचे आया है, जहां इसका स्थान चार और दक्षिण एशियाई देशों- भूटान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद है.

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(फोटो: पीटीआई)

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों की ओर से 2015 में 2030 एजेंडा के रूप में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों में पिछले साल भारत 115वें  स्थान पर था. हालिया रिपोर्ट में यह दो पायदान नीचे आया है, जहां इसका स्थान चार और दक्षिण एशियाई देशों- भूटान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद है.

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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों की ओर से 2015 में 2030 एजेंडा के रूप में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर पिछले साल की तुलना में दो पायदान फिसलकर भारत 117वें स्थान पर आ गया है. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

‘भारत में पर्यावरण की स्थिति रिपोर्ट 2021’ में सामने आया कि पिछले साल भारत का स्थान 115 था और अब वह दो स्थान और नीचे चला गया है. ऐसा मुख्यत: इसलिए हुआ है कि भुखमरी समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा हासिल करने (एसडीजी2), लैंगिक समानता हासिल करने (एसडीजी पांच) और लचीली अवसंरचना का निर्माण, समावेशी एवं सतत औद्योगिकीकरण तथा नवोन्मेष को बढ़ावा देना (एसडीजी नौ) जैसी बड़ी चुनौतियां अब भी देश के सामने हैं.

इसमें बताया गया कि भारत का स्थान चार दक्षिण एशियाई देशों- भूटान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से नीचे है. भारत का कुल एसडीजी स्कोर 100 में से 61.9 है.

राज्यवार तैयारियों के बारे में विस्तार से बताते हुए समाचार रिपोर्ट में कहा गया कि झारखंड और बिहार 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सबसे कम तैयार हैं. झारखंड पांच लक्ष्यों में पीछे है जबकि बिहार सात में.

इसमें कहा गया कि जो राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश अच्छे स्कोर के साथ इन लक्ष्यों को पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं वे हैं – केरल, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़.

सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा को संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने 2015 में स्वीकार किया था, जो लोगों और धरती के लिए अभी और भविष्य के लिए शांति एवं समृद्धि की रूप-रेखा उपलब्ध कराता है.

सभी देशों – विकसित एवं विकासशील – को जिन दिशाओं में वैश्विक साझेदारी के साथ तत्काल काम करने की जरूरत है, ऐसे 17 लक्ष्य हैं.

इनमें गरीबी और भुखमरी खत्म करना, अच्छी सेहत एवं आरोग्य, अच्छी शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी एवं स्वच्छता, किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा कार्य एवं आर्थिक विकास, उद्योग, नवोन्मेष एवं अवसंरचना शामिल है. इसके अलावा असमानता घटाना, स्थायी शहर एवं समुदाय, जिम्मेदार उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्रवाई, जल के नीचे जीवन, भूमि पर जीवन, शांति, न्याय एवं मजबूत संस्थान और अंतिम में लक्ष्यों के लिए वैश्विक साझेदारी को ठोस करना भी है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक के लिहाज से 180 देशों में से 168वें स्थान पर है. यह पर्यावरणीय सेहत, जलवायु, वायु प्रदूषण, स्वच्छता एवं पेयजल, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं, जैव विविधता आदि जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर तय किया जाता है.

बता दें कि इससे पहले देश के स्तर पर नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) स्कोर 2020-21 में छह अंकों के सुधार के साथ 60 से बढ़कर 66 अंक रहा है.

नीति आयोग ने एक बयान में कहा था कि देश भर में मुख्य रूप से स्वच्छ जल एवं स्वच्छता और सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रदर्शन से प्रेरित होकर लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया गया.

इस सूचकांक 2020-21 में केरल शीर्ष स्थान बरकरार रहा, जबकि इसमें बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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