जदयू को केंद्र सरकार में सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए: पार्टी अध्यक्ष

केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने यह बयान दिया है. इससे पहले मई 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनने से इनकार करते हुए जदयू ने समानुपातिक भागीदारी की मांग की थी.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने यह बयान दिया है. इससे पहले मई 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनने से इनकार करते हुए जदयू ने समानुपातिक भागीदारी की मांग की थी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह. (फोटो: पीटीआई)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह. (फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में एनडीए के भागीदारों को ‘सम्मानित’ हिस्सा मिलना चाहिए.

केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इस संबंध में बयान दिया.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जदयू दूसरा सबसे बड़ा घटक है. इस साल की शुरुआत में अपने कार्यकाल की समाप्ति से कुछ पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पार्टी के शीर्ष पद को छोड़ने के बाद सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे.

एक सवाल के जवाब में सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे भी केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में पता चला है. हम एनडीए का हिस्सा हैं…(केंद्र में नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली सरकार में) सभी घटक सम्मानित हिस्से के हकदार हैं.’

लोकसभा में 16 सांसदों वाला जदयू क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार में अपने लिए सम्मानित हिस्से की मांग करेगा, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मांग करने का सवाल कहां से आ गया? यह समझने की बात है. यह स्वाभाविक रूप से होना चाहिए.’

जदयू प्रमुख का बयान केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच आया है. एनडीए से शिवसेना के बाहर होने के बाद संसद में जदयू भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी है.  जदयू के राज्यसभा में पांच सदस्य हैं.

केंद्र में अपनी बदौलत बहुमत हासिल करने के कारण मंत्रिमंडल में भाजपा द्वारा सहयोगी दलों के केवल एक सदस्य को मौका दिए जाने से मई 2019 में मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के समय कुमार नाखुश थे.

उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ लहजे में कह दिया था कि वह मंत्रिमंडल में सांकेतिक प्रतिनिधित्व नहीं चाहते हैं. अलबत्ता उनकी पार्टी सरकार के साथ है और रहेगी.

उन्होंने कहा था, ‘भाजपा को पूर्ण बहुमत है और हमारा पूर्ण समर्थन है, लेकिन उनकी बात से लगा कि एनडीए के घटक दलों को व जदयू को भी वो सांकेतिक रूप प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं. वे (भाजपा) एक सीट देना चाहते थे, हमने जदयू की कोर टीम के साथ बैठक की और ये प्रस्ताव रखा, तो सभी ने कहा कि यह प्रस्ताव ठीक नहीं है.’

नीतीश कुमार ने अटल बिहार वाजपेयी की सरकार की मिसाल देते हुए कहा कि पहले भी समानुपातिक भागीदारी होती थी, इसलिए नए मंत्रिमंडल में भी भागीदारी समानुपातिक होनी चाहिए.

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने बिहार की कुल 40 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 17 सीटें मिली थीं. जदयू के राज्यसभा में भी छह सदस्य हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अब सिंह की टिप्पणी के बाद जदयू के तीन नेताओं के नाम केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए संभावित रूप से सामने आने लगे हैं.

पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह के अलावा सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (मुंगेर) और संतोष कुमार कुशवाहा (पूर्णिया) के नाम भी चर्चा में हैं.

हालांकि, एनडीए नेताओं ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘इस पर सिर्फ पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही कुछ कह सकता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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