यूएन के विशेष दूतों ने कहा- आईटी नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन करते हैं

भारत ने नए आईटी नियमों को सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने वाला बताते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं. उसने कहा कि नए आईटी नियमों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जताई गई चिंताएं बिल्कुल वाज़िब नहीं हैं.

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(इलस्ट्रेशन: द वायर)

भारत ने नए आईटी नियमों को सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने वाला बताते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं. उसने कहा कि नए आईटी नियमों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जताई गई चिंताएं बिल्कुल वाज़िब नहीं हैं.

(इल्यूस्ट्रेशन: द वायर)
(इल्यूस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों ने भारत को लिखा है कि सरकार के नए आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) नियम अपने मौजूदा स्वरूप में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के खिलाफ जाते हैं.

हालांकि, भारत ने नए आईटी नियमों को सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने वाला बताते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं.

आठ पन्नों का विशेष प्रतिवेदकों का यह पत्र 11 जून को अपलोड किया गया था और यह राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण पर विशेष प्रतिवेदक आइरीन खान, शांतिपूर्ण सभा और संघ की स्वतंत्रता के अधिकारों पर विशेष प्रतिवेदक क्लेमेंट न्यालेतोस्सी वौले और निजता के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक जोसेफ कैनाटासी द्वारा लिखा गया है.

पत्र में विशेष प्रतिवेदकों ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के कुछ प्रावधानों को लेकर चिंताएं प्रकट करते हुए आरोप लगाया कि ये अंतरराष्ट्रीय कानूनों, निजता के अधिकार संबंधी मानकों तथा नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि द्वारा मान्य बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं है. इस संधि को भारत ने 10 अप्रैल 1979 स्वीकार लिया था.

नए नियमों के हिसाब से बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को किसी उचित सरकारी एजेंसी या अदालत के आदेश/नोटिस पर एक विशिष्ट समय-सीमा के भीतर गैर कानूनी सामग्री हटानी होगी.

इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी लागू होंगे.

विशेष प्रतिवेदकों ने कहा था, ‘हमें चिंता है कि नए नियम अधिकारियों को उन पत्रकारों को सेंसर करने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं, जो सार्वजनिक हित की जानकारी को उजागर करते हैं और ऐसे व्यक्ति जो सरकार को जवाबदेह ठहराने के प्रयास में मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं को सामने लाते हैं.’

विशेष प्रतिवेदकों ने सरकार से नए कानूनों को लेकर सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा करने को कहा.

पत्र में निजता के अधिकार और मीडिया की स्वतंत्रता पर जताई गई चिंता

रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में सुप्रीम कोर्ट के 2015 के श्रेया सिंघल के फैसले का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि निजी कंपनियों पर यूजर्स की सामग्रियों को तेजी से हटाने के दायित्व के परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जहां मध्यवर्ती (जैसे सोशल मीडिया साइट्स) उन्हें हटाने के अनुरोधों या सामग्री को हटाने के लिए डिजिटल-मान्यता प्रणाली का अति-अनुपालन करेंगे या लाएंगे.

पत्र में कहा गया, ‘हम चिंतित हैं कि कम समयसीमा, उपरोक्त आपराधिक दंड के साथ, सेवा प्रदाताओं को प्रतिबंधों से बचने के लिए एहतियात के तौर पर वैध अभिव्यक्ति को हटाने के लिए प्रेरित कर सकती है.’

पत्र में ट्विटर को 31 जनवरी 2021 को किसानों के प्रदर्शन के बारे में भ्रामक सूचनाएं फैलाने वाले 1,000 से ज्यादा अकाउंट को बंद करने के निर्देश पर भी चिंता जताई गई थी.

पत्र में कहा गया, ‘हम गंभीरता से चिंतित हैं कि धारा-4 प्रत्येक इंटरनेट उपयोगकर्ता की गोपनीयता के अधिकार से समझौता कर सकती है.’

