म्यांमार के चिन प्रांत के मुख्यमंत्री समेत 9,000 से अधिक नागरिकों ने मिज़ोरम में शरण ली

मिज़ोरम पुलिस के अपराध जांच शाखा के आंकड़े के अनुसार राज्य के दस ज़िलों में म्यांमार के करीब 9,247 लोग ठहरे हुए हैं और उनमें से सबसे अधिक 4,156 चंफाई में हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक एवं छात्र संगठन भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध कर रहे हैं.

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मिज़ोरम पुलिस के अपराध जांच शाखा के आंकड़े के अनुसार राज्य के दस ज़िलों में म्यांमार के करीब 9,247 लोग ठहरे हुए हैं और उनमें से सबसे अधिक 4,156 चंफाई में हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक एवं छात्र संगठन भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध कर रहे हैं.

म्यांमार से मिजोरम आए शरणार्थी सीमा के पास भारतीय क्षेत्र में स्थित एक अज्ञात स्थान पर. (फोटो: रॉयटर्स)
म्यांमार से मिजोरम आए शरणार्थी सीमा के पास भारतीय क्षेत्र में स्थित एक अज्ञात स्थान पर. (फोटो: रॉयटर्स)

आइजोल: म्यामांर में फरवरी के सैन्य तख्तापलट के बाद वहां के चिन प्रांत के मुख्यमंत्री सलाई लियान लुआई समेत 9,247 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है. लुआई ने 2016 में इस पद का संभाला था.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘चिन प्रांत के मुख्यमंत्री अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके सोमवार रात को चंफाई शहर में पहुंचे.’

चंफाई राज्य की राजधानी आइजोल से 185 किलोमीटर दूर है. चिन राज्य पश्चिमी म्यांमार में स्थित है, जो 510 किलोमीटर सीमा साझा करता है. म्यांमार सीमा पर मिजोरम के छह जिले चंफाई, सियाहा, लवंगतलाई, सेरछिप, हनहथियाल और सैतुअल हैं. म्यांमार अपने उत्तरी भाग को मणिपुर के साथ और दक्षिण-पश्चिम को बांग्लादेश के साथ साझा करता है.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि लुआई समेत आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के 24 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिजोरम के अलग-अलग हिस्सों में शरण ली है.

पश्चिमी म्यांमार का प्रांत चिन मिजोरम की पश्चिमी सीमा से सटा है. अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक संगठन एवं छात्र संगठन भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध कर रहे हैं.

राज्य में जिन लोगों ने शरण ली है वे चिन समुदाय से हैं. चिन समुदाय ‘जो’ के नाम से भी जाना जाता है. उनका मिजोरम के मिजो समुदाय के साथ पूर्वजों का रिश्ता है.

मिजोरम पुलिस के अपराध जांच शाखा के आंकड़े के अनुसार राज्य के दस जिलों में म्यांमार के कम से कम 9,247 लोग ठहरे हुए हैं और उनमें से सबसे अधिक 4,156 चंफाई में हैं.

एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में आंकड़ों के अनुसार बताया है कि आइजोल में 1,633 लोगों ने, लवंगतलाई जिले में 1,297, सियाहा जिले में 633, हनहथियाल जिले में 478, लुंगलेई जिले में 167, सेरछिप जिले में 143, सैतुअल जिले में 112, कोलासिब जिले में 36 और ख्वाजावल जिले में 28 लोगों ने शरण ली है.

नॉर्थईस्ट नाउ के मुताबिक, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में शरण लिए हुए म्यांमार के लोगों को राहत मुहैया कराने के उद्देश्य से धन की मंजूरी दी है.

बयान में कहा गया है कि म्यांमार के नागरिकों को राहत के प्रावधान पर सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान जोरमथांगा ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही इस उद्देश्य के लिए फंड आवंटित कर दिया है.

मुख्यमंत्री ने सीवाईएमए नेताओं से यह भी कहा कि उनकी सरकार मानवीय आधार पर म्यांमार के लोगों को राहत देने के प्रयास जारी रखेगी, जो राज्य में शरण चाहते हैं.

इसी बीच, असम राइफल्स के सूत्रों ने बताया कि कई मौकों पर म्यांमार के नागरिकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का प्रयास किया जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, उनमें कई को वापस भेज दिया जाता है और कई अन्य मार्गों से घुस जाते हैं.

बता दें कि बीते अप्रैल महीने में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने केंद्र से म्यांमार शरणार्थियों के लिए विदेश नीति में बदलाव करने के लिए कहा था.

यह कहते हुए कि केंद्र को म्यांमार के लोगों को लेकर उदार होना चाहिए, जोरमथांगा ने कहा था कि एक बार जब सैन्यशासित म्यांमार से शरणर्थी मिजोरम आ जाएंगे तो उन्हें मानवीय आधार पर आश्रय और भोजन आदि उपलब्ध कराया जाएगा.

इससे पहले जोरमथांगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे शरणार्थियों को पनाह देते का अनुरोध किया था और कहा था कि म्यांमार में ‘बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही’ हो रही है और सेना निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रही है.

इससे पहले 13 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से चार पूर्वोत्तर राज्यों को भेजे गए एक पत्र में म्यांमार से अवैध तौर पर आ रहे लोगों को कानून के अनुसार नियंत्रित करने की बात कही गई थी.

गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने बीते एक फरवरी को तख्तापलट कर नोबेल विजेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को बेदखल करते हुए और उन्हें तथा उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को नजरबंद करते हुए देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी.

इसके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)