तमिलनाडु में सरकारी आंकड़ों से कई गुना अधिक है कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या: एनजीओ

चेन्नई के एक ग़ैर सरकारी संगठन अरप्पोर इयक्कम ने छह अस्पतालों के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट में दावा किया कि इस साल अप्रैल और मई में सरकार के 863 मौतों के आंकड़े के मुकाबले राज्य में मृत्यु दर 13.5 गुना अधिक रही है.

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(फोटो: पीटीआई)

चेन्नई के एक ग़ैर सरकारी संगठन अरप्पोर इयक्कम ने छह अस्पतालों के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट में दावा किया कि इस साल अप्रैल और मई में सरकार के 863 मौतों के आंकड़े के मुकाबले राज्य में मृत्यु दर 13.5 गुना अधिक रही है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: चेन्नई स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने तमिलनाडु में कोविड -19 के मृतकों के आंकड़ों में हेरफेर का दावा किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एनजीओ अरप्पोर इयक्कम ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि इस साल अप्रैल और मई में सरकार के 863 मौतों के आंकड़े के मुकाबले राज्य में मृत्यु दर 13.5 गुना अधिक है.

एनजीओ की यह रिपोर्ट छह अस्पतालों के आंकड़ों पर आधारित है. ये अस्पताल मदुरै स्थित सरकारी राजाजी अस्पताल, कोयंबटूर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, त्रिची स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल, वेल्लोर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, करूर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और तिरुपुर सरकारी मुख्यालय अस्पताल हैं. ये अस्पताल तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं.

एनजीओ ने 2019, 2020 और 2021 में अप्रैल और मई के लिए ऑनलाइन पोस्ट किए गए छह अस्पतालों द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाणपत्रों का विश्लेषण किया. फिर उन्होंने 2019, 2020 और 2021 में जनवरी और मई के बीच प्रत्येक दिन के लिए पुरुष और महिला दोनों के लिए जारी किए गए कई मृत्यु प्रमाणपत्रों के लिए डेटा एकत्र किया. इसकी तुलना मीडिया बुलेटिन में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से की गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2021 तक छह अस्पतालों में मरने वालों की संख्या 2,000 प्रति माह थी. अप्रैल और मई में भी यही आंकड़ा था. हालांकि, अप्रैल 2021 में मौतों की संख्या बढ़कर 3,009 हो गई और मई 2021 में 8,690 मौतों का भारी उछाल आया.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल 2020 में मृत्यु दर में गिरावट को राज्य द्वारा लगाए गए कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण हो सकता है, जब महामारी की पहली लहर आई थी. इसके साथ ही लॉकडाउन के कारण सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में कमी और कई सर्जरियों को रद्द किए जाने के कारण भी हो सकता है. हालांकि, अप्रैल 2021 में दूसरी लहर की शुरुआत के साथ मृत्यु दर में वृद्धि हुई.

छह अस्पतालों में उपलब्ध मौत के आंकड़ों का और विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल और मई में 2021 में कुल 11,699 मौतें हुईं, जबकि 2019 में 4,437 और 2020 में 3,261 मौतें हुईं.

अप्रैल और मई में 2021 में मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में 3,152 मौतें, कोयंबटूर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 3,464, त्रिची स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1,806, वेल्लोर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1,416, करूर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 960 और तिरुपुर सरकारी मुख्यालय अस्पताल में 901 मौतें हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने अप्रैल और मई 2021 के लिए 863 मौतों (13 जून तक) की घोषणा की.

रिपोर्ट में कहा गया, कुल मिलाकर इन छह अस्पतालों में मृत्यु दर अप्रैल और मई, 2021 के लिए इन अस्पतालों में सरकार द्वारा बताई गई कोविड -19 मौतों का 13.6 गुना है. इन छह अस्पतालों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण विभाग द्वारा घोषित मौतों की संख्या की तुलना में कोविड -19 और इसकी जटिलताओं के कारण होने वाली मौतों की संख्या 8.4 गुना से 9.8 गुना अधिक होने की संभावना है या दूसरे शब्दों में, कोविड के कारण होने वाली मौतों के कम से कम 8.4 गुना से 9.4 गुना कम रिपोर्ट किए जाने की संभावना है.

रिपोर्ट में कहा गया कि तमिलनाडु में कोविड -19 के कारण होने वाली मौतों की संभावित संख्या रिपोर्ट की गई 12,943 की संख्या के मुकाबले 10,8,721 और 12,6,841 के बीच हो सकती है.

एनजीओ ने राज्य सरकार से कुछ चीजों की सिफारिश की है, जिसमें तीन साल के लिए सरकार को पारदर्शी रूप से मृत्यु प्रमाण पत्र, मृत्यु दर डेटा और अस्पताल के साथ-साथ घर में होने वाली मौतों के लिए समेकित करने के लिए कहना शामिल है.

इसके अलावा, इसने सरकार से एक स्वतंत्र समिति का गठन करने का आग्रह किया है जो कोविड -19 के दौरान हुई सभी मौतों का ऑडिट करेगी और आईसीएमआर यूओ7.1 और यूओ7.2 कोविड -19 के मृत्यु दर कोड के तहत मरने वाले सभी रोगियों के लिए मृत्यु के कारण के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र फिर से जारी करने में मदद करेगी.

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