कोविड-19 पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- सरकार ने फैसले लेने में देरी की, जिस कारण कई लोगों की जान गई

सरकार को घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख़ सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतज़ार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. एक अन्य मामले में अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के पास निर्धारित सात पहचान पत्र नहीं है, वे टीकाकरण के लिए क्या करें, इसके लिए क्या क़दम उठाए गए हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

सरकार को घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख़ सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतज़ार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. एक अन्य मामले में अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के पास निर्धारित सात पहचान पत्र नहीं है, वे टीकाकरण के लिए क्या करें, इसके लिए क्या क़दम उठाए गए हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार व्यापक रूप से जनता के कल्याण के लिए फैसले कर रही थी, लेकिन उसने काफी देरी कर दी जिस कारण कई लोगों की जान चली गई.

कोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतजार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की एक पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार का नया ‘घर के पास’ (नीयर टू होम) टीकाकरण कार्यक्रम, संक्रमण वाहक के आने का इंतजार करने जैसा है.

केंद्र ने अपने हलफनामे में दावा किया कि कोविड-19 टीकाकरण के लिए विशेषज्ञों की समिति (एनईजीवीएसी) ने ‘घर-घर टीकाकरण’ की जगह ‘घर के पास टीकाकरण’ को ज्यादा बेहतर बताया है.

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘कोरोना वायरस हमारा सबसे बड़ा शत्रु है. हमें उसे खत्म करने की जरूरत है. यह शत्रु कुछ निश्चित स्थानों और कुछ लोगों के भीतर है, जो बाहर नहीं आ सकते. सरकार का रुख ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. जबकि आप सीमाओं पर खड़े होकर संक्रमण वाहक के आपके पास आने को इंतजार कर रहे हैं. आप दुश्मन के क्षेत्र में दाखिल ही नहीं हो रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘आप लोगों की भलाई के लिए फैसले कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि ये निर्णय देरी से लिए जा रहे हैं. अगर ये फैसले आप पहले ले लेते तो कई लोगों की जान बच जाती.’

अदालत वकील धृति कपाड़िया और कुणाल तिवारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

याचिका में सरकार को 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, शारीरिक रूप से अक्षम और ‘ह्वीलचेयर’ आश्रित या बिस्तर से उठ न सकने वाले लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

इसे लेकर केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को अदालत से कहा था कि वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों, ‘ह्वीलचेयर’ आश्रित या बिस्तर से उठ न सकने वाले लोगों का घर-घर जाकर टीकाकरण संभव नहीं है.

हालांकि सरकार ने ऐसे लोगों के लिए ‘घर के पास’ टीकाकरण केंद्र शुरू करने का निर्णय किया है.

हाईकोर्ट ने केरल, जम्मू कश्मीर, बिहार, ओडिशा और महाराष्ट्र के वसई-विरार जैसे कुछ नगर निगमों में घर-घर जाकर टीकाकरण करने के लिए चल रहे कार्यक्रम का बुधवार को उदाहरण दिया.

अदालत ने कहा, ‘देश के अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? केंद्र सरकार घर-घर जाकर टीकाकरण करने को इच्छुक राज्यों और नगर निगमों को रोक नहीं सकती, लेकिन फिर भी वे केंद्र की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं.’

अदालत ने यह भी पूछा कि केवल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को ही क्यों घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम के लिए केंद्र की अनुमति का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि उत्तर, दक्षिण और पूर्व में कई राज्य बिना अनुमति के यह कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं.

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘ये दक्षिण में हो रहा है, पूर्व और उत्तर में भी. केवल पश्चिम को ही क्यों इंतजार करना पड़ रहा है?’

पीठ ने कहा कि बीएमसी भी यह कहकर अदालत की उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रही है कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू करने को तैयार है, अगर केंद्र सरकार इसकी अनुमति दे.

अदालत ने कहा, ‘हम बीएमसी की हमेशा तारीफ करते रहे हैं और कहते आए हैं कि वह अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श है.’

हाईकोर्ट ने कहा, ‘हमारा बीएमसी से सवाल यह है कि अभियान की शुरुआत में कई वरिष्ठ राजनेताओं को मुंबई में उनके घर पर टीके लगाए गए. ये किसने किया? बीएमसी या राज्य सरकार? किसी को तो इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.’

पीठ ने बीएमसी के वकील अनिल सखारे और राज्य की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सरकारी वकील गीता शास्त्री को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि किस प्राधिकरण ने राजनेताओं को उनके आवास पर टीका लगाए.

अदालत ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह को भी मामले पर एक बार फिर विचार करने का निर्देश दिया.

सिंह ने दावा किया कि सरकार हर एक व्यक्ति का टीकाकरण कराएगी. उन्होंने कहा, ‘हम जल्द ही एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) ला रहे हैं, ताकि सभी का टीकाकरण सुनिश्चित हो सके. हम भी चिंतित हैं और इस पर काम कर रहे हैं. हम बार-बार स्थिति की समीक्षा करेंगे.’

पीठ ने इस मामले में अब 11 जून को आगे सुनवाई करेगी.

पहचान-पत्र के अभाव में टीकाकरण के लिए क्या कदम उठाए गए

इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार से जानना चाहा कि कोविड-19 रोधी टीकाकरण के लिए निर्धारित सात पहचान पत्रों में से अगर किसी व्यक्ति के पास एक भी नहीं है तो केंद्र की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के बारे में ऐसे लोगों को अवगत कराने के लिये क्या कदम उठाए गए हैं.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने केंद्र को यह भी बताने के लिए कहा है कि उसके टीकाकरण अभियान के तहत मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग, जिनका कोई कानूनी अभिभावक नहीं है, को टीका लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, क्योंकि ऐसे लोग टीका लगवाने के लिए सोच-समझकर रजामंदी देने की स्थिति में नहीं होते हैं.

पीठ एक और जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड रोधी टीकों तक नागरिकों की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने, कोविन पोर्टल के कार्य करने के तरीके में सुधार समेत अन्य मुद्दे उठाए गए थे.

याचिकाकर्ताओं ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने कोविन पोर्टल पर टीकाकरण की खातिर पंजीयन करने के लिए सात मान्यता प्राप्त पहचान-पत्रों को निर्धारित किया है जिनमें आधार कार्ड और पैन कार्ड भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिनके पास इनमें से कोई भी पहचान-पत्र नहीं है और ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने की जिम्मेदारी तथा उनका टीकाकरण सुनिश्चित करने का जिम्मा राज्य एवं जिला स्तर के अधिकारियों को सौंपा गया है, लेकिन इस एसओपी की जानकारी हर व्यक्ति को नहीं है.

इस पर अदालत ने कहा कि सरकार को टीकों को लेकर जागरूकता और बढ़ानी चाहिए तथा इसके विभिन्न एसओपी के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘टीकाकरण के महत्व से ग्रामीण आबादी को अवगत करवाने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं? टीके के महत्व का संदेश देश के कोने-कोने में पहुंचना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकार को टीकाकरण से मिलने वाले लाभों का व्यापक प्रचार प्रसार करना चाहिए.’

अदालत ने राज्य सरकार की वकील गीता शास्त्री और एएसजी सिंह को निर्देश दिया कि 17 जून को मामले की सुनवाई होने पर उसे इस बारे में उठाए गए कदमों की जानकारी दी जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50