यूपी में संदिग्ध पुलिस मुठभेड़ों को नज़रअंदाज़ करने वाले पूर्व मुख्य सचिव चुनाव आयुक्त ​बने

1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे अनूप चंद्र पांडेय ने अगस्त 2019 तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में संदिग्ध पुलिस मुठभेड़ों को योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने वाला एक पत्र राज्य के अधिकारियों को भेजने की ज़िम्मेदारी उन्हें मिली थी.

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अनूप चंद्र पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)

1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे अनूप चंद्र पांडेय ने अगस्त 2019 तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में संदिग्ध पुलिस मुठभेड़ों को योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने वाला एक पत्र राज्य के अधिकारियों को भेजने की ज़िम्मेदारी उन्हें मिली थी.

अनूप चंद्र पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)
अनूप चंद्र पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अनूप चंद्र पांडेय को मंगलवार को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया. इसके साथ ही तीन सदस्यीय भारतीय चुनाव आयोग के सभी तीन पद भर गए.

कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने कहा कि राष्ट्रपति ने 1984 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी पांडेय को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है. पांडेय चुनाव आयुक्तों के लिए आयु मानदंड के अनुसार फरवरी 2024 में 65 वर्ष की उम्र में पद छोड़ देंगे.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के रूप में सुनील अरोड़ा का कार्यकाल 12 अप्रैल को पूरा हो गया था. इसके बाद से निर्वाचन आयुक्त का एक पद रिक्त था. सुशील चंद्रा मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) हैं, जबकि राजीव कुमार अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, प्राचीन इतिहास में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले पांडेय अगस्त 2019 तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया था और राज्य के बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास आयुक्त भी थे.

मुख्य सचिव के रूप में उनका सबसे प्रमुख कार्य जनवरी 2019 में राज्य के अधिकारियों को एक पत्र प्रसारित करना था जिसमें उन्हें आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में कथित अपराधियों को मार गिराने को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने के लिए कहा गया था.

फरवरी 2019 में 60 साल के होने के बाद उन्हें आमतौर पर सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें शीर्ष नौकरी में छह महीने का विस्तार दिया था.

अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई होते हुए दिखाने के लिए तैयार की गई आदित्यनाथ की मुठभेड़ नीति पर आरोप लगते रहे हैं कि पुलिसकर्मी कानून को अपने हाथ में ले रहे थे और संदिग्ध अपराधियों को खत्म करके आधिकारिक आंकड़ों को बढ़ा रहे थे, जिसमें कुछ छोटे-मोटे गुंडे थे और कई मामलों में शिकार होने वालों को पूरी तरह निर्दोष माना गया.

द वायर  ने 2017 में इन मुठभेड़ों में मारे गए 14 लोगों के परिवारों से मुलाकात की थी और इस विस्तृत जांच में मारे गए लोगों के परिवारों और पुलिस के बयानों में भारी अंतर सामने आया था.

ग्यारह मामलों में एक ही जैसा तरीका था जिसमें पीड़ित 17 से 40 आयु वर्ग के थे और वे सभी कई मामलों में विचाराधीन थे. वहीं, कई मामलों में मुठभेड़ों का आधिकारिक विवरण संदिग्ध रूप से समान था.

इन विवादास्पद मुठभेड़ों का अनूप चंद्र पांडेय का समर्थन महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर आदित्यनाथ 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं या भड़काऊ भाषण देते हैं तो यह चुनाव आयुक्त के रूप में अपने पूर्व बॉस के खिलाफ कार्रवाई करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाता है.

पांडेय अगले साल पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों की निगरानी में भी मदद करेंगे.

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