पत्र में मीडिया की स्वतंत्रता पर नियमों के निहितार्थ पर विशेष ध्यान दिया गया है. इस पर संयुक्त राष्ट्र के दूत कहते हैं, ‘हम गंभीरता से चिंतित हैं कि न्यायिक समीक्षा के बिना कार्यकारी अधिकारियों को दी गई ऐसी व्यापक शक्तियां, सूचना के मुक्त प्रवाह को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने की संभावना है, जो आईसीसीपीआर के अनुच्छेद 19 (2) द्वारा संरक्षित है.’

पत्र चिंता व्यक्त करता है कि नियम एक सरकारी एजेंसी को सुरक्षा उपायों के बिना सामग्री को अवरुद्ध करने का आदेश देने के लिए व्यापक अधिकार देते हैं.

समाचार वेबसाइट को अवरुद्ध करने जैसा उपाय कितना चरम और असंगत है, इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए पत्र में कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाई अक्सर पूरी तरह से वैध सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करती है.

बता दें कि द वायर, द न्यूज मिनट, लाइव लॉ, प्रतिध्वनि और द क्विंट सहित डिजिटल न्यूज आउटलेट्स ने आईटी नियमों के खिलाफ देशभर के विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिका दायर की है.

अपने निष्कर्ष में पत्र में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी नवाचार में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत में एक कानून विकसित करने की क्षमता है, जो इसे डिजिटल अधिकारों की रक्षा के प्रयासों में सबसे आगे रख सकता है. हालांकि, नियमों का काफी व्यापक दायरा इसके ठीक विपरीत करने की संभावना है.

विभिन्न हितधारकों के साथ उचित चर्चा के बाद लाए गए नए आईटी नियम: भारत

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने इसके जवाब में कहा, ‘नए आईटी नियमों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जताई गई चिंताएं बिल्कुल वाजिब नहीं हैं.’

भारत ने कहा कि सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के नए नियम बनाए गए हैं. भारत ने कहा कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों के कारण व्यापक चिंताओं के चलते नए आईटी नियम लागू करना आवश्यक हो गया था.

जवाब में बताया गया कि संसद के उच्च सदन ने सरकार से कई बार कानूनी ढांचे को मजबूत बनाने और सोशल मीडिया मंचों को भारतीय कानून के तहत जवाबदेह बनाने को कहा था तथा व्यापक विचार-विमर्श के बाद नियम तय किए गए.

भारत ने अपने जवाब में कहा है, ‘भारत का स्थायी मिशन यह भी उल्लेख करना चाहेगा कि भारत की लोकतांत्रिक साख अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है. भारतीय संविधान में वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी है. स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं.’

मिशन ने जवाब में कहा है, ‘नए नियम सोशल मीडिया के सामान्य यूजरों को सशक्त करने के लिए बनाए गए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के पास उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक मंच होगा. विभिन्न हितधारकों के साथ उचित चर्चा के बाद आईटी नियमों को अंतिम रूप दिया गया.’

नियमों का उल्लंघन करते हुए सरकार ने खारिज किया था आरटीआई आवेदन

हालांकि, द वायर ने जब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से नियमों का मसौदा तैयार करने के बारे में जानकारी मांगी तो उस आरटीआई आवेदन को नियमों का उल्लंघन करते हुए खारिज कर दिया गया.

इसने जो सीमित जानकारी प्रदान की वह इस दावे के बिल्कुल विपरीत है कि नियम हितधारकों, व्यक्तियों और अन्य लोगों के साथ ‘व्यापक परामर्श’ के बाद जारी किए गए थे. द वायर ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था, ‘मंत्रालय ने अपने जवाब में उक्त नियमों से संबंधित विचार-विमर्श के नाम पर सिर्फ दो सेमिनार और एक बैठक का उल्लेख किया, जिनमें से दो ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं. एक अन्य सेमिनार का विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. डिजिटल समाचार मीडिया से संबंधित किसी बैठक का कोई जिक्र नहीं है, जिसे भी नए आईटी नियमों का लक्ष्य बनाया गया है.’

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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