यूपी: भाजपा विधायक का प्रधानमंत्री को पत्र, एक ही जाति के शिक्षकों की नियुक्ति पर विरोध जताया

बांदा जिले के तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों के 40 पदों पर नियुक्तियों के लिए दो अलग-अलग अधिसूचना जारी की, जिसके पीछे मंशा आरक्षण में गंभीर अनियमितता करना था.

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भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति (फोटो साभारः फेसबुक)

बांदा जिले के तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों के 40 पदों पर नियुक्तियों के लिए दो अलग-अलग अधिसूचना जारी की, जिसके पीछे मंशा आरक्षण में गंभीर अनियमितता करना था.

भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति (फोटो साभारः फेसबुक)
भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति (फोटो साभारः फेसबुक)

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी में 40 शिक्षक पदों पर हाल में हुई नियुक्तियां आरक्षण नियमों का उल्लंघन हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पत्र में कहा कि परिणामस्वरूप एक विशेष जाति के उम्मीदवारों की बड़ी संख्या में नियुक्ति हुई है.

बांदा जिले के तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने पत्र में कहा है कि यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों के 40 पदों पर नियुक्तियों के लिए एक के बजाय दो अलग-अलग अधिसूचना जारी की थी.

उन्होंने कहा कि इसके पीछे मंशा आरक्षण में गंभीर अनियमितता करना था.

उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘जब भी कोई रिक्ति होती तो यह तय किया जाता कि रोस्टर प्रणाली के जरिये आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कितनी सीटें होंगी. यूनिवर्सिटी ने इस रोस्टर प्रणाली का अनुसरण नहीं किया और सीटों पर भर्तियां की. नियमों के अनुसार पचास फीसदी आरक्षण हैं लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘रोस्टर प्रणाली का अनुसरण नहीं कर यूनिवर्सिटी ने इन सभी 40 सीटों पर नियुक्तियों के लिए दो अलग-अलग अधिसूचना जारी की. इनमें से 29 सीटों पर एक बार और बाद की 11 सीटों पर बाद में भर्तियां हुईं. अगर सरकार यूनिवर्सिटी को सभी 40 सीटों पर एक बार में ही नियुक्तियों की मंजूरी देती तो रोस्टर प्रणाली का पालन करना पड़ता.

उन्होंने इस पत्र की प्रति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इसकी प्रति भेजी.

एक जून को कथित तौर पर पहली 29 रिक्तियों को भरा गया और विधायक ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर जनरल श्रेणी के एक निश्चित जाति के उम्मीदवारों का चुनाव किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि अनारक्षित श्रेणी में 15 चुनिंदा उम्मीदवारों में से 11 का उपनाम सिंह है. इसके अलावा आरक्षित श्रेणी से सात उम्मीदवारों का चयन किया गया है जबकि अन्य पांच पदों पर नियुक्तियां होनी बाकी है.

प्रजापति ने भर्ती विज्ञापनों को रद्द करने और उन्हें फिर से जारी करने की मांग की.

इस बीच राज्य कृषि विभाग का कहना है कि उन्हें अभी तक इस मामले में आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है और किसी ने भी मामले की जांच की मांग नहीं की है.

कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा, ‘हम दस्तावेजों की समीक्षा कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी ने चुनाव किया है. साक्षात्कार बोर्ड में पांच सदस्य हैं, जिनमें से दो बाहरी सदस्यों का चुनाव राज्यपाल द्वारा किया जाता है और एक डीन या अन्य बाहरी सदस्य होता है. कुल वेटेज में से 70 फीसदी अकदामिक प्रदर्शन और बाकी 30 फीसदी साक्षात्कार पर आधारित होता है. तीन पदों पर सिर्फ एक उम्मीदवार था और बाकी के चुनाव मेरिट के आधार पर हुए हैं.’

यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने कहा कि जहां तक विशेष जाति से अधिक उम्मीदवारों को भर्ती करने का सवाल है, यह महज संयोग हो सकता है.

नवभारत टाइम्स के अनुसार, विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने विधायक के आरोपों का खंडन किया है. कुलसचिव सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में जो नियुक्तियां हुई हैं उसमें पूरी तरह सही प्रक्रिया का पालन किया गया है. कुल 40 पद थे, जिसमें से 24 भरे हैं. बाकी में प्रत्याशी ही नहीं आए इसलिए वो खाली रह गए हैं.