‘इस बहुभाषी-बहुसांस्कृतिक देश को टुकड़ों में बांटने की कोशिश की जा रही’

साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में आठ ग़ैर भाजपाई दलों ने साधा नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना.

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साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में आठ ग़ैर भाजपाई दलों ने साधा नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना.

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इंदौर में हुए साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में आठ विपक्षी दलों के नेता पहुंचे. (फोटो: पीटीआई)

इंदौर: जनता दल युनाइटेड के बागी नेता शरद यादव की अगुवाई में आयोजित साझी विरासत बचाओ सम्मेलन के दूसरे संस्करण के दौरान गुरुवार को यहां आठ ग़ैर भाजपाई दलों ने एकजुटता दिखाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. इन दलों ने आरोप लगाया कि देश में संविधान के तहत मिले बुनियादी अधिकारों और विविधता में एकता की राष्ट्रीय भावना पर खतरा मंडरा रहा है.

शरद यादव ने इस सम्मेलन में सत्तारूढ़ भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, इस बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश को टुकड़ों में बांटने की कोशिश की जा रही. हजारों साल की साझी विरासत खतरे में है.

सरकार का फर्ज है कि वह कमजोर तबकों की रक्षा करे

उन्होंने पिछले दिनों गोमांस ले जाने के संदेह में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की हत्या और सहारनपुर में जातिगत हिंसा के दौरान दलितों पर अत्याचार के मामलों का जिक्र करते हुए कहा, सरकार का फर्ज है कि वह कमजोर तबकों की रक्षा करे और इन वर्गों पर जुल्म ढाने वालों को कानूनी प्रक्रिया के जरिये सख्त सजा दिलाए.

यादव ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद डेरा समर्थकों द्वारा पंचकूला में भारी हिंसा को जन अराजकता का उदाहरण बताया.

उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान का स्वागत करता हूं कि देश में आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लेकिन इसके बाद भी आस्था के नाम पर हिंसा होती है, तो मुझे बड़ी तकलीफ होती है.

साझी विरासत की रक्षा के नाम पर आयोजित कार्यक्रम भाजपा शासित मध्य प्रदेश की उस आर्थिक राजधानी में संपन्न हुआ, जो भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी मजबूत गढ़ है. इस आयोजन के जरिये विपक्षी दलों की ओर से भाजपा को सीधा सियासी संदेश देने की कोशिश की गई.

आम जनता और संविधान के हक में आयोजन

बहरहाल, कार्यक्रम के बाद मीडिया ने जब यादव से पूछा कि क्या साझी विरासत बचाओ सम्मेलनों के नाम पर ग़ैर भाजपाई दलों को लामबंद करके वर्ष 2019 के आगामी आम चुनावों में मोदी सरकार के मुकाबले की जमीन तैयार की जा रही है, तो उन्होंने कहा, ये आयोजन किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि देश की आम जनता और संविधान के हक में है.

उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि साझी विरासत बचाओ सम्मेलनों में एकजुट ग़ैर भाजपाई दल क्या आगामी आम चुनावों में भाजपा के खिलाफ कोई साझा मोर्चा बना सकते हैं.

सांप्रदायिक फ़िज़ा खराब की जा रही है

साझी विरासत बचाओ सम्मेलन के दूसरे संस्करण को कांग्रेस से आनंद शर्मा और दिग्विजय सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी से तारिक अनवर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई से डी राजा , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम से सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी से धर्मेन्द्र यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस से अजय सधोत्रा, जेडीयू के अन्य बागी नेता अली अनवर और राष्ट्रीय लोक दल से जयंत चौधरी ने भी सम्बोधित किया. इन नेताओं ने साारूढ़ भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निशाने पर लेते हुए कहा कि देश में सियासी फायदे के लिए सांप्रदायिक फिजा खराब की जा रही है.

विपक्षी नेताओं ने मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में जून में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच लोगों की मौत और सरदार सरोवर बांध परियोजना के कारण सूबे में हजारों परिवारों के विस्थापन के मुद्दों पर भी सत्तारूढ़ भाजपा को घेरा.

बिहार में महागठबंधन से अलग होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से हाथ मिलाने से नाराज जदयू नेता शरद यादव ने देशभर में साझा विरासत बचाओ सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की थी. इस कड़ी का पहला सम्मलेन दिल्ली में 17 अगस्त को आयोजित किया गया था.

